अभी और कम होंगी ब्याज दरें? टैरिफ की चुनौती से लेकर रुपये की कमजोरी पर RBI गवर्नर ने कही ये बात
फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सेंट्रल बैंक की पॉलिसी लेकर टैरिफ और रुपये की कमजोरी पर अपनी बात रखी। इस दौरा ...और पढ़ें

नई दिल्ली। आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor) ने इस बात के संकेत दिए हैं कि ब्याज दरें लंबे समय तक कम रह सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्र फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआइ के आर्थिक अनुमानों (RBI on Economic Forecast) में उन व्यापार समझौतों के असर को शामिल नहीं किया गया है, जिन पर अभी बातचीत चल रही है।
अगर इन समझौता पर हस्ताक्षर हो जाते हैं तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर में इजाफा होगा। आरबीआइ गवर्नर ने कहा, 'अगर अमेरिका से व्यापार समझौता हो जाता है तो अर्थव्यवस्था पर लगभग आधा प्रतिशत का असर दिखाई देगा।'
'GDP के आंकड़े हैरान करने वाले'
इंटरव्यू के दौरान संजय मल्होत्रा ने इस बात को स्वीकार किया कि दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े वाकई हैरान करने वाले थे। हमने जुलाई-सितंबर तिमाही में सात प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का अनुमान लगाया था, लेकिन अब हमें अपने अनुमान में सुधार करना होगा।' जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है, लेकिन आगे चलकर वृद्धि दर धीमी होने की उम्मीद है, क्योंकि अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का पूरा असर अगली तिमाही में दिखाई देगा।
किस सेक्टर पर टैरिफ का ज्यादा असर?
अमेरिकी टैरिफ का सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल से लेकर केमिकल तक के सेक्टर पर पड़ेगा। फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए दंडात्मक टैरिफ के दबाव में है, जिससे इसका व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है और इसकी मुद्रा रिकार्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। दिसंबर की शुरुआत में आरबीआइ ने रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की और आगे और कमी करने का रास्ता खुला रखा है।
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बता दें कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है और यह अब तक का सबसे निचला स्तर छू चुका है। हालांकि, 17 दिसंबर को आरबीआई के दखल के बाद रुपये में आई रिकवरी देखने को मिली है।

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