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SEBI ने किया नियमों में संशोधन, बदल जाएगा स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और उन्हें हटाने का तरीका

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज कई नियमों में बदलाव कर दिया है। इसके तहत अब स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति का तरीका बदल जाएगा। इनको हटाने और नियुक्त करने का तरीका बदल जाएगा। सेबी ने सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों वाली संस्थाओं से संबंधित नियम भी बदल दिए हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Tue, 15 Nov 2022 05:24 PM (IST)Updated: Tue, 15 Nov 2022 05:24 PM (IST)
Sebi amends rules introduces new option for appointment and removal of independent directors

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति से संबंधित नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। सेबी ने कंपनियों के बोर्ड से स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और उन्हें हटाने के लिए एक नया विकल्प पेश किया है। सेबी ने कहा है कि निदेशकों की नियुक्ति और उन्हें हटाने की प्रक्रिया लचीली बनाई जाएगी।

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सेबी ने कहा है कि नई व्यवस्था के तहत स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और उनका निष्कासन दो मापदंडों के माध्यम से किया जा सकता है- सामान्य समाधान और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के बहुमत के जरिए। वर्तमान में, स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति या निष्कासन एक विशेष प्रस्ताव के माध्यम से किया जाता है। विशेष प्रस्ताव पारित करने के लिए कंपनी के बोर्ड से 75 प्रतिशत वोटों की आवश्यकता होती है।

क्या है सेबी का नया नियम

सेबी ने मंगलवार को नियामक द्वारा सार्वजनिक की गई एक अधिसूचना के अनुसार, LODR (लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स) नियमों में संशोधन किया गया है। इसके तहत निदेशकों की नियुक्ति के लिए अब एक वैकल्पिक तंत्र अपनाया जाएगा। सेबी ने कहा कि यदि स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति के लिये विशेष प्रस्ताव को जरूरी बहुमत नहीं मिलता है, लेकिन प्रस्ताव के पक्ष में डाले गए वोट, उसके खिलाफ डाले गए मतों से अधिक हैं और सार्वजनिक शेयरधारकों के पक्ष में किया गया मतदान, खिलाफ में डाले गए वोट से अधिक हैं, तो माना जाएगा कि स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति को मंजूरी मिल गई है।

वैकल्पिक तंत्र के तहत नियुक्त स्वतंत्र निदेशक को हटाने के लिए भी यही सीमा लागू होगी।

इन नियमों में भी हुआ बदलाव

सेबी ने सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों वाली संस्थाओं से संबंधित नियम भी बदल दिए हैं। सूचीबद्ध इकाई एनसीएलटी के साथ तब तक कोई अरेंजमेंट दाखिल नहीं करेगी जब तक कि उसे स्टॉक एक्सचेंजों से अनापत्ति पत्र प्राप्त नहीं हो जाता। अनुमोदन प्राप्त करने के समय सूचीबद्ध इकाई को एनसीएलटी के समक्ष अनापत्ति पत्र प्रस्तुत करना होगा। स्टॉक एक्सचेंज के 'नो ऑबजेक्शन प्रमाण पत्र' की वैधता जारी होने की तारीख से छह महीने होगी, जिसके भीतर व्यवस्था का मसौदा सूचीबद्ध इकाई द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के साथ शेयर करना होगा।

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