ट्रंप के H1B वीजा फीस से बेफिक्र, ये हैं अमेरिका में सबसे ज्यादा भारतीय कर्मचारियों वाली 'स्वदेशी' IT कंपनियां
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच1बी वीजा (Trump H1B visa fee) पर 100000 डॉलर की भारी फीस लगाने के फैसले से चर्चा हो रही है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Indian IT companies) अमेरिका में सबसे अधिक भारतीयों को नौकरी देने वाली कंपनी है जिसके 22700 कर्मचारी हैं।मोहनदास पई के अनुसार इससे अमेरिकी कंपनियां ऑफशोरिंग बढ़ाएंगी जिससे भारत को लाभ होगा।

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड (Trump H1B) वीजा पर 100,000 डॉलर का भारी सालाना फीस लेने के फैसले से चर्चा तेज है। इन सब के बीच क्या आप जानते हैं कौन सी भारत की IT कंपनियां सबसे अधिक संख्या में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं। अभी तक आपने दुनियाभर की माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, एप्पल और गूगल का नाम सुना होगा।
यहां हम आपको भारत की कुछ चुनिंदा कंपनियों के बारे में बता रहे हैं जो अमेरिका में सबसे ज्यादा भारतीयों को नौकरियों के लिए बुलाती हैं।
इसमें सबसे पहला नाम टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का नाम है। यह अमेरिका में 2025 में भारतीयों को काम देने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। जिसके अमेरिका में 22,700 कर्मचारी हैं। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) के आंकड़ों के अनुसार, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) 2025 में एच-1बी वीजा प्राप्त करने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है, जिसके 5,500 से अधिक अनुमोदन हुए हैं।
वहीं इंफोसिस को H1B वीजा के लिए 2004 अनुमोदन मिले। इसके बाद विप्रो 1,523 और टेक महिंद्रा अमेरिका को 951 कर्मचारियों के अनुमोदन शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: ट्रंप ने खेला H-1B वीजा पर 88 लाख वाला दांव, Infosys- Wipro के शेयर धड़ाम; सोमवार को गिरेगा बाजार!
भारत को कोई नुकसान नहीं
इन्फोसिस के दिग्गज और निवेशक मोहनदास पई ने कहा कि इस बड़ी लागत से नए आवेदक हतोत्साहित होंगे। उन्होंने कहा, "इसके लिए आवेदन सीमित हैं, क्योंकि... यह पहले से मौजूद सभी एच-1बी वीजा पर लागू नहीं होता। इसलिए भविष्य में आवेदन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर इसका असर सिर्फ इतना होगा कि नए आवेदन कम हो जाएंगे। कोई भी 1,00,000 डॉलर नहीं देगा, यह बिल्कुल सच है।"
उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियां तेजी से अपना काम विदेश ले जाएंगी, जिससे भारत के वैश्विक क्षमता केंद्रों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, "अब जो होगा वह यह है कि हर कोई ऑफशोरिंग बढ़ाने के लिए काम करेगा... क्योंकि इसका कोई मतलब नहीं है, एक तो आपको प्रतिभाएं नहीं मिलेंगी और दूसरा, लागत बहुत ज्यादा होगी। यह अगले छह महीने से एक साल में होगा।"
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।