जानबूझ कर कर्ज लौटाने वालों को राहत नहीं, ग्राहकों की संपत्ति होगी जब्त; नाम भी किया जाएगा सार्वजनिक
देश के बैंकिंग सेक्टर में फंसे कर्जे (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स- NPA) का स्तर भले ही पिछले एक दशक के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गया है लेकिन एनपीए को घटाने की कोशिश में आरबीआई की तरफ से कोई ढिलाई के संकेत नहीं है। RBI का यह निर्देश तब आया है जब वह जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाले ग्राहकों की परिभाषा को ज्यादा व्यापक बनाने की प्रक्रिया शुरू की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के बैंकिंग सेक्टर में फंसे कर्जे (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स- NPA) का स्तर भले ही पिछले एक दशक के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गया है, लेकिन एनपीए को घटाने की कोशिश में आरबीआई की तरफ से कोई ढिलाई के संकेत नहीं है।
जान बूझ कर कर्ज लौटाने वालों को राहत नहीं
एक तरफ केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और एनबीएफसी को निर्देश दिया है कि अगर किसी ग्राहक की परिसंपत्ति को कर्ज नहीं चुकाने की वजह से प्रतिभूति कानून (SARFAESI एक्ट) के तहत जब्त किया गया है तो उसके सारी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। यह साफ किया गया है कि केंद्रीय बैंक की तरफ से निगमति हर बैंक या वित्तीय संस्थान को इस तरह की परिसंपत्तियों, कर्ज लेने वाले ग्राहक, उसकी गारंटी देने वाले व्यक्ति, ग्राहक व गारंटी देने वाले व्यक्ति का पता, बकाया राशि, उसकी कर्ज की स्थिति आदि की विस्तृत जानकारी आनलाइन भी देनी होगी।
पिछले हफ्ते आरबीआई ने जारी किए थे निर्देश
RBI का यह निर्देश तब आया है जब वह जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाले ग्राहकों (विलफुल डिफॉल्टर्स) की परिभाषा को ज्यादा व्यापक बनाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। पिछले हफ्ते ही आरबीआई ने इस बारे में नये निर्देश पर विमर्श करने के लिए एक ड्राफ्ट प्रपत्र जारी किया है। इसमें आरबीआई ने साफ किया है कि वह 25 लाख रुपये से ज्यादा का बैंकिंग कर्ज नहीं लौटाने वाले ग्राहकों को उसके कर्ज खाते को एनपीए घोषित होने के छह महीने के भीतर 'विलफुल डिफॉल्टर्स' घोषित किया जा सकेगा।
हर बैंक में एक समिति का होगा गठन
मौजूदा नियम के मुताबिक, इस बारे में कोई समय सीमा नहीं है। इसका फायदा बैंक ग्राहकों को मिल जाता है। आरबीआई ने नये नियम को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने का प्रावधान भी प्रस्तावित किया है, जिसमें जिस बैंक से कर्ज लेने वालों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। इसका फैसला करने के लिए हर बैंक में एक समिति का गठन होगा। लेकिन इसके साथ ही आरबीआई का नया नियम यह भी सुनिश्चित करता है कि जान बूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वालों को दूसरे बैंक या वित्तीय संस्थान भी कर्ज नहीं देंगे।
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2023 तक लागू होने की संभावना
कर्ज लेने वाली मूल कंपनी की सब्सिडियरियों के लिए भी कर्ज लेना आसान नहीं होगा। उक्त प्रस्तावित नियम के दिसंबर, 2023 तक लागू होने की संभावना है। इस बीच प्रतिभूति कानून के तहत कर्ज नहीं चुकाने वालों के नाम को सार्वजनिक करने का नया फैसला भी एनपीए के खिलाफ मौजूदा प्रबंधन को बेहतर बनाने के तौर पर देखा जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने दी थी नकारात्मक रिपोर्ट
सनद रहे कि मार्च, 2023 के आंकड़े बताते हैं कि सरकारी बैंकों में एनपीए का स्तर 3.1 फीसद पर आ गया था जो पिछले एक दशक का सबसे न्यूनतम एनपीए है। वर्ष 2018 में यह 11.8 फीसद था। कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर को लेकर बेहद नकारात्मक रिपोर्टें दी थी। हालात इतने खराब हो गये थे कि कई सरकारी बैंकों को नये कर्ज वितरण पर रोक लगानी पड़ी थी। अब एनपीए की स्थिति सुधर रही है। उक्त ताजे कदमों से साफ है कि आरबीआई एनपीए को लेकर कोई नया जोखिम लेने के मूड में नहीं है। खास तौर पर तब जब पिछले एक वर्ष से बैंकिंग कर्ज की रफ्तार में लगातार तेज बनी हुई है।
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