देश का पहला F1 ट्रैक बनाने के पीछा था बड़ा मास्टर प्लान, JP Associates ने क्यों खर्च किए थे ₹18500 करोड़?
जिस कंपनी ने 18500 करोड़ रुपए खर्च कर भारत का पहला F1 रेसिंग ट्रैक बनवाया था वही अब सिर्फ 17000 करोड़ में बिक गई। बात हो रही है- जेपी एसोसिएट्स (JP Associates News) की।जो दिवालिया हो चुकी है। सवाल है कि आखिर JP ने भारत को फॉर्मूला वन का सपना दिखाया और पूरा भी किया लेकिन चला क्यों नहीं पाए? और उसके पीछे का प्लान क्या था?

नई दिल्ली| कभी देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में गिनी जाने वाली जेपी एसोसिएट्स (JP Associates News) आज दिवालिया हो चुकी है। हैरानी की बात यह है कि जिस कंपनी ने 18,500 करोड़ रुपए खर्च कर भारत का पहला F1 रेसिंग ट्रैक बनवाया था, वही अब सिर्फ 17,000 करोड़ में बिक गई।
5 सितंबर 2025 को खबर आई कि अनिल अग्रवाल के वेदांता ग्रुप ने JP Associates को खरीदने की बोली जीत ली। इस रेस में अदाणी ग्रुप भी शामिल था, लेकिन वह पीछे रह गया। अब सवाल यह है कि आखिर जेपी ग्रुप के मालिक जयप्रकाश गौर ने भारत को फॉर्मूला वन का सपना दिखाया और पूरा भी किया, लेकिन चला क्यों नहीं पाए? और उसके पीछे का प्लान क्या था?
जिद्दी मिजाज ने दिलाई पहचान
कहानी शुरू होती है साल 1958 से। इलाहाबाद के इंजीनियर जयप्रकाश गौर ने सरकारी नौकरी छोड़ी और ठेकेदारी शुरू की। मेहनत और जिद्दी मिजाज ने उन्हें पहचान दिलाई। 1979 में उन्होंने कंपनी बनाई- जयप्रकाश एसोसिएट्स। उनका कहना था- "मैंने ठान लिया तो करके दिखाऊंगा।"
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JP Group ने बढ़ते-बढ़ते गांव के युवाओं को नौकरियां दीं। कोई ड्राइवर बना, कोई मजदूर... कई युवा सुपरवाइजर और मैनेजर भी बने। कई लोग आज भी मानते हैं- "अगर JP नहीं होता तो हम गांव में ही रह जाते।" लेकिन कंपनी के डूबने के साथ उनका भविष्य भी हिल गया।
F1 ट्रैक बनाने के पीछे की कहानी
साल 2009 में नोएडा में बुद्धा इंटरनेशनल सर्किट बनना शुरू हुआ। 2011 तक यह तैयार हो गया। करीब 18,500 करोड़ रुपए (400 मिलियन डॉलर) खर्च कर देश का पहला F1 ट्रैक बनाया गया। यहां भारत में पहली बार Formula One रेस हुई। इसे लेकर कहा गया कि JP Group ने भारत को दुनिया के नक्शे पर ला दिया।
लेकिन असल प्लान कुछ और था। F1 ट्रैक असल में एक मार्केटिंग टूल था। योजना यह थी कि इसके आसपास टाउनशिप, मॉल और ऑफिस का रियल एस्टेट बूम आएगा। लेकिन तीन साल बाद रेस बंद हो गई और पूरा सपना चकनाचूर हो गया।
यमुना एक्सप्रेसवे और कर्ज का बोझ
गौर ने दिल्ली से आगरा तक 165 किमी का यमुना एक्सप्रेसवे बनाने का सपना भी पूरा किया। उस दौर में जमीन अधिग्रहण आसान नहीं था। लेकिन गौर ने किसानों से सीधे बातचीत कर जमीन ली और 2012 तक हाइवे बना दिया।
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मगर 2016 आते-आते कंपनी पर 75,000 करोड़ का कर्ज चढ़ गया। नकदी रुक गई, ब्याज बढ़ता गया और प्रोजेक्ट अटक गए। आखिरकार 2024 में NCLT ने कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में डाल दिया। और 5 सितंबर 2025 को वेदांता ग्रुप ने इसे खरीद लिया।
जेपी एसोसिएट्स की कहानी सिर्फ एक कंपनी की नहीं, बल्कि एक जिद और सपनों की कहानी है। जहां एक इंजीनियर ने ठेकेदारी से साम्राज्य खड़ा किया। लेकिन वही जिद इतनी महंगी पड़ी कि पूरा साम्राज्य डूब गया।
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