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    Debt on Indian States: बाढ़ की मार झेल रहे इस राज्य पर सबसे ज्यादा कर्ज! आपके स्टेट का क्या है हाल?

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 11:46 AM (IST)

    CAG की एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारतीय राज्यों का कर्ज (Debt on Indian States) एक दशक में तीन गुना बढ़ गया है। 2013-14 में यह 17.57 लाख करोड़ रुपये था जो 2022-23 में बढ़कर 59.60 लाख करोड़ रुपये हो गया। पंजाब का डेट-टू-जीएसडीपी अनुपात सबसे अधिक रहा जबकि ओडिशा की स्थिति बेहतर रही। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में कर्ज में ज्यादा वृद्धि देखी गई।

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    भारतीय राज्यों का कर्ज एक दशक में तीन गुना बढ़ गया

    नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने एक नई रिपोर्ट पेश की है। ये रिपोर्ट भारतीय राज्यों के कर्ज पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय राज्यों का कर्ज एक दशक में तीन गुना बढ़ गया है। भारत के सभी 28 राज्यों का कुल पब्लिक डेट (Debt on Indian States) 2013-14 के 17.57 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 59.60 लाख करोड़ रुपये हो गया।

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    इसका मतलब है कि दस वर्षों में भारतीय राज्यों का कर्ज 3.3 गुना से ज्यादा बढ़ गया है, जो राज्यों के आर्थिक उत्पादन के एक बड़ा हिस्सा के बराबर है।

    Debt To GSDP Ratio

    सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के मुकाबले, डेट 2013-14 के 16.66 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 तक लगभग 23 प्रतिशत हो गया। ये नतीजे शुक्रवार को राज्य वित्त सचिवों के सम्मेलन के दौरान CAG के. संजय मूर्ति द्वारा जारी किए गए।

    किस राज्य पर सबसे ज्यादा कर्ज

    हालांकि रिपोर्ट बताता है कि सभी राज्यों पर समान रूप से कर्ज नहीं हैं। वित्त वर्ष 23 के अंत में पंजाब का डेट-टू-जीएसडीपी अनुपात सबसे अधिक 40.35 प्रतिशत दर्ज किया गया। इसके बाद नागालैंड (37.15 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (33.70 प्रतिशत) का नंबर रहा।

    इन राज्यों की स्थिति बेहतर

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दूसरी तरफ, ओडिशा ने अपना डेट रेशियो केवल 8.45 प्रतिशत पर बरकार रखा, जबकि महाराष्ट्र (14.64 प्रतिशत) और गुजरात (16.37 प्रतिशत) का भी ये रेशियो अपेक्षाकृत कम स्तर पर रहा। कुल मिलाकर, आठ राज्यों का पब्लिक डेट जीएसडीपी के 30 प्रतिशत से अधिक रहा, जबकि छह राज्यों का 20 प्रतिशत से कम और बाकी का 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत के बीच रहा।

    वहीं राज्यों का संयुक्त डेट भारत के जीडीपी के 22.17 प्रतिशत के बराबर रहा, जो वित्त वर्ष 23 में 268.9 लाख करोड़ रुपये रहा।

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    2021 में ज्यादा बढ़ोतरी

    रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में रेवेन्यू रिसीट्स के मुकाबले राज्यों का कर्ज 128 प्रतिशत से 191 प्रतिशत के बीच रहा है। औसतन, डेट राज्यों के वार्षिक राजस्व का लगभग 150% रहा है।

    वित्त वर्ष 2021 में इसमें ज्यादा वृद्धि देखी गई, जब डेट पिछले साल के 21 प्रतिशत से बढ़कर जीएसडीपी के 25 प्रतिशत पर पहुँच गया, जिसका मुख्य कारण कोविड-19 महामारी रहा। कोविड से आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हुईं थी।