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    नए नियम से घर-सड़क बनाने वाले मजदूरों को मिलेंगे 5 गजब के फायदे, ठेकेदार का बढ़ेगा खर्च?

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 09:56 PM (IST)

    नए श्रम कानूनों (New Labor Codes) के लागू होने से रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा और वेतन में कई फायदे होंगे। पीएफ और ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी होगी, वहीं ओवरटाइम का दोगुना भुगतान अनिवार्य किया गया है। ठेका मजदूरों को भी सामाजिक सुरक्षा मिलेगी और सुरक्षा मानकों में सुधार होगा। हालांकि, डेवलपर्स के अनुसार प्रोजेक्ट की लागत बढ़ सकती है।

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    रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काम करने वाले करीब 7.1 करोड़ मजदूरों (जिनमें 80% से ज्यादा अनस्किल्ड हैं) के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेतन में बड़ा बदलाव आने वाला है।

    नई दिल्ली। देश में चार नए लेबर कोड (New Labor Codes) लागू होने के बाद रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में काम करने वाले करीब 7.1 करोड़ मजदूरों (जिनमें 80% से ज्यादा अनस्किल्ड हैं) के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेतन में बड़ा बदलाव आने वाला है।

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    हालांकि डेवलपर्स और ठेकेदारों का कहना है कि इससे प्रोजेक्ट कॉस्ट 8-12% तक बढ़ सकती है, लेकिन मजदूरों को मिलने वाले फायदे लंबे समय तक उनकी जिंदगी बदलने वाले साबित हो सकते हैं।

    मजदूरों को मिलने वाले प्रमुख फायदे

    1. PF और ग्रेच्युटी में भारी बढ़ोतरी

    अब भत्तों (allowances) को हटाकर बेसिक वेतन को कुल वेतन का कम से कम 50% करना अनिवार्य होगा। इससे EPF और ग्रेच्युटी की गणना ज्यादा राशि पर होगी।
    उदाहरण: पहले ₹30,000 कुल वेतन में से बेसिक ₹15,000 रखकर PF सिर्फ ₹1,800 कटता था। अब बेसिक कम से कम ₹20,000-₹25,000 होना होगा, जिससे PF कटौती/जमा ₹2,400-₹3,000 तक पहुंच जाएगी। यानी हर महीने मजदूर के खाते में 600-1,200 रुपये ज्यादा PF जमा होगा।

    2. ग्रेच्युटी अब सिर्फ 1 साल में मिलेगी (पहले 5 साल थे)

    प्रोजेक्ट आधारित काम में अक्सत मजदूर 2-3 साल में साइट बदल लेते थे और ग्रेच्युटी से वंचित रह जाते थे। अब सिर्फ 1 साल काम करने पर भी ग्रेच्युटी मिलेगी। 400-500 मजदूरों वाली साइट पर डेवलपर की सालाना ग्रेच्युटी देनदारी 1-1.5 करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है, अब यह पूरा पैसा सीधे मजदूरों के पास जाएगा।

    3. ओवरटाइम का दोगुना भुगतान अनिवार्य

    हाईवे, मेट्रो, टाउनशिप जैसे प्रोजेक्ट में 10-12 घंटे की शिफ्ट आम है। नए कोड में ओवरटाइम की दर दोगुनी कर दी गई है। 8 घंटे से ज्यादा काम पर हर घंटे का दोगुना मेहनताना मिलेगा। एक मजदूर को महीने में 100 ओवरटाइम घंटे भी हुए तो 5,000-8,000 रुपये अतिरिक्त आय हो सकती है।

    4. सामाजिक सुरक्षा कवरेज बढ़ेगा

    अब ठेका मजदूरों को भी ESI, PF, मैटरनिटी बेनिफिट और पेंशन जैसी सुविधाएं आसानी से मिलेंगी। अनौपचारिक क्षेत्र के 90% मजदूर आज इनसे वंचित हैं।

    5. बेहतर सुरक्षा मानक हुए, दुर्घटना और बीमारी में मदद


    सख्त सेफ्टी नियमों से साइट पर हादसे कम होंगे, मेडिकल-इंश्योरेंस खर्च घटेगा और मजदूर लंबे समय तक स्वस्थ रहकर कमाई कर पाएंगे।

    इंडस्ट्री का कहना है कि शुरुआती झटका, लंबा फायदा

    स्क्वायर यार्ड्स हितेश सिंघला के मुताबिक, शुरुआत में प्रशासनिक खर्च बढ़ेगा, लेकिन लंबे समय में मजदूरों की सुरक्षा और स्थिरता से प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी।

    ट्रू रियल्टी के सुजय कालेले के मुताबिक लेबर कॉस्ट 5-10% बढ़ेगी, लेकिन 8-12 घंटे की लचीली शिफ्ट और आसान हायर-फायर नियम से कुछ खर्च की भरपाई हो जाएगी।

    इरोज ग्रुप के अवनीश सूद के मुताबिक PF में 30-35% और ग्रेच्युटी में भारी बढ़ोतरी होगी। मजदूरों के लिए यह गेम-चेंजर है।

    2030 तक 10 करोड़ मजदूरों वाली इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव

    विशेषज्ञों का मानना है कि नए कोड से सेक्टर में फॉर्मलाइजेशन बढ़ेगा, स्किल डेवलपमेंट पर जोर आएगा और मजदूरों की बार्गेनिंग पावर मजबूत होगी। शुरुआती 12-18 महीने में प्रोजेक्ट की लागत और टाइमलाइन पर दबाव पड़ेगा, लेकिन उसके बाद स्थिरता और पारदर्शिता से पूरा सेक्टर फायदा उठाएगा।

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