वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाजी होगा, विशेषज्ञ बोले- अमेरिका के उच्च टैरिफ का दिखेगा असर
हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाने और बढ़ाने का एलान किया। अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के बाद दुनिया के कई देशों में इसका वैश्विक व्यापार सप्लाई चेन और आर्थिक वृद्धि पर बड़ा प्रभाव होगा। इससे महंगाई बढ़ने की प्रबल संभावना है। केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों में नरमी लाने की गति धीमी हो सकती है।

एएनआई, नई दिल्ली। इस बात की चिंता बढ़ रही है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। कुछ विशेषज्ञ तो मंदी की संभावना के बारे में भी चेतावनी दे रहे हैं। इस चिंता के पीछे मुख्य कारण हाल ही में अमेरिका की ओर से उच्च टैरिफ लगाने की घोषणा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह टैरिफ अपने तय समयानुसार अप्रैल में लागू होते हैं तो इसका वैश्विक व्यापार, सप्लाई चेन और आर्थिक वृद्धि पर बड़ा प्रभाव होगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भी वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगा।
अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ का दिखेगा असर
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि अमेरिका की ओर से लगाए जाने वाले उच्च टैरिफ से महंगाई प्रभावित होने की संभावना है। इससे दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों में नरमी लाने की गति धीमी हो सकती है।
उन्होंने कहा कि इस समय सभी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम करके विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लेकिन टैरिफ में वृद्धि इस प्रक्रिया को बाधित कर सकती है। जो देश निर्यात पर अत्यधिक निर्भर हैं, उन्हें गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उनकी आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
US टैरिफ से कई देशों में मंदी के आसार
भारत एक घरेलू अर्थव्यवस्था होने के नाते विकास के मोर्चे पर काफी हद तक सुरक्षित रहेगा। हालांकि, मुद्रा में तेज उतार-चढ़ाव दिखाई देगा। बैंकिंग और वैश्विक बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने बताया कि अमेरिकी टैरिफ का असर इतना गंभीर हो सकता है कि दुनिया के बड़े हिस्से मंदी की चपेट में आ सकते हैं।
कई देशों का उत्पादन एक दूसरे से जुड़ा
आज की दुनिया आपस में जुड़ी है और उत्पादन कई देशों में फैला हुआ है। उदाहरण के लिए, कच्चे माल को एक देश से मंगाया जा सकता है, दूसरे देश में संसाधित किया जा सकता है और फिर अलग-अलग जगहों पर इकट्ठा किया जा सकता है।
इस वैश्विक सप्लाई चेन में कोई भी व्यवधान आर्थिक गतिविधि को धीमा कर सकता है और कुछ क्षेत्रों में नकारात्मक वृद्धि का कारण भी बन सकता है। उन्होंने कहा कि यह कुछ क्षेत्रों में गिरावट और मंदी की ओर ले जाने की हद तक विघटनकारी साबित हो सकता है।
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