JP Associates से पहले डूब गए इन अमीरों के कारोबार, खुद की गलतियों से छिन गया बना बनाया साम्राज्य
वेदांता ने गौतम अडानी के समूह को पछाड़कर जयप्रकाश एसोसिएट्स (Jaiprakash Associates Bankruptcy) को खरीदने के लिए 17000 करोड़ रुपये की बोली जीती। इससे पहले सहारा ग्रुप वित्तीय अनियमितताओं के कारण संकट में आया। विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइन कर्ज और खराब मैनेजमेंट के कारण डूबी। DHFL को वित्तीय घोटाले के कारण दिवालिया घोषित किया गया। फ्यूचर रिटेल को कर्ज और महामारी से नुकसान हुआ जिसे रिलायंस ने खरीदा।

नई दिल्ली। माइनिंग ग्रुप वेदांता (Vedanta) ने शुक्रवार को गौतम अदाणी के अदाणी समूह (Adani Group) को पछाड़कर कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स (Jaiprakash Associates Bankruptcy) को खरीदने के लिए 17000 करोड़ रुपये की नेट प्रेजेंट वैल्यू पर विजयी बोली लगाई। इसने अदाणी ग्रुप को 17,000 करोड़ रुपये या नेट प्रेजेंट वैल्यू (एनपीवी) के मामले में 12,505 करोड़ रुपये की कुल बोली के साथ पीछे छोड़ दिया।
रियल एस्टेट, सीमेंट, बिजली, होटल और सड़क निर्माण में बिजनेस करने वाली जयप्रकाश एसोसिएट्स लोन भुगतान में चूक के बाद दिवालिया हो गयी। इससे पहले कई और भी बड़े-बड़े बिजनेस ग्रुप अलग-अलग वजहों से डूब गए या उन्हें अपना बिजनेस बेचना पड़ा। आइए जानते हैं उनके बारे में।
सहारा ग्रुप
सहारा ग्रुप पूरी तरह बंद नहीं हुआ, मगर वित्तीय अनियमितताओं, निवेशकों को पैसे न लौटाने और सेबी-सहारा मामले में कानूनी दांव-पेंच के कारण यह भारी संकट में है। दिवंगत सुब्रत रॉय की कंपनी ने नॉन-लिस्टेड कंपनियों के जरिए आम जनता से पैसे जुटाए, जिसे सेबी ने गैर-कानूनी ठहराया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुब्रत रॉय को जेल जाना पड़ा। यही सहारा के पतन का कारण बना।
निवेशकों का पैसा लौटाने में विफलता और वित्तीय नियमों का उल्लंघन करने के कारण कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब हो गई, जिससे यह आज भी कानूनी मुश्किलों का सामना कर रही है
किंगफिशर के डूबने का कारण
विजय माल्या की किंगफिशर, मुख्य रूप से एयरलाइन, बढ़ते कर्ज, खराब फाइनेंशियल मैनेजमेंट, और विजय माल्या के लग्जरी लाइफस्टाइल के कारण विफल हुआ। वित्तीय दबाव के कारण कंपनी का ऑपरेशन बंद हो गया, जिससे कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला।
विजय माल्या किंगफिशर एयरलाइन के अलावा कई सेक्टरों में भी बिजनेस करते थे। उनका बीयर बिजनेस बिक गया, एयरलाइन बंद हो गई और बढ़ते कर्ज और कानूनी परेशानियों के कारण माल्या को आईपीएल की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) से भी हाथ धोना पड़ा।
DHFL के साथ क्या हुआ
डीएचएफएल (DHFL) को बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटाले, खातों में हेराफेरी, और फंड के दुरुपयोग के कारण राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने दिवालिया घोषित कर दिया था, जिसके बाद पीरामल ग्रुप ने इसे खरीद लिया।
वधावन ब्रदर्स (कपिल और धीरज) समेत कंपनी के प्रबंधन पर हजारों करोड़ रुपये की अनियमितताओं के आरोप हैं, जिसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भी जांचा और कंपनियों से प्रतिबंधित किया।
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फ्यूचर रिटेल भी बिक गयी
किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप को भारी कर्ज के बोझ और COVID-19 महामारी के दौरान हुए रेवेन्यू के भारी नुकसान के कारण बड़े झटके लगे। इसकी फ्यूचर रिटेल अप्रैल 2022 तक अपनी फाइनेंशियल समस्याओं को दूर करने में असमर्थ रही।
2023 में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) द्वारा इसके रेजोल्यूशन प्लान को अस्वीकार कर दिया गया, जिससे कंपनी दिवालिया प्रोसेस में प्रवेश कर गई। फ्यूचर ग्रुप की कई संपत्तियों और ऑपरेशंस की ओनरशिप अब इसके फाउंडर किशोर बियानी के पास नहीं है; बल्कि अब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस रिटेल के पास है।
फ्यूचर ग्रुप के बढ़ते कर्ज के कारण, रिलायंस ने बिग बाजार जैसे ब्रांड्स समेत इसके बचे-खुचे कारोबार को भी खरीद लिया।
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