ट्रंप-युनुस में डील से भारतीय किसानों को लगेगा झटका, बांग्लादेश को अमेरिका बेचने जा रहा 8800 करोड़ रुपये में इसके बीज
अमेरिका ने बांग्लादेश को 1 अरब डॉलर के सोयाबीन बेचने के फैसले से भारत के सोयामील निर्यात पर असर पड़ेगा। बांग्लादेश, जो पहले भारतीय सोयामील का सबसे बड़ा खरीदार था, अब अमेरिका से आयात करेगा। इस कारण 2024-25 में शिपमेंट में 46% की गिरावट आई है। एसओपीए के अनुसार, वैश्विक कीमतों और भू-राजनीतिक कारणों से निर्यात परिदृश्य अनिश्चित है।

नई दिल्ली। अमेरिका का बांग्लादेश को 1 अरब डॉलर (करीब 8,862 करोड़ रुपये) की सोयाबीन बेचने का कदम पड़ोसी देश में भारत के सोयामील निर्यात को प्रभावित करेगा। इससे निर्यातकों की चिंताएं बढ़ गई हैं, जिन्होंने सितंबर में खत्म हुए 2024-25 तेल वर्ष में पहले ही शिपमेंट में सुस्ती देखी थी।
बांग्लादेश पारंपरिक रूप से भारतीय सोयामील का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। लेकिन 2024-25 में शिपमेंट 46 फीसदी घटकर 1.63 लाख टन रह गया, जो पिछले साल 3.02 लाख टन था।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसओपीए) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने कहा कि, ''बांग्लादेश अमेरिका से सस्ती सोयाबीन आयात कर रहा है, जिससे 2024-25 तेल वर्ष में निर्यात गिरा। अब उन्होंने अमेरिका के साथ 1 अरब डॉलर की सोयाबीन खरीद का बड़ा करार किया है, मतलब भारत से नहीं खरीदेंगे यह चिंता की बात है।''
अगले 12 महीनों में 1 अरब डॉलर की अमेरिकी सोयाबीन खरीदेगा
मंगलवार को ढाका में अमेरिकी दूतावास ने घोषणा की कि बांग्लादेश की तीन प्रमुख सोया-क्रशिंग कंपनियों का समूह अगले 12 महीनों में 1 अरब डॉलर की अमेरिकी सोयाबीन खरीदेगा। यह सौदा अहम है क्योंकि ट्रंप प्रशासन के जवाबी टैरिफ और बढ़ते व्यापार तनाव के बीच चीन ने अमेरिकी सोयाबीन की खरीद रोक दी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजिंग ने 19 नवंबर से कुछ कृषि उत्पादों पर टैरिफ हटाने की घोषणा की, लेकिन अमेरिकी सोयाबीन पर 13 फीसदी शुल्क बरकरार रखा, जिससे दक्षिण अमेरिकी आपूर्ति की तुलना में यह कम प्रतिस्पर्धी हो गई। कमजोर निर्यात परिदृश्यये घटनाएं आने वाले साल में भारतीय सोयामील शिपमेंट पर दबाव डालेंगी।
पाठक ने 2025-26 तेल वर्ष के लिए कहा कि अभी निर्यात का परिदृश्य अच्छा नहीं लग रहा। स्थिति अनिश्चित है, कितना निर्यात होगा, कहना मुश्किल है। सब वैश्विक कीमतों पर निर्भर है। अगर कीमतें और बढ़ीं तो हम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।
भारतीय सोयामील वैश्विक बाजार में महंगा है क्योंकि यह नॉन-जीएम है। आम तौर पर यह जीएम सोयामील से करीब 100 डॉलर प्रति टन महंगा पड़ता है।
भारतीय शिपमेंट 5 फीसदी घटकर 20.23 लाख टन रहा
2024-25 तेल वर्ष में भारतीय शिपमेंट 5 फीसदी घटकर 20.23 लाख टन रहा, जो पिछले साल 21.28 लाख टन था। ईरान और बांग्लादेश से मांग घटने की मुख्य वजह थी। हालांकि जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड्स जैसे यूरोपीय खरीदारों की मजबूत मांग ने गिरावट की भरपाई की।
पाठक ने कहा कि, ''यूरोपीय संघ वन कटाई विनियमन (ईयूडीआर) लागू होने से पहले खरीदारों ने अपनी स्थिति मजबूत की।'' जर्मनी को निर्यात चार गुना बढ़कर 4.10 लाख टन से ज्यादा हो गया (1.04 लाख टन से), फ्रांस को तीन गुना बढ़कर 2.23 लाख टन (68,332 टन से) और नीदरलैंड्स को दोगुना से ज्यादा 1.11 लाख टन (50,856 टन से)।
ईरान को निर्यात में गिरावट को पाठक ने भू-राजनीतिक स्थिति से जोड़ा। ईरान को हमेशा विदेशी मुद्रा भुगतान की दिक्कत रहती है और प्रतिबंधों से व्यापार जोखिम भरा है। ऐसे में निर्यातक जोखिम नहीं लेना चाहते। इस बीच भारतीय सोयामील उद्योग ईयूडीआर अनुपालन की तैयारी कर रहा है।
पाठक ने कहा कि हम कई पहलुओं पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मुझे लगता है हम ईयूडीआर का पालन कर निर्यात जारी रख पाएंगे। मध्य प्रदेश सरकार हमें इन नियमों में बहुत मदद कर रही है।
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