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    ग्वार की सबसे ज्यादा पैदावार करता है राजस्थान, इस बार बुवाई 21% घटी; जानिए किन फसलों पर शिफ्ट हो रहे किसान?

    इस बार राजस्थान में ग्वार की बुवाई 21% (guar sowing down 21%) कम हुई है। किसान अब मूंग और मूंगफली जैसी फसलों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। वजह है बेहतर दाम कम जोखिम और तेजी से नकदी की जरूरत। लेकिन इसका भविष्य में ग्वार उद्योग पर असर पड़ सकता है। जानिए किसानों को क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं।

    By Ankit Kumar Katiyar Edited By: Ankit Kumar Katiyar Updated: Wed, 27 Aug 2025 06:31 PM (IST)
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    राजस्थान के कई जिलों में किसानों ने मूंग की बुवाई बढ़ाई है।

    नई दिल्ली| राजस्थान को देशभर में ग्वार उत्पादन का गढ़ माना जाता है। यहां की रेतीली जमीन और मौसम ग्वार के लिए सबसे अनुकूल है। लेकिन इस बार तस्वीर बदल गई है। ग्वार की बुवाई 21% कम हुई (Rajasthan guar sowing decline) है।

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    किसानों ने अपनी जमीन का बड़ा हिस्सा अब मूंग और मूंगफली जैसी फसलों के लिए इस्तेमाल किया है। इस बात की जानकारी NCDEX की जुलाई 2025 की रिपोर्ट में सामने आई है। अब सवाल उठता है कि आखिर किसानों को ग्वार की फसल से मोहभंग क्यों हो रहा है और अब वो क्या बो रहे हैं?

    दरअसल, ग्वार की कीमतों में लंबे समय से स्थिरता नहीं रही। तेल और अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग पर ग्वार का भाव निर्भर करता है। पिछले सीजन में किसानों को अच्छा दाम नहीं मिला। साथ ही मूंग और मूंगफली की फसल जल्दी पक जाती है और तुरंत नकदी उपलब्ध करा देती है। यही वजह है कि किसान ग्वार छोड़कर दूसरी फसलों की तरफ बढ़ रहे हैं।

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    अब क्या बो रहे किसान?

    राजस्थान के कई जिलों में किसानों ने मूंग की बुवाई बढ़ाई है। मूंगफली का रकबा भी बढ़ा है। कुछ इलाकों में किसान बाजरा और मक्का की (crop shift to maize and bajra) तरफ भी जा रहे हैं। मूंग और मूंगफली का बाजार फिलहाल अच्छा है। दालों और तेलों की लगातार मांग बनी रहती है। यही वजह है कि किसान अपनी आमदनी सुरक्षित करने के लिए इन फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

    किसानों को क्या फायदा?

    मूंग और मूंगफली से किसानों को जल्दी पैसा मिलता है। दोनों फसलों की घरेलू खपत ज्यादा है, इसलिए बाजार का जोखिम कम रहता है। मूंग जैसी दलहन मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, जिससे अगली फसल को फायदा होता है।

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    क्या हो सकते हैं नुकसान?

    ग्वार उद्योग, खासकर ग्वार गम पर आधारित कारोबार को भविष्य में कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ सकता है। अगर ग्वार की पैदावार लगातार घटती रही, तो निर्यात बाजार पर असर पड़ेगा। लंबे समय में किसानों को ग्वार के बेहतर दाम मिलने का मौका छूट सकता है।

    किसानों का यह फैसला मौजूदा बाजार और कमाई को देखते हुए सही लगता है। लेकिन अगर ग्वार की मांग अचानक बढ़ी, तो इसका सीधा फायदा उन्हीं को मिलेगा, जिन्होंने इसे बोया है। ऐसे में भविष्य में ग्वार की कीमतें बढ़ सकती हैं और उत्पादन घटने से बाजार में असंतुलन भी पैदा हो सकता है।