कौन से कर्मचारियों को करना होगा 8 घंटे से ज्यादा काम, ओवरटाइम पर कितनी अधिक मिलेगी सैलरी?
केंद्र सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर चार नए श्रम संहिता (New Labour Codes) लागू किए हैं। नए नियमों के अनुसार, अब ज्यादातर सेक्टरों में 8 से 12 घंटे प्रतिदिन काम होगा, लेकिन साप्ताहिक सीमा 48 घंटे ही रहेगी। ओवरटाइम करने पर कर्मचारी को सामान्य मजदूरी से दोगुना भुगतान किया जाएगा। श्रम मंत्रालय का कहना है कि ये संहिताएं कर्मचारी शोषण रोकेंगी और कर्मचारियों को अतिरिक्त कमाई का मौका देंगी।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को समेटकर चार नए श्रम संहिता (Labour Codes) लागू कर दिए हैं। इनमें वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता 2020 शामिल हैं। इन संहिताओं से सबसे बड़ा बदलाव काम के घंटों और ओवरटाइम भुगतान को लेकर आया है।
अब ज्यादातर सेक्टरों में 8 से 12 घंटे प्रतिदिन (अधिकतम 48 घंटे सप्ताह) तक ही काम होगा और इससे ज्यादा काम करने पर कर्मचारी की सहमति के बाद कम से कम दोगुना ओवरटाइम देना अनिवार्य होगा। एक दिन में 12 घंटे काम तो हो सकता है लेकिन 1 हफ्ते में कुल 48 घंटे से ज्यादा काम कंपनी नहीं करवा सकती है।
8 घंटे से ज्यादा काम किसे करना पड़ेगा?
नए नियमों के अनुसार सामान्य कार्यदिवस 8 से 12 घंटे तक हो सकता है, लेकिन साप्ताहिक सीमा 48 घंटे ही रहेगी। इससे ज्यादा काम सिर्फ कर्मचारी की लिखित सहमति से ही कराया जा सकता है।
बीड़ी-सिगार, खदान, कपड़ा, एमएसएमई, निर्यात क्षेत्र, फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयी, डिजिटल-ऑडियो विजुअल मीडिया और युवा कर्मचारियों सहित लगभग सभी सेक्टरों में यही नियम लागू होंगे।
ओवरटाइम रेट कितना मिलेगा?
वेतन संहिता 2019 की धारा 14 के तहत तय कार्य घंटों से अधिक काम करने पर सामान्य मजदूरी की कम से कम दोगुनी दर से भुगतान करना होगा। यानी अगर आपकी दैनिक मजदूरी 1000 रुपये है तो ओवरटाइम के हर घंटे पर कम से कम 250 रुपये (1000÷8×2) मिलेंगे। कई सेक्टरों में इसे स्पष्ट रूप से दोगुना बताया गया है।
श्रम मंत्रालय का कहना है कि ये संहिताएं कर्मचारी शोषण रोकेंगी, अतिरिक्त काम महंगा करेंगी ताकि आराम का अधिकार बना रहे, और मेहनत करने वालों को अतिरिक्त कमाई का मौका देंगी। अब ओवरटाइम कराना कंपनी के लिए महंगा हो गया है, इसलिए ज्यादातर जगह 8-10 घंटे से ज्यादा काम कराना मुश्किल होगा, जब तक कर्मचारी खुद सहमत न हों।ये नए श्रम कानून देश के करोड़ों असंगठित और संगठित कर्मचारियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाले हैं।
Source: PIB
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