रिन्यूएबल एनर्जी में लहराएगा भारत का परचम, वैश्विक Wind Energy में 10% होगी हिस्सेदारी; ऊर्जा मंत्री का ऐलान
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत पवन ऊर्जा उपकरण निर्माण में क्षमता बढ़ा रहा है। भारत 2030 तक पवन ऊर्जा सप्लाई चेन में 10% हिस्सेदारी रखेगा। सरकार ने ऑफ-शोर पवन ऊर्जा के लिए 6835 करोड़ रुपये की योजना मंजूर की है। भारत की पवन ऊर्जा क्षमता 154% बढ़कर 52200 मेगावाट हो गई है।
नई दिल्ली। सौर ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से अपनी जगह बनाने के बाद पवन ऊर्जा सेक्टर में भी भारत की पहचान स्थापित हो रही है। भारत न केवल पवन ऊर्जा उत्पादन में एक प्रमुख देश के तौर पर उभर रहा है, बल्कि इससे जुड़े उपकरणों के निर्माण में भी अपनी क्षमता मजबूत कर रहा है।
यह बात केंद्रीय नवीन व नवीकरणीय एनर्जी (एमएनआरई) मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (Global Wind Energy Council) की रिपोर्ट को जारी करने के अवसर पर भेजे गए संदेश में कही।
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उन्होंने बताया कि भारत पवन ऊर्जा सप्लाई चेन में वर्ष 2030 तक 10 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर लेगा। केंद्र सरकार ने एक वर्ष पहले ही आफ-शोर क्षेत्र में पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए 6,835 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है।
Wind Energy में भारत की धमक
मोदी सरकार में भारत की पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता 154 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 52,200 मेगावाट हो चुकी है। इस अवसर पर एमएनआरई सचिव संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने में पवन ऊर्जा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी।
इसके जरिये ही सस्ती दर पर और चौबीसों घंटे ग्रीन एनर्जी उपलब्ध कराना संभव होगा। जिस समय सौर ऊर्जा का उत्पादन नहीं होता, उस समय पवन ऊर्जा यह काम करेगा।
जीडब्लूईसी की रिपोर्ट कहती है कि शून्य उत्सर्जन लक्ष्य के लिए जरूरी है कि भारत में पवन ऊर्जा से कम से एक लाख मेगावाट बिजली का उत्पादन हो। रिपोर्ट यह भी कहती है कि आठ हजार मेगावाट क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने से रोजगार के 1.16 लाख अवसर पैदा होते हैं। इससे आर्थिक प्रगति की तेज आती है।
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