ट्रंप ने खेला H-1B वीजा पर 88 लाख वाला दांव, Infosys- Wipro के शेयर धड़ाम; सोमवार को गिरेगा बाजार!
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के H-1B वीजा पर नए प्रतिबंधों के कारण इंफोसिस और विप्रो के ADR में 4% तक की गिरावट आई है। नए नियमों के अनुसार H-1B वीजा आवेदनों के साथ $100000 का शुल्क देना होगा। इससे भारतीय IT प्रोफेशनल्स पर असर पड़ेगा क्योंकि H-1B वीजा धारकों में उनकी संख्या अधिक है। इस घटनाक्रम का असर सोमवार को भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिलेगा।

नई दिल्ली। Share Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कुछ H-1B वीजा धारकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद, इंफोसिस लिमिटेड और विप्रो लिमिटेड के अमेरिकी सूचीबद्ध शेयरों या अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADR) में रातों रात 4% तक की गिरावट आई। ट्रंप का 88 लाख वाला एनुअल फीस (Trump slaps $100,000 annual fee on H-1B visas) का दांव भारतीय शेयर बाजार पर भी असर कर सकता है।
शुक्रवार को इंफोसिस ADR में 4% की गिरावट आई, जबकि विप्रो ADR में 2% की गिरावट आई। नए नियमों के अनुसार, नए H-1B आवेदनों के साथ या उसके पूरक के रूप में $1,00,000 का भुगतान (लगभग 88 लाख रुपये) करना होगा। अमेरिकी विदेश विभाग भुगतान न करने के कारण आवेदन को अस्वीकार कर सकता है। हाई वीजा लागत H-1B कार्यक्रम को उसके वर्तमान स्वरूप में प्रभावी रूप से समाप्त कर सकती है।
भारतीय IT प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा असर
अमेरिका के नए H-1B नियम से भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर पड़ेगा। क्योंकि एच-1बी वीजा धारकों में भारतीय पेशेवरों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। भारतीय नागरिक प्रौद्योगिकी, परामर्श, स्वास्थ्य सेवा, अनुसंधान और प्रशासनिक सेवाओं में अमेरिका में सेवाएं देते हैं। स्टार्टअप और छोटी फर्मों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका है, क्योंकि उन्हें अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाने में मुश्किल हो सकती है, जिससे नए अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों की पहुँच सीमित हो सकती है।
नए शुल्क का उद्देश्य विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की लागत को घरेलू भर्ती के बराबर बनाकर इस असमानता को दूर करना है। यह लॉटरी सुधारों और वेतन-आधारित प्राथमिकता पर नए सिरे से बहस को भी जन्म दे सकता है, जिससे वीज़ा पहुँच उच्च कुशल और उच्च वेतन वाले पदों के साथ और अधिक निकटता से जुड़ जाएगी।
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार पर दिखेगा असर
Impact of H-1B Visa Fee on Indian Share Market: उत्तरी अमेरिका भारतीय आईटी कंपनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बाजार है, जहां से उनकी कम से कम एक-तिहाई से दो-तिहाई आय प्राप्त होती है। भारत में सूचीबद्ध इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो और उनके अन्य लार्जकैप और मिडकैप समकक्षों के शेयर सोमवार को इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। निफ्टी आईटी इंडेक्स के लिए यह सप्ताह अच्छा रहा, जहां शेयरों में 1% से 3% तक की वृद्धि हुई।
IT उद्योग पर पड़ेगा असर
अमेरिकी सांसदों और सामुदायिक नेताओं ने एच-1बी वीजा आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस कदम को "लापरवाह" और "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया है, जिसका आईटी उद्योग पर "भारी नकारात्मक" प्रभाव पड़ेगा।
क्या है H-1B वीजा?
H-1B कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को उच्च-कुशल पदों पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, जिन्हें अमेरिकी नागरिकों या स्थायी निवासियों द्वारा आसानी से नहीं भरा जा सकता। नए आदेश के तहत, विदेशी कर्मचारियों को प्रायोजित करने के इच्छुक नियोक्ताओं को अब प्रति वीजा सालाना 100,000 डॉलर का भुगतान करना होगा, जो पिछली लागतों से काफी अधिक है।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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