बस 5 साल और फिर Green Hydrogen का बहुत बड़ा खिलाड़ी बन जाएगा भारत ! दुनिया भर की इतनी जरूरत करेगा पूरी
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत के रूप में उभर रहा है। राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत सरकार 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखे हुए है जिससे लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। यह पहल न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता में मदद करेगी बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी।
नई दिल्ली। बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने मंगलवार को भारत के ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन (Green Hydrogen Production) पर बड़ा अपडेट दिया। उन्होंने कहा कि भारत का टार्गेट ग्लोबल ग्रीन हाइड्रोजन की लगभग 10% माँग को पूरा करना है। ग्रीन एनर्जी की ग्लोबल डिमांड के साल 2030 तक 10 करोड़ मीट्रिक टन से अधिक होने की उम्मीद है।
नाइक ने फिक्की ग्रीन हाइड्रोजन समिट 2025 में कहा कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) के तहत 19 कंपनियों को सालाना 8,62,000 टन प्रोडक्शन कैपेसिटी के टार्गेट दिए जा चुके हैं और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन टार्गेट्स की दिशा में काफी प्रगति भी हुई है।
'ग्रीन एनर्जी का ग्लोबल हब बनेगा भारत'
सरकार ने 15 कंपनियों को 3,000 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी भी प्रदान की है। नाइक ने कहा कि हम भारत को न केवल एक प्रमुख प्रोड्यूसर, बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन एक्सपोर्ट का एक ग्लोबल हब (India Global Hub) भी बनाना चाहते हैं। उन्होंने देश को एक भरोसेंमंद एक्सपोर्टर के रूप में स्थापित करने की रणनीति का भी जिक्र किया।
5 साल बाद कितना होगा प्रोडक्शन
साल 2030 तक नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य देश में लगभग 125 गीगावाट की रिन्युएबल ग्रीन एनर्जी कैपेसिटी के साथ सालाना कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन कैपेसिटी डेवलप करना है। वहीं कुल आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश और 6 लाख लोगों को नौकरी देने का भी लक्ष्य है।
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जीवाश्म ईंधन के आयात में आएगी कमी
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन बढ़ेगा, तो उससे जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रु से अधिक की कमी आने की उम्मीद है। साथ ही सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी आएगी।
ग्लोबल ग्रीन और क्लीन हाइड्रोजन मार्केट कीमतों में कमी के कारण प्रगति कर रहा है।
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