ट्रंप से दोस्ती बढ़ते ही पाकिस्तान ने US के सामने फैलाया हाथ, अरब सागर में बंदरगाह बनाने के लिए मांगे 1.2 अरब डॉलर
पाकिस्तान अमेरिका के सामने नए वादे करके अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करना चाहता है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने ट्रंप प्रशासन को अरब सागर में बंदरगाह विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। इस परियोजना का उद्देश्य बलूचिस्तान के खनिजों तक अमेरिकी पहुंच को सुगम बनाना है। पासनी बंदरगाह ग्वादर के पास स्थित है और चीन के प्रभाव को कम करने का एक विकल्प हो सकता है।

नई दिल्ली। पाकिस्तान एक बार फिर वाशिंगटन के सामने नए-नए वादे पेश करके अपनी रणनीतिक अहमियत को फिर से स्थापित करने की बेताब कोशिश कर रहा है। ट्रंप से दोस्ती बढ़ते ही उसने एक बार फिर से अमेरिका के सामने हाथ फैला दिया है। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अपने सलाहकारों के जरिए ट्रंप प्रशासन से अरब सागर में बंदरगाह के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा है।
1.2 अरब डॉलर तक की लागत वाली इस परियोजना को पाकिस्तान के तथाकथित महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र तक अमेरिकी पहुंच के द्वार के रूप में तैयार किया गया है। पाकिस्तान अमेरिकी राष्ट्रपति को यह ऑफर देकर उन्हें लुभाने की कोशिश कर रहा है।
बलूचिस्तान को जोड़ेगा बंदरगाह
इस योजना में अमेरिकी निवेशकों से बलूचिस्तान के ग्वादर जिले के बंदरगाह शहर पासनी में एक टर्मिनल विकसित करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। इससे पहले अमेरिका और पाकिस्तान के बीच जुलाई के अंत में एनर्जी डील हुई थी।
अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगा यह प्रांत बलूच समूहों द्वारा लंबे समय से चल रहे विद्रोह और पाकिस्तानी सरकार द्वारा मानवाधिकारों के हनन के आरोपों से अशांत बना हुआ है।
पासनी, ग्वादर से केवल 70 मील की दूरी पर है। चीन समर्थित यह बंदरगाह, जिसे वाशिंगटन लंबे समय से बीजिंग के लिए संभावित दोहरे उपयोग वाली सुविधा मानता रहा है, ईरान की सीमा से बमुश्किल 100 मील की दूरी पर है। फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा प्राप्त इस ब्लूप्रिंट में पासनी को ग्वादर के प्रतिकार और पाकिस्तान की लड़खड़ाती कूटनीति के लिए एक बचाव के रूप में चित्रित किया गया है।
दस्तावेज में लिखा है, "ईरान और मध्य एशिया से पासनी की निकटता व्यापार और सुरक्षा के लिए अमेरिका के विकल्पों को बढ़ाती है।"
ट्रंप को लुभाने की कोई भी कोशिश नहीं छोड़ रहा पाकिस्तान
यह बंदरगाह योजना पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा ट्रंप प्रशासन के साथ संबंधों को मजबूत करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। अन्य पहलों में ट्रंप समर्थित क्रिप्टोकरेंसी परियोजना पर सहयोग, अफगानिस्तान स्थित आतंकवादी समूह आईएसआईएस-के के खिलाफ गहन सहयोग, उनकी गाजा शांति योजना के लिए समर्थन और महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच शामिल हैं।
अमेरिकी और पाकिस्तानी राजनयिकों ने मुनीर और ट्रंप के बीच संबंधों को "भाईचारा" बताया है। मई में ट्रंप ने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध विराम कराने का क्रेडिट लिया था। मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप का शुक्रिया अदा किया और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया।
यह पहल आधिकारिक पाकिस्तानी नीति नहीं है, और ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी इस बात से इनकार करते हैं कि मुनीर की हालिया व्हाइट हाउस बैठक में इस विचार पर चर्चा हुई थी। फिर भी, फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि मुनीर के सलाहकारों ने डोनल्ड ट्रंप के साथ उनकी मुलाकात से पहले यह प्रस्ताव साझा किया था।
अमेरिका को है चीन का डर
ग्वादर को लेकर वाशिंगटन की चिंताएं लंबे समय से हैं। अमेरिकी अधिकारियों को डर है कि यह चीनी नौसैनिक अड्डे में तब्दील हो सकता है, हालांकि इस्लामाबाद और बीजिंग दोनों ही इससे इनकार करते हैं। पसनी को "गैर-सैन्य" विकल्प के रूप में पेश करने की पाकिस्तान की रणनीति, अपने मुख्य संरक्षक को नाराज किए बिना वाशिंगटन को आश्वस्त करने के लिए बनाई गई प्रतीत होती है।
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