13 देशों के 1500 से अधिक उत्पादों के साथ OSH India 2025 की शुरुआत, 4.7 अरब डॉलर तक पहुंचेगा भारत का PPE बाजार
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने मुंबई में 13वें ओएसएच इंडिया 2025 एक्सपो (OSH India 2025) के उद्घाटन पर कहा कि कार्यस्थल पर सुरक्षा नियम केवल कानूनी दायित्व नहीं बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य को उद्योगों की मजबूती और श्रमिकों के कल्याण के लिए जरूरी बताया। कार्यक्रम में 13 देशों से 170 से अधिक प्रदर्शक भाग ले रहे हैं।

मुंबई। गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने मंगलवार को कहा कि औद्योगिकीकरण के इस दौर में कार्यस्थल पर सुरक्षा नियमों (workplace safety) का पालन केवल कानूनी दायित्व नहीं बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। वे मुंबई के बॉम्बे एग्ज़िबिशन सेंटर में शुरू हुए 13वें ओएसएच इंडिया 2025 एक्सपो और कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
तीन दिवसीय इस आयोजन (16 से 18 सितंबर) में 13 देशों से आए 170 से अधिक प्रदर्शक भाग ले रहे हैं, जो 300 से ज्यादा अग्रणी ब्रांड और 1,500 से अधिक उत्पाद प्रदर्शित कर रहे हैं। इसे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य मंच माना जाता है।
मुख्यमंत्री सावंत ने कहा, “व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य उद्योगों की मजबूती और श्रमिकों के कल्याण के लिए जरूरी हैं। यह न केवल कानूनी जिम्मेदारी है बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है, जिसका सीधा असर उत्पादकता और राष्ट्रीय प्रगति पर पड़ता है।” उन्होंने बताया कि भारतीय पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) उद्योग 2024 में 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर का था और आने वाले वर्षों में इसके 4.7 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ओएसएच कोड 2020, श्रम सुविधा पोर्टल और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसे सुधारों से श्रमिक कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। गोवा में भी सुरक्षा प्रशिक्षण, स्वास्थ्य शिविर और डिजिटल पहल के माध्यम से इस दिशा में काम किया जा रहा है।
महाराष्ट्र सरकार के औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य निदेशालय के संयुक्त निदेशक राम दहिफले ने बताया कि कारखाना अधिनियम 1948 के तहत राज्य में श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर लगातार काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जहां मशीनें, लोग और सामग्री एक साथ काम करते हैं, वहां खतरों की संभावना बनी रहती है, इसलिए सुरक्षित कार्यस्थल बनाना बेहद आवश्यक है।
सेफ्टी अप्लायन्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (SAMA) के अध्यक्ष महेश कुडव ने कहा कि भारत का पीपीई बाज़ार अगले आठ वर्षों में लगभग दोगुना होकर 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसमें मेक इन इंडिया, नवाचार और वैश्विक मानकों का बड़ा योगदान रहेगा।
इन्फॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रस ने कहा कि कानूनी सुधार और डिजिटल एकीकरण के कारण भारत की सुरक्षा व्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली में फैक्ट्रियों में काम करने वालों को राहत, गर्मी से बचाव लिए विभाग ने जारी किए ये निर्देश
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।