Tax Audit : यूपी में टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल न करने वालों पर पड़ेगा डेढ़ लाख रुपए जुर्माना- यह है आखिरी तारीख
इसमें एकल स्वामित्व साझेदारी फर्मों कंपनी के मामले में अलग-अलग प्रारूप पर यह रिपोर्ट तैयार की जाती है। चार्टर्ड अकाउंटेंट को अपने डिजिटल हस्ताक्षर से वित्तीय वर्ष 2022-23 यानी आयकर के कर निर्धारण वर्ष 2023-24 की टैक्स आडिट रिपोर्ट 30 सितंबर 2023 तक अपलोड करनी है। अपलोड की गई आडिट रिपोर्ट को करदाता को भी अपने डिजिटल हस्ताक्षर से स्वीकार करनी होगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर : टैक्स आडिट वाली कंपनियों को धारा 44 एबी के तहत 30 सितंबर तक चार्टर्ड अकाउंटेंट से प्रमाणित टैक्स आडिट रिपोर्ट आयकर के पोर्टल पर अपलोड करनी है। 30 सितंबर तक यदि चार्टर्ड अकाउंटेंट से डिजिटल हस्ताक्षर कराकर आयकर के ई-पोर्टल पर आडिट रिपोर्ट अपलोड नहीं की गई तो 1.5 लाख रुपये या टर्नओवर का आधा प्रतिशत जो भी कम होगा, उतना जुर्माना लगेगा।
इसके बाद इन कंपनियों को 31 अक्टूबर तक अपना रिटर्न भी फाइल करना होगा।आयकर कानून की धारा 44एबी के तहत कारोबाररियों व पेशेवर व्यक्तियों को अपनी लेखाबहियों की टैक्स आडिट रिपोर्ट सीए से प्रमाणित करानी होती है।
इसमें एकल स्वामित्व, साझेदारी फर्मों, कंपनी के मामले में अलग-अलग प्रारूप पर यह रिपोर्ट तैयार की जाती है। चार्टर्ड अकाउंटेंट को अपने डिजिटल हस्ताक्षर से वित्तीय वर्ष 2022-23 यानी आयकर के कर निर्धारण वर्ष 2023-24 की टैक्स आडिट रिपोर्ट 30 सितंबर 2023 तक अपलोड करनी है।
अपलोड की गई आडिट रिपोर्ट को करदाता को भी अपने डिजिटल हस्ताक्षर से स्वीकार करनी होगी, उसके बाद ही इस प्रक्रिया को पूरा माना जाएगा। इस आडिट रिपोर्ट के साथ आडिटेड ट्रेडिंग एवं प्राफिट लास अकाउंट, आय व्यय विवरण, बैलेंस शीट और उनके साथ संबंधित कागजात भी अपलोड करने होंगे।
इतने विक्रय पर इतनी घोषित करनी होगी आमदनी- दो करोड़ विक्रय धन होने पर घोषित करनी होगी आठ प्रतिशत शुद्ध कारोबारी आमदनी - यदि भुगतान बैंक ट्रांसफर मोड से मिलते हैं तो छह प्रतिशत तक घोषित की जा सकती है न्यूनतम आमदनी - 50 लाख तक की आय पर 50 प्रतिशत आमदनी घोषित करेंगे डाक्टर, वकील, सीए, कंपनी सचिव और इंजीनियर रखनी होगी लेखाबहीयदि कारोबारी न्यूनतम आमदनी से कम आय घोषित करेंगे तो उन्हें लेखाबही अनिवार्य रूप से रखनी होंगी।
इसके साथ ही चार्टर्ड अकाउंटेंट से उनका आडिट कराना होगा। समय से रिपोर्ट दाखिल न होने पर आधा फीसदी विक्रय धन या सकल प्राप्तियों पर अधिकतम डेढ़ लाख तक आरोपित किया जाएगा। यदि अर्थदंड की यह राशि डेढ़ लाख से कम है, तब कम अर्थदंड लगेगा।
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