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    Jagran Expert Column: ज्ञानी बहुतेरे लेकिन ज्ञान नाकाफी, क्या है निवेश की सटीक रणनीति

    Jagran Expert Opinion ज्ञान पर फोकस का आधार है लोगों की राय। मैक्रो लेवल पर बकवास करना कहीं आसान है बजाए माइक्रो लेवल पर बकवास करने के...। यह बात भारतीय शेयर बाजार पर एकदम सटीक लागू होती है।

    By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Sun, 15 Jan 2023 04:50 PM (IST)
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    Jagran Expert Column: What is Best Practice For Investment

    धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। 'यहां ज्ञान न बांटें, यहां सब ज्ञानी हैं।' किसी टी-शर्ट का ये मजेदार स्लोगन जरूर किसी कालेज कैंटीन का नोटिस रहा होगा। निवेश से ज्यादा शायद ही किसी और बात पर ये बात इतनी सटीक बैठे। कई दशकों तक सोचने-समझने, सुनने-सुनाने के बाद भी अचरज है कि जिन गूढ़ आर्थिक कारणों पर निवेशकों को कोई ध्यान ही नहीं देना चाहिए, उनपर इतनी बातें होती हैं। हर रोज विश्लेषक, अर्थशास्त्री, निवेश प्रबंधक, टीवी चैनलों और इंटरनेट मीडिया पर अंतहीन ज्ञान बांटते हैं। ये ब्याज दर, राजकोषीय स्थिति, महंगाई दर, डेमोग्राफी में बदलाव, तेल के दाम, ट्रेड फ्लो, मुद्रा नियंत्रण और अन्य कई चीजों पर एक ही किस्म का राग अलापे चले जाते हैं।

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    अपेक्षा की जाती है कि ये सब मेरे-आपके निवेश के फैसलों को प्रभावित करने वाली जानकारियां होंगी। जहां तक असल निवेश के फैसलों का सवाल है कि हम कौन से स्टाक खरीदेंगे और कौन से नहीं, उस लिहाज से ये सब मेरे और आप के लिए पूरी तरह से बेकार बातें हैं। असल में, बांटा जाने वाला ये सारा का सारा ज्ञान न सिर्फ बेकार है, बल्कि बेकार से बदतर है। एक निवेशक के तौर पर ये आपको नुकसान पहुंचाता है।

    निवेश का 'एक्स-फैक्टर'

    स्टाक निवेश से पूंजी खड़ी करने में जो बात असल में मायने रखती है, उस 'एक्स-फैक्टर' से आपका ध्यान परे करके ऐसा किया जाता है। अब सवाल है कि ये 'एक्स-फैक्टर' है क्या? ये दुनिया का सबसे सरल और सीधा आइडिया है। अपनी आर्थिक जरूरतों और सीमाओं को समझिए और अपनी पसंद के अनुसार जरूरतों पर खरे उतरने वाले अच्छे स्टाक और अच्छे फंड की पहचान करने पर काम कीजिए। असल निवेश की बातचीत में ऐसे बड़े-बड़े ज्ञान के फैक्टर नहीं होने चाहिए, जिनमें से कोई भी आपके नियंत्रण में नहीं है। ये बातें इन चीजों के बारे में होनी चाहिए, जैसे - रेवेन्यू, मार्जिन, प्राफिट, मार्केट शेयर, प्रोडक्ट पाइपलाइन, मैनेजमेंट क्वालिटी और दूसरी ऐसी चीजें, जो असल में किसी कंपनी के कमाने का साम‌र्थ्य दिखाती हों।

    सही निवेश पहचानना जरूरी

    निवेशक का काम आर्थिक भविष्यवाणियां करना नहीं, सही निवेश पहचानना है। ऐसा कहने के अच्छे कारण भी हैं। क्योंकि जिन बातों पर ज्ञान दिया जाता है उनमें से कोई भी फैक्टर आपके कंट्रोल में नहीं होता। ब्याज दरों को लेकर आरबीआइ या फेडरल बैंक क्या कर रहा है या कौन सी वैश्विक आपदा आने वाली है, ये बातें आपके काबू से बाहर हैं। आप कब निवेश करते हैं, किसमें निवेश करते हैं, किस दाम पर निवेश करते हैं और आप कोई निवेश करते भी हैं या नहीं, ये वो बातें हैं जिनपर आपका कंट्रोल है। आपका कंट्रोल इस बात पर है कि आप उत्साह से भरकर किसी बबल में निवेश करते हैं या आप धीरे-धीरे सिलसिलेवार तरीके से निवेश करते हैं। जिस पैसे को आप निवेश करने वाले हैं उस पैसे पर भी आपका पूरा कंट्रोल होता है। तो, ज्ञान पर फोकस करने के बजाए कंपनियों पर फोकस करना अच्छा है।

    सही फैसले से बनते हैं पैसे

    कंपनियों पर तथ्यों के आधार पर भरोसा किया जाता है। बाटम-अप, टाप-डाउन से कहीं बेहतर है, ये बात समझाते हुए कही, (जाहिर है!) नसीम निकोलस तालेब ने। दरअसल, जहां बाटम-अप एक सच्चाई है, वहीं टाप-डाउन कोरी गप्प ही हो सकती है और आमतौर पर होती भी है। आप माइक्रो-लेवल पर सही स्टाक और फंड का चुनाव करके, सही फैसले लेते हुए पैसे बनाते हैं।

    (लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

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