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    कैसे दिवालिया हुई जेपी इन्फ्राटेक? 10 साल के अंदर उदय और अंत, यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण से मिली थी पहचान

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 01:40 PM (IST)

    जयप्रकाश ग्रुप की कंपनी जेपी इन्फ्राटेक का गठन 2007 में हुआ और 2017 में यह दिवालिया हो गई। इस कंपनी ने यमुना एक्सप्रेसवे से लेकर कई अहम रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स तैयार किए, लेकिन पैरेंट कंपनी पर बढ़ते कर्ज के चलते यह बर्बादी की कगार पर पहुंच गई। साल 2021 में सुरक्षा समूह ने जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण कर लिया।

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    नई दिल्ली। जेपी इन्फ्राटेक (Jaypee Infratech) का नाम एक वक्त में उत्तर भारत के बड़े रियल एस्टेट ग्रुप के तौर पर जाना जाता था। साल 2007 में जयप्रकाश गौड़ के नेतृत्व वाले समूह के अंतर्गत इसका गठन हुआ। इस कंपनी ने यूपी में सबसे अहम और महत्वाकांक्षी यमुना एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को बनाया और कई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स शुरू किए। लेकिन 10 साल में ऐसा क्या हुआ कि 2007 में स्थापित यह कंपनी 2017 में दिवालिया हो गई। आखिर ऐसे कौन-से कारण थे जिनके चलते जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड पूरी तरह से बर्बाद होकर बिक गई। आइये हम आपको जेपी इन्फ्राटेक की शुरुआत से लेकर अंत तक की पूरी कहानी बताते हैं...

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    यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए गठन

    जेपी इन्फ्राटेक की स्थापना ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ने वाले 165 किलोमीटर लंबे छह लेन वाले यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण, ऑपरेशन और मेंटनेंस के लिए की गई थी। जेपी ग्रुप ने इस ड्रीम इन्फ्रा प्रोजेक्ट को बनाने के लिए 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे। लेकिन, समय का फेर देखिए कि इस कंपनी का पैरेंट कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स महज 17000 करोड़ रुपये में बिक गई।

    एक्सप्रेसवे के बाद रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स

    यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण के साथ-साथ जेपी इन्फ्राटेक ने साल 2009-10 में "जेपी ग्रीन्स" ब्रांड के तहत कई आवासीय परियोजनाएं शुरू कीं और नोएडा में जेपी अस्पताल का निर्माण शुरू किया। इस दौरान 2010 कंपनी आईपीओ लेकर आई और शेयर बाजार में लिस्ट हो गई।

    2013 से शुरू हुआ बुरा दौर

    अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेसवे का शुभारंभ हुआ लेकिन इसके एक साल बाद जेपी इन्फ्राटेक के मानों बुरे दिन शुरू हो गए। दरअसल, साल 2013-2014 के आसपास कंपनी के हाउसिंग और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स रुक गए, जिसके कारण हजारों खरीदारों को घरों की डिलीवरी में काफी देरी हुई।

    इस परेशानी की मूल वजह परेंट कंपनी, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड रही, जो भारी कर्ज से जूझ रही थी और उसे कम करने के लिए उसने विभिन्न संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी कथित धोखाधड़ी और फंड्स की हेराफेरी के संबंध में इस फर्म के ठिकानों पर छापेमारी की।

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    इसके बाद 2017 में जेपी इंफ्राटेक, भारी वित्तीय कठिनाइयों के चलते आईडीबीआई बैंक की याचिका पर एनसीएलटी में इसके कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में दाखिल किया गया। आखिरकार, 2021 में मुंबई स्थित सुरक्षा समूह ने जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण कर लिया और अब यह कंपनी एनसीआर रीजन में जेपी इन्फ्राटेक के शेष 20,000 घरों को पूरा कर रही है।

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