New Labour Code: सरकार ने कंपनियों को कौन से दिए बड़े अधिकार, जिनकी हो रही सबसे ज्यादा चर्चा?
सरकार ने पुराने श्रम कानूनों को बदलकर नया और सरल कानून बनाया है, जिससे मजदूरों और कंपनियों दोनों को फायदा होगा। अब मालिकों को 300 से कम कर्मचारियों वाली फैक्ट्री बंद करने के लिए सरकार से इजाजत नहीं लेनी होगी, जिससे वे तेजी से फैसले ले सकेंगे। ऐसे ही और कौन से प्रवधान हैं जिनकी खूब चर्चा हो रही है जानते हैं।

नए वेतन कानून में श्रम-समर्थक लाभ और रोजगार-समर्थक लाभ क्या हैं?
नई दिल्ली। सालों से चली आ रही पुरानी और उलझी हुई श्रम कानूनों की जगह अब एक नया, सरल और फायदेमंद कानून आ गया है। सरकार के मुताबिक मजदूरों और कंपनियों की सफलता आपस में जुड़ी है। एक के बिना दूसरा फल-फूल नहीं सकता।
जब उद्योग बढ़ते हैं, तो वे मजदूरों के लिए स्थिर नौकरियां, उचित वेतन और सामाजिक सुरक्षा का सृजन करते हैं। इसी तरह, एक प्रेरित और सुरक्षित कार्यबल उत्पादकता और नवाचार को बढ़ावा देता है, जिससे उद्योग का दीर्घकालिक अस्तित्व सुनिश्चित होता है।
राष्ट्रीय श्रम आयोग ने श्रमिकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से मौजूदा श्रम कानूनों को युक्तिसंगत और सरल बनाने का है। तीन मौजूदा कानूनों, अर्थात् औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 और औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम 1946, को औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 में समाहित करना इसी दिशा में एक कदम है।
ये सिर्फ कागजी कानून नहीं, बल्कि कर्मचारियों और मालिकों दोनों के लिए सीधा फायदा देने वाला नियम है। आइए एक नजर में समझते हैं कि ये कोड आपकी जिंदगी को कैसे आसान और बेहतर बनाने जा रहा है।
मालिकों, कंपनियों के लिए क्या हैं नियम
अब मालिकों को 300 से कम कर्मचारी होने पर फैक्ट्री बंद करने, छंटनी करने या लेऑफ करने से पहले सरकार से इजाजत नहीं लेनी पड़ेगी। ये कारोबार में तेजी से फैसले ले सकेंगे।
फॉर्म 37 से घटकर 18, रजिस्टर 3 से घटकर जीरो हो गए हैं जिससे कागजी काम में भारी कटौती होगी।
अब सरकार के नियम के मुताबिक मजदूर अचानक हड़ताल नहीं कर पाएंगे। उन्हें 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी ताकि प्रोडक्शन न रुके।
छोटी-मोटी गलतियों पर जेल नहीं, सिर्फ जुर्माना और वो भी पहली बार 50-75% देकर केस खत्म होगा।
अब सीधे ट्रिब्यूनल में केस जा सकेगा। पहले सरकार की मर्जी पर निर्भर रहना पड़ता था, अब इससे सालों का इंतजार खत्म हो सकता है।
SOURCE- PIB
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