रूस से किस भारतीय प्राइवेट कंपनी ने खरीदा सबसे ज्यादा तेल, सामने आया नाम, अब टैरिफ से मुनाफा और मार्जिन दोनों गिरने का डर
Top buyer of Russian Oil रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार रूस से आयात होने वाले तेल की भारत में सबसे बड़ी खरीदार रिलायंस इंडस्ट्रीज है। पिछले साल रूसी तेल दिग्गज रोसनेफ्ट ने रिलायंस को प्रतिदिन लगभग 500000 बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे - जो दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा ऊर्जा समझौता है।

नई दिल्ली। भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इतना नागवार लग रहा है कि उन्होंने बौखलाहट में भारत पर पहले 25 फीसदी टैरिफ लगाया, और इसके बाद उसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। लेकिन, क्या आप जानते हैं रूस से आयात होने वाले तेल को किस भारतीय प्राइवेट कंपनी ने सबसे ज्यादा खरीदा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी तेल की भारत की सबसे बड़ी खरीदार रिलायंस इंडस्ट्रीज है। अब इस मामले को लेकर बढ़े जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने चेतावनी दी है कि टैरिफ संबंधी अनिश्चितता 'ग्लोबल ट्रेड फ्लो' को बाधित कर सकती है, और इससे एनर्जी सेक्टर में डिमांड व सप्लाई का संतुलन बिगड़ सकता है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी एनुअल रिपोर्ट में कहा कि मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव, शिपिंग मार्गों में बदलाव, ओपेक और नॉन-ओपेक देशों के ऑयल प्रोडक्शन से जुड़े निर्णय, नई क्षमता वृद्धि, प्रतिबंधों और टैरिफ में बदलाव व चीन की आर्थिक सुधार की गति के कारण वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं।
2025 के पहले 6 महीने में कितनी सप्लाई
रॉयटर्स के अनुसार, रूस 2025 की पहली छमाही में भारत को लगभग 35 प्रतिशत तेल की आपूर्ति की, जो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से आयात होने वाले तेल से ज्यादा है। पिछले साल, रूसी तेल दिग्गज रोसनेफ्ट ने रिलायंस को प्रतिदिन लगभग 5,00,000 बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे - जो दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा ऊर्जा समझौता है।
रॉयटर्स के एलएसईजी शिप ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, रिलायंस ने इस वर्ष के पहले सात महीनों में यूरोप को प्रति माह औसतन 2.83 मिलियन बैरल डीजल और 1.5 मिलियन बैरल जेट ईंधन भेजा।
पोर्टफोलियो मैनेजर प्रमोद गुब्बी ने अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ का हवाला देते हुए रॉयटर्स से कहा, "अगर हम अमेरिकी दबाव में झुक गए, तो हमें सस्ते रूसी कच्चे तेल तक पहुँच खोने का खतरा है, जिससे रिफाइनिंग मार्जिन कम हो सकता है। यह रिलायंस और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए एक जोखिम है।"
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