US को झटका देकर भारत आ रही 140 साल पुरानी दवा कंपनी, 8800 करोड़ का खेलेगी दांव; इस शहर में लगाने जा रही यूनिट
अमेरिका की 140 साल पुरानी दवा कंपनी एलि लिली (Eli Lilly) ने सोमवार को ऐलान किया कि वह भारत में 1 बिलियन डॉलर (करीब 8800 करोड़ रुपए) का निवेश करेगी। यह निवेश हैदराबाद में होगा और आने वाले कुछ सालों में नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और क्वालिटी फैसिलिटी के लिए किया जाएगा। कंपनी का यह कदम ऐसे समय आया जब ट्रंप फार्मा सेक्टर पर टैरिफ बम गिराने की तैयारी में हैं।

नई दिल्ली| फार्मा सेक्टर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के 100 फीसदी 'टैरिफ बम' का असर दिखने लगा है। अमेरिकी कंपनियां देश छोड़कर विदेशों का रुख करने लगी हैं। जिसका सीधा फायदा भारत को हो सकता है। दरअसल, अमेरिका की बड़ी दवा कंपनियों में शुमार एलि लिली (Eli Lilly) ने सोमवार को ऐलान किया कि वह भारत में 1 बिलियन डॉलर (करीब 8800 करोड़ रुपए) का निवेश करने जा रही है।
यह निवेश आने वाले कुछ सालों में नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और क्वालिटी फैसिलिटी के लिए किया जाएगा। कंपनी का यह कदम ऐसे समय आया है, जब ट्रंप फार्मा सेक्टर पर टैरिफ बम गिराने (Trump Tariff on Pharma India) की तैयारी में हैं। ऐसे में एलि लिली का भारत रुख, 'मेक इन इंडिया' अभियान को बड़ा बूस्टर देने वाला साबित हो सकता है।
कैंसर समेत कौन-कौन सी दवाएं बनाती है कंपनी?
Eli Lilly के मुताबिक, यह निवेश कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करेगा और दुनियाभर के मरीजों तक मोटापे, डायबिटीज, अल्जाइमर, कैंसर और ऑटोइम्यून बीमारियों की दवाएं पहुंचाने में मदद करेगा। यह निवेश भारत के हेल्थकेयर सेक्टर को ग्लोबल लेवल पर नई पहचान देने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
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140 साल पुरानी है कंपनी, 47000 कर्मचारी काम करते हैं
Eli Lilly अमेरिका की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और इसकी गिनती टॉप-5 बड़ी कंपनियों में होती है। इसका मार्केट कैप 795 बिलियन डॉलर यानी करीब 70 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। 140 साल पुरानी कंपनी के 18 देशों में ऑफिस हैं और करीब 125 देशों में दवाएं सप्लाई करती है। कंपनी के पास करीब 47,000 कर्मचारियों का वर्क फोर्स है।
कंपनी को भाया इंडियन टैलेंट और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर
एलि लिली ने कहा कि भारत में निवेश करने का फैसला देश की कुशल टैलेंट, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकार की बिजनेस फ्रेंडली नीतियों पर भरोसे को दिखाता है। कंपनी भारत को अपने वैश्विक हेल्थकेयर नेटवर्क का बड़ा केंद्र बनाना चाहती है।
वहीं, इन्वेस्ट इंडिया की सीईओ (Invest India CEO) निवृति राय ने कहा,
"Eli Lilly का निवेश भारत की क्षमता और नीतिगत स्थिरता पर उनके भरोसे को दर्शाता है। यह न केवल हेल्थकेयर को मजबूत करेगा, बल्कि देश में मैन्युफैक्चरिंग को भी गति देगा।”
हैदराबाद में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाएगी दवा कंपनी
कंपनी ने बताया कि वह हैदराबाद में नई मैन्युफैक्चरिंग और क्वालिटी फैसिलिटी स्थापित करेगी। यह हब पूरे भारत में Eli Lilly के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क की निगरानी करेगा और उन्नत तकनीकी सुविधाएं प्रदान करेगा।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का कहना है कि,
"Eli Lilly का विस्तार दिखाता है कि हैदराबाद अब ग्लोबल हेल्थकेयर इनोवेशन का पावरहाउस बन चुका है। हाल ही में कंपनी ने यहां इनोवेशन साइट शुरू की थी और अब नया मैन्युफैक्चरिंग हब भी आ रहा है।"
कंपनी ने बताया कि वह तुरंत इंजीनियर, केमिस्ट, एनालिटिकल साइंटिस्ट, क्वालिटी कंट्रोल और मैनेजमेंट जैसे पदों पर भर्ती शुरू करेगी। Eli Lilly इंटरनेशनल के प्रेसिडेंट पैट्रिक जॉनसन ने कहा,
"यह निवेश भारत को हमारे ग्लोबल नेटवर्क का अहम हिस्सा बनाएगा। हमें विश्वास है कि भारत हेल्थकेयर मैन्युफैक्चरिंग का नया केंद्र बनेगा।"
ट्रंप की नीतियों के बीच अमेरिकी कंपनियों का भारत में बढ़ता निवेश साफ इशारा देता है कि दुनिया की नजर अब भारत को ‘फार्मा हब’ के रूप में देख रही है।
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