GST दरों में कटौती के बाद भी क्यों बढ़ाई कीमतें? ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ सरकार सख्त; अब देना होगा जवाब
सरकार ने कुछ प्रमुख ई-कामर्स कंपनियों से यह बताने को कहा है कि जीएसटी दरों में हालिया कटौती (GST rate cuts) के बाद भी कुछ उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी (e-commerce price hikes) क्यों की गई। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने हाल ही में कहा कि विभाग को कंपनियों द्वारा खरीदारों को जीएसटी का लाभ नहीं देने के बारे में 3000 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं।

नई दिल्ली| GST 2.0: सरकार ने कुछ प्रमुख ई-कामर्स कंपनियों से यह बताने को कहा है कि जीएसटी दरों में हालिया कटौती (GST rate cuts) के बाद भी कुछ उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी (e-commerce price hikes) क्यों की गई। 22 सितंबर से लागू हुई नई जीएसटी व्यवस्था ने पिछली चार स्तरीय कर संरचना को पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो मुख्य स्लैब में बदल दिया था। इस बदलाव का उद्देश्य कर का बोझ कम करना और उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत पहुंचाना है।
कंपनी ने क्या दिया था विज्ञापन?
दरअसल, एक ई-कामर्स प्लेटफार्म ने तकनीकी गड़बड़ी का हवाला देते हुए जीएसटी दरों में कटौती के बाद ज्यादा कीमतों का विज्ञापन दिया था। बाद में कंपनी ने कीमतों में सुधार किया। अधिकारियों ने कहा है कि सरकार 50 से ज्यादा उत्पादों की कीमतों की समीक्षा कर रही है और देशभर में क्षेत्रीय टीमें अनुपालन की निगरानी कर रही हैं।
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3000 से ज्यादा शिकायतें मिलीं?
इस बीच, उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने हाल ही में कहा कि विभाग को कंपनियों द्वारा खरीदारों को जीएसटी का लाभ नहीं देने के बारे में 3,000 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। एक कार्यक्रम में खरे ने बताया कि हर दिन शिकायतें आ रही हैं और मंत्रालय उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को भेज रहा है।
उन्होंने कहा,
"मुख्य ध्यान भ्रामक विज्ञापनों, अनुचित व्यापार प्रथाओं और उन मामलों पर है जहां जीएसटी कटौती का लाभ उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली अंतिम कीमतों में नहीं दिख रहा है।"
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सरकार उम्मीद करती है कि उद्योग जगत खुदरा कीमतों में जीएसटी कटौती को दर्शाएंगे। हालांकि इसे लागू करने के लिए सरकार किसी तरह के इंस्पेक्टर राज की स्थापना नहीं करेगी।
सरकार को उम्मीद है कि ब्याज दरों में कटौती का असर चालू त्योहारी सीजन के दौरान और ज्यादा दिखाई देगा। उस समय उपभोक्ता खरीदारी आमतौर पर अपने चरम पर होती है।
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