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    Reliance ने इसलिए नहीं भरा था 30 साल तक Corporate Tax, फिर धीरूभाई ने बदली रणनीति, जानिए इतिहास

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 02:36 PM (IST)

    रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने 30 सालों तक टैक्स नहीं भरा। ऐसा रिलायंस ने 1966 से 1996 तक किया। मगर फिर धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने स्ट्रेटेजी बदली। इस समय रिलायंस देश की सबसे अधिक टैक्स भरने वाली कंपनी (Highest Tax Paying Company in India) है। FY24 में रिलायंस ने 25707 करोड़ रुपए का टैक्स भरा।

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    रिलायंस इंडस्ट्रीज है भारत में सबसे अधिक टैक्स भरने वाली कंपनी

    नई दिल्ली। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) इस समय भारत की सबसे अधिक टैक्स भरने वाली कंपनी (Highest Tax Paying Company in India) है। वित्त वर्ष 2023-24 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 25707 करोड़ रुपए का टैक्स भरा। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि एक समय रिलायंस ने 1-2 नहीं बल्कि पूरे 30 साल तक टैक्स ही नहीं भरा। जी हां कंपनी ने 30 साल शून्य टैक्स दिया। इतना ही नहीं, इस मामले पर सरकार भी चुप रही और रिलायंस ने भी कोई हेरा-फेरी नहीं की। फिर कैसै हुआ ये मुमकिन, आइए आपको बताते हैं।

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    30 साल बाद कितना भरा टैक्स

    साल 1966 से 1996 तक रिलायंस ने कोई टैक्स (Corporate Income Tax) नहीं भरा था। इसके बाद कंपनी ने वित्त वर्ष 1996-97 के लिए करीब 50 करोड़ रु का टैक्स भरा। 30 साल तक रिलायंस एक जीरो-टैक्स कंपनी बनी रही। इसने प्रोडक्टिव एसेट्स में निवेश से संबंधित टैक्स कानूनों के तहत सरकारी नीतियों और इंसेंटिव्स का फायदा लिया और टैक्स से बची रही।

    30 साल बाद क्यों भरा टैक्स

    30 साल बाद रिलायंस ने कॉरपोरेट टैक्स भरने का फैसला किया। दरअसल बजट 1997-98 में टैक्स रेट 35 प्रतिशत पर आ गई थीं, जिन्हें थोड़ा उचित माना जा रहा था। दूसरे रिलायंस ने इंटरनेशनल निवेशकों के बीच अपनी छवि सुधारने के तहत भी टैक्स भरने का फैसला लिया।

    साल 1996 की अप्रैल-सितंबर छमाही के लिए रिलायंस ने 3900 करोड़ रुपये की सेल्स दर्ज की थी और 651 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हासिल किया था।

    आयकर विभाग ने पेश किया नया नियम

    फिर भारतीय आयकर विभाग (Income Tax Department) ने न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternative Tax) नियम लागू किया। ये उन कंपनियों से टैक्स वसूलने के लिए शुरू किया गया, जो शेयरधारकों को डिविडें तो दे रही थीं, मगर सरकार को टैक्स नहीं।