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    Indian Economy: नकदी संकट से गुजर रहे भारतीय बैंक; क्या होगा इसका असर, ग्राहकों को फायदा या नुकसान

    By JagranEdited By: Abhinav Shalya
    Updated: Sat, 24 Sep 2022 01:01 PM (IST)

    Indian Economy देश में लोन और डिपाजिट ग्रोथ में बड़ा अंतर देखने को मिला रहा है। इसके कारण भारतीय बैंकों को नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि इस समस्या जल्द समाधान करने की जरूरत है।

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    Tightening liquidity may force Indian banks to raise interest rate

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय बैंकों की आने वाले समय में जमा को लेकर मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि तेजी से बढ़ रही लोन की मांग के मुकाबले देश में जमा में वृद्धि नहीं हो रही है। आने वाले समय में जमा आकर्षित करने को लेकर भारतीय बैंकों के बीच गलाकाट मुकाबला देखने को मिल सकता है।

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    रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में भारत बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी 40 महीनों में पहली बार नकारात्मक स्तर पर पहुंच गई है। इस कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को सिस्टम में फंड डालना पड़ा था।

    भारत में लोन ग्रोथ

    मौजूदा समय में भारत में लोन ग्रोथ कई सालों के उच्चतम स्तर पहुंच गई है। मैक्वेरी के फाइनेंशियल रिसर्च हेड सुरेश गणपति ने रॉयटर्स से बातचीत करते हुए कहा कि हमें लगता है कि इस समय सबसे बड़ी चुनौती डिपाजिट और लोन ग्रोथ के बीच में अंतर होना है। आरबीआई के मुताबिक, डिपाजिट ग्रोथ 9.5 प्रतिशत है, जबकि लोन ग्रोथ 15.5 प्रतिशत पर है।

    उन्होंने आगे कहा कि भारत में आगे त्योहारी सीजन आने वाला है, ऐसे में लोग अधिक मात्रा में अपने पास कैश को रखना चाहेंगे और लोन की मांग भी बढ़ने की संभावना है। इससे ये इससे स्थिति और खराब हो सकती है।

    बैंक नहीं बढ़ रहे ब्याज

    एलएंडटी फाइनेंशियल होल्डिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट रूपा रेगे नित्सुरे का कहना है कि बैंकों ने पिछले कुछ समय में ब्याज दरों में लिक्विडिटी अधिक होने के कारण काफी कम इजाफा किया है। हालांकि लोन की ब्याज दरों में लगातार इजाफा हो रहा है। इसे बदलना चाहिए। बैंकों की थोक जमाओं पर निर्भरता अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है।

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