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    Budget 2025: बदल गई MSME की परिभाषा, निवेश से लेकर रोजगार तक क्या होगा असर? पढ़ें पूरी डिटेल

    आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारामण ने संसद में बजट पेश किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने बजट में एमएसएमई को देश का महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन बताते हुए इसकी परिभाषा में बदलाव की घोषणा की। 500 करोड़ तक की सालाना टर्नओवर वाली कंपनियां अब मीडियम श्रेणी में आएंगी और एमएसएमई से जुड़ी स्कीम का लाभ ले सकेंगी। जाहिर तौर पर उन्हें बड़ा फायदा होगा।

    By Jagran News Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Sat, 01 Feb 2025 06:00 PM (IST)
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    Budget 2025: एमएसएमई की बदली परिभाषा। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एमएसएमई को देश का महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन बताते हुए इसकी परिभाषा में बदलाव की घोषणा की। इस बदलाव से एमएसएमई को अपने विस्तार करने का मौका मिलेगा जिससे नए रोजगार की संभावना निकलेंगी। 500 करोड़ तक की सालाना टर्नओवर वाली कंपनियां अब मीडियम श्रेणी में आएंगी और एमएसएमई से जुड़ी स्कीम का लाभ ले सकेंगी। जाहिर तौर पर उन्हें बड़ा फायदा होगा।

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    MSME पर विशेष फोकस

    बजट में एमएसएमई के लिए महत्वपूर्ण कर्ज की समस्या को भी दूर करने की कोशिश की गई है। बैंकों से कर्ज लेने की सबसे अधिक दिक्कत माइक्रो एमएसएमई को होती है और इसके समाधान के लिए वित्त मंत्री ने माइक्रो इंटरप्राइजेज को किसानों की तरह पांच लाख तक की सीमा वाले क्रेडिट कार्ड जारी करने का भी ऐलान किया। लेकिन इस सुविधा का लाभ एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत माइक्रो उद्यमियों को ही मिल सकेगा।

    क्या-क्या होंगे बदलाव?

    • मैन्यूफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर को मिलाकर देश में 5.7 करोड़ एमएसएमई है, लेकिन इनमें से एक करोड़ एमएसएमई की उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत है। हालांकि एमएसएमई को वैश्विक वैल्यू चेन से जोड़ने की कोई घोषणा नहीं की गई और इस प्रकार का कोई रोडमैप नहीं लाया गया है।
    • एमएसएमई की नई परिभाषा के हिसाब से अब 2.5 करोड़ रुपए के निवेश और 10 करोड़ टर्नओवर वाले उद्यमी माइक्रो श्रेणी में आएंगे। पहले यह सीमा क्रमश: एक करोड़ व पांच करोड़ थी। 25 करोड़ तक निवेश और 100 करोड़ तक के टर्नओवर वाले कारोबारी स्माल इंटरप्राइजेज के दायरे में आएंगे।
    • वहीं, 125 करोड़ के निवेश और 500 करोड़ के टर्नओवर वाले मीडियम इंटरप्राइजेज होंगे। अभी 250 करोड़ तक के सालाना टर्नओवर वाले मीडियम इंटरप्राइजेज कहलाते हैं। परिभाषा बदलने से 250 करोड़ वाले 500 करोड़ तक टर्नओवर वाले भी एमएसएमई श्रेणी में ही रहेंगे और एमएसएमई से जुड़ी स्कीम व इंसेंटिव का लाभ ले सकेंगे।
    • बहुत सारे मीडियम व स्माल इंटरप्राइजेज विभिन्न प्रकार की छूट के समाप्त होने और बड़ी कंपनियों के नियमों से जुड़े नियमों को देखते हुए अपने टर्नओवर को नहीं बढ़ा रहे थे। अब वे अपना विस्तार कर सकेंगे जिससे नए रोजगार भी निकलेंगे और मैन्यूफैक्चरिंग भी बढ़ेगा।

    इन इंटरप्राइजेज को मिलेगा कर्ज

    एसएमई एक्सचेंज में भी अब 500 करोड़ तक की कंपनियों को सूचीबद्ध होने का लाभ मिलेगा। पिछले कुछ सालों में कच्चे माल की लागत काफी बढ़ी है, इसे देखते हुए वे परिभाषा में बदलाव की मांग कर रहे थे। बजट में अगले पांच साल में माइक्रो व स्माल इंटरप्राइजेज को 1.5 लाख करोड़ के अतिरिक्त सरकारी गारंटी वाले कर्ज को देने का ऐलान किया गया है। 27 प्रकार के फोकस सेक्टर के स्टार्टअप को 20 करोड़ तक के लोन पर गारंटी फीस के रूप में सिर्फ लोन का एक प्रतिशत देना होगा।

    बजट में पहली बार उद्यमी बनने वाले महिला, अनुसूचित जाति-जनजाति को वित्तीय सहायता देने के लिए दो करोड़ का फंड बनाया गया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल मीडियम इंटरप्राइजेज के महासचिव अनिल भारद्वाज के मुताबिक परिभाषा बदलने से निश्चित रूप से एमएसएमई को लाभ तो होगा, लेकिन बजट में सरकार को एमएसएमई को सीधे तौर पर वैश्विक वैल्यू चेन से जोड़ने की घोषणा करनी चाहिए।

    तत्काल फायदे वाले घोषणाएं नहीं की गई है। देश के निर्यात में 45 प्रतिशत का योगदान एमएसएमई का है, ऐसे में सरकार को भविष्य में अमल वाली योजना की जगह तत्काल लाभ पहुंचने वाली घोषणा करनी चाहिए थी।

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