'हम से सरकार ने नहीं मांगे 30 अरब डॉलर' ... मुकेश अंबानी की रिलायंस ने क्यों किया ये एलान? समझिए पूरा मामला
रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने KG-D6 ब्लॉक से कम गैस निकालने के लिए सरकार द्वारा 30 बिलियन डॉलर के मुआवजे की रिपोर्ट को गलत बताया है। कंप ...और पढ़ें

रिलायंस ने KG-D6 ब्लॉक पर दी अपडेट
नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उस रिपोर्ट को गलत बताया, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने कंपनी से उसके KG-D6 ब्लॉक से अनुमानित रिजर्व से कम गैस निकालने के लिए 30 बिलियन डॉलर (2.70 लाख करोड़ रुपये) का मुआवजा मांगा है।
KG-D6 फील्ड की ऑपरेटर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सोमवार को एक बयान में कहा है कि रिलायंस और BP के खिलाफ 30 बिलियन डॉलर का कोई दावा नहीं है। KG-D6 ब्लॉक के मामले में भारत सरकार का दावा $247 मिलियन (2,222.6 करोड़ रुपये) का है, जिसका कंपनी के सालाना ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट में सही और लगातार खुलासा किया गया है।
कितना पुराना है ये मामला?
मुआवजे का दावा एक ऐसे विवाद से जुड़ा है, जो एक दशक से भी अधिक पुराना है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब सरकार ने KG-D6 ब्लॉक में ड्रिलिंग और निकासी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए रिलायंस, BP और निको के ग्रुप द्वारा पहले से किए गए निवेश के एक हिस्से को मंजूरी नहीं दी।
यह फील्ड प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट के तहत आता है, जिसके तहत कंपनियों को सरकार के साथ पहले से तय अनुपात में मुनाफा बांटने से पहले अपनी लागत वसूल करने की इजाजत होती है।
2016 से चल रही मध्यस्थता की कार्यवाही
आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता) की कार्यवाही 2016 से चल रही है, फाइनल सुनवाई पूरी हो चुकी है और अगले साल फैसला आने की उम्मीद है। कंपनी ने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपने पार्टनर BP के साथ मिलकर हमेशा अपने कॉन्ट्रैक्ट और कानूनी जिम्मेदारियों को पूरा किया है। कंपनी ने 30 बिलियन डॉलर का दावा करने वाली रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताई है।
क्या है रिलायंस की आपत्ति?
रिलायंस ने कहा है कि जियोलॉजिकल सरप्राइज की वजह से KG-D6 ब्लॉक से गैस का प्रोडक्शन कम हुआ है और इसने सरकार द्वारा कॉस्ट रिकवरी से इनकार को गलत बताया है, जिससे मामला आर्बिट्रेशन तक पहुंच गया है। प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट के तहत, दो सरकारी प्रतिनिधियों वाले मैनेजमेंट पैनल का सभी फैसलों पर आखिरी फैसला होता है, और ऑपरेटर उसकी मंजूरी के बिना खर्च नहीं कर सकता। RIL ने तर्क दिया है कि इसलिए, जो खर्च पहले ही हो चुका था, उसे नामंजूर करना गलत था।

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