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    'बाहर से डॉक्टर, इंजीनियर अमेरिका नहीं आए तो हमारा निवेश...' H-1B वीजा पर US कंपनियों ने ट्रंप को चेताया

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 04:13 PM (IST)

    अमेरिका में एच-1बी वीजा (H-1B visa fee) पर ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए भारी शुल्क से उद्योग जगत में चिंता है। हाई-स्किल्ड प्रोफेशनल्स पर निर्भर कंपनियों को डर है कि इससे टैलेंट पाइपलाइन तबाह हो सकती है। कई कंपनियों और इंडस्ट्री समूहों ने इस फैसले का विरोध किया है उनका कहना है कि इससे अमेरिकी कंपनियों के लिए स्किल्ड टैलेंट तक पहुंच मुश्किल हो जाएगी और अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।

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    डॉक्टरों से लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों तक, अमेरिका में आवश्यक नौकरियों पर खालीपन का खतरा गहराने लगा है।

    नई दिल्ली। अमेरिका में H-1B वीजा (H-1B visa fee) पर ट्रंप प्रशासन के भारी-भरकम $100,000 (करीब 83 लाख रुपये) शुल्क ने उद्योग जगत में हड़कंप मचा दिया है। हाई-स्किल्ड विदेशी प्रोफेशनल्स पर निर्भर कंपनियों को डर सता रहा है कि कहीं यह फैसला उनकी टैलेंट पाइपलाइन को तबाह न कर दे। AI, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर और टेक्नोलॉजी जैसे आधुनिक सेक्टर में जहां हर दिन नई खोजें हो रही हैं, वहां अचानक यह नई नीति एक बड़े संकट का संकेत बन गई है।

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    डॉक्टरों से लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों तक, अमेरिका में आवश्यक नौकरियों पर खालीपन का खतरा गहराने लगा है और देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर भी सवाल उठने लगे हैं।

    ऐसे में देश की कई बड़ी कंपनियों और इंडस्ट्री एसोसिएशनों ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है, जो ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर असहमति मानी जा रही है।

    उद्योग संगठनों का ट्रंप को पत्र

    चिपमेकर, सॉफ्टवेयर कंपनियों और रिटेल सेक्टर से जुड़े करीब दर्जनभर इंडस्ट्री संगठनों ने ट्रंप को एक पत्र लिखकर कहा है कि यह नई फीस अमेरिकी कंपनियों के लिए स्किल्ड विदेशी टैलेंट तक पहुंच को मुश्किल बना सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा और कई अहम पद खाली रह सकते हैं।

    पत्र में कहा गया, "हम चाहते हैं कि प्रशासन, H-1B वीजा कार्यक्रम में जरूरी सुधारों को लागू करते समय उद्योग की चुनौतियों को समझे और ऐसे बदलाव न लाए जो टैलेंट को भर्ती, ट्रेन और बनाए रखने में बाधा बनें।"

    इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में बिजनेस सॉफ्टवेयर एलायंस, सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SEMI), नेशनल रिटेल फेडरेशन, एंटरटेनमेंट सॉफ्टवेयर एसोसिएशन और सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग परिषद जैसे नाम शामिल हैं।

    हाई-टेक सेक्टर्स पर असर

    H-1B वीजा में यह बड़ा बदलाव, खासकर AI, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों पर सीधा असर डाल सकता है। SEMI ने चेतावनी दी कि इससे अमेरिका की लीडरशिप इन क्षेत्रों में कमजोर पड़ सकती है।

    पत्र में कहा गया है कि "नई H-1B वीजा नीति, प्रशासन के उन लक्ष्यों को नुकसान पहुंचाएगी जो अमेरिका को AI में अग्रणी बनाए रखने, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को पुनर्जीवित करने और ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति को लेकर हैं।"

    स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण इलाकों पर खतरा

    नर्सिंग एजेंसी और कुछ यूनियनों ने इस फैसले को फेडरल कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि यह नीति खासकर ग्रामीण अस्पतालों के लिए खतरनाक हो सकती है। इन इलाकों में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है, और H-1B वीजा के जरिए वहां विदेशी डॉक्टरों की नियुक्ति की जाती है।

    हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने यह कहा है कि डॉक्टरों को नई फीस से छूट दी जा सकती है।

    व्हाइट हाउस का बचाव

    व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि "वीजा से जुड़ी धोखाधड़ी अमेरिकी वर्कफोर्स को नुकसान पहुंचाती है। यह नीति कंपनियों को असली टैलेंट तक पहुंचने में मदद करेगी और सिस्टम के दुरुपयोग को रोकेगी।"

    बड़ी कंपनियों की चिंता

    Microsoft, Amazon, Walmart, Target और Macy’s जैसी बड़ी कंपनियां H-1B वीजा पर काफी हद तक निर्भर रही हैं। इनके लिए यह नई फीस टैलेंट पाइपलाइन में बाधा बन सकती है।

    इतना ही नहीं, ट्रंप की घोषणा के बाद कई कंपनियों ने अपने H-1B वीजा होल्डर कर्मचारियों को अमेरिका से बाहर न जाने की सलाह भी दी है।

    बिजनेस समूहों ने साफ किया है कि वे H-1B प्रोग्राम में सुधारों के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए प्रशासन और उद्योग के बीच संवाद जरूरी है। उनका मानना है कि इस तरह का एकतरफा कदम अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे कर सकता है।

    पत्र की कॉपियां होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी भेजी गई हैं।

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