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    Direct Tax में हुआ 23.5 प्रतिशत का इजाफा, कॉरपोरेट्स ने भरा सबसे ज्यादा टैक्स

    By AgencyEdited By: Gaurav Kumar
    Updated: Mon, 18 Sep 2023 06:40 PM (IST)

    वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि कंपनियों द्वारा एडवांस टैक्स के भुगतान में वृद्धि के कारण सितंबर के मध्य तक नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 23.51 प्रतिशत बढ़कर 8.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। 16 सितंबर तक 865117 करोड़ रुपये के नेट डायरेक्ट टैक्स में से कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी) 416217 करोड़ रुपये था। इसके अलावा प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) सहित व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) 4472.91 करोड़ रुपये रहा।

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    नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 23.51 प्रतिशत बढ़कर 8.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

    नई दिल्ली, एजेंसी: 15 सिंतबर को एडवांस टैक्स की दूसरी किस्त जमा करने की आखिरी तारीख थी। इसके तीन दिनों के बाद आज वित्त मंत्रालय ने कहा कि कॉरपोरेट्स से अधिक एडवांस टैक्स संग्रह के कारण सितंबर के मध्य तक नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 23.51 प्रतिशत बढ़कर 8.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

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    कितना रहा कॉरपोरेट्स टैक्स?

    16 सितंबर तक 8,65,117 करोड़ रुपये के नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 4,16,217 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी) रहा। इसके अलावा 4,47,291 करोड़ रुपये का प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) सहित व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) रहा।

    21 प्रतिशत बढ़ा एडवांस टैक्स कलेक्शन

    सितंबर के मध्य तक एडवांस टैक्स कलेक्शन 3.55 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में एकत्र 2.94 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 21 प्रतिशत ज्यादा है।

    16 सितंबर तक 3.55 लाख करोड़ रुपये के एडवांस टैक्स कलेक्शन में सीआईटी 2.80 लाख करोड़ रुपये और पीआईटी 74,858 करोड़ रुपये है।

    कितना इश्यू हुआ रिफंड?

    वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 16 सितंबर तक करीब 1.22 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया जा चुका है।

    सकल आधार पर, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 9.87 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि के 8.34 लाख करोड़ रुपये से 18.29 प्रतिशत अधिक है।

    क्या होता है डायरेक्ट टैक्स?

    डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स है जिसे कोई व्यक्ति या संगठन सीधे आयकर विभाग को भुगतान करता है। इन टैक्स में इनकम टैक्स, वास्तविक संपत्ति कर, व्यक्तिगत संपत्ति कर और संपत्तियों पर कर शामिल हैं, जिनका भुगतान एक व्यक्तिगत टैक्सपेयर द्वारा सीधे सरकार को किया जाता है।

    भारत में डायरेक्ट टैक्स किसी व्यक्ति या संस्था की भुगतान करने की क्षमता के आधार पर लगता है। इसलिए इस प्रकार के टैक्स में आमतौर पर एक प्रगतिशील टैक्स व्यवस्था होती है यानी टैक्सपेयर की भुगतान करने की क्षमता जितनी अधिक होगी, टैक्स की दर उतनी ही अधिक होगी।