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    बांग्लादेश का चूल्हा बंद करने की तैयारी! 50000 टन चावल की सप्लाई पर संकट, फैसला भारत सरकार के हाथ में

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 04:09 PM (IST)

    बांग्लादेश में बिगड़ते हालात के बीच भारतीय चावल निर्यातकों का एक तबका बांग्लादेश को चावल एक्सपोर्ट पर अस्थायी रोक लगाने की मांग कर रहा है। क्योंकि,  इ ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। बांग्लादेश (Bangladesh Unrest) में बिगड़ते हालात व हिंसा से परेशान भारतीय चावल निर्यातकों का एक तबका बांग्लादेश को चावल एक्सपोर्ट पर अस्थायी रोक लगाने की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि इससे शिपमेंट को सुरक्षा जोखिम है और ढाका की ओर से जवाबी कार्रवाई हो सकती है। यह मांग बांग्लादेश में भारतीय हितों पर हमलों की खबरों के बाद आई है, जिसमें चल रही राजनीतिक अशांति के बीच चट्टोग्राम में इंडियन असिस्टेंट हाई कमिश्नर के ऑफिस पर हमला भी शामिल है।

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    एक्सपोर्टर्स का कहना है कि शिपमेंट जारी रखने से बेवजह जोखिम होता है, खासकर इसलिए क्योंकि बांग्लादेश ने कच्चे जूट के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है, जिससे भारतीय जूट मिलों पर असर पड़ रहा है। कुछ लोगों का सुझाव है कि अगर सरकार बैन नहीं लगाती है, तो एक्सपोर्टर्स को या तो बांग्लादेश के इंपोर्ट टेंडर छोड़ देने चाहिए या काफी ज़्यादा कीमतें बतानी चाहिए।

    भारत से मिला सबसे सस्ता चावल 

    बांग्लादेश 2025-26 में स्ट्रेटेजिक स्टॉक बनाने और घरेलू कीमतों को स्थिर करने के लिए लगभग 900,000 टन चावल इंपोर्ट करने की योजना बना रहा है, जिसमें मुख्य रूप से टेंडर के ज़रिए पारबॉयल्ड और सफ़ेद चावल शामिल हैं (पाकिस्तान, म्यांमार और वियतनाम जैसे देशों के साथ कुछ सरकारी डील भी होंगी)। भारतीय एक्सपोर्टर्स ने लगातार सबसे कम बोली लगाई है, अक्सर लगभग $350-360 प्रति टन, जबकि पाकिस्तान जैसे दूसरे देशों की कीमतें ज़्यादा हैं (लगभग $395 प्रति टन)।

    बांग्लादेश दे चुका है आयात को मंजूरी

    बैन की मांग के बावजूद, व्यापार व्यावहारिक रूप से जारी है। हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि बांग्लादेश ने काफी लागत बचत (अन्य स्रोतों की तुलना में लगभग $40 प्रति टन सस्ता) के कारण भारत से 50,000 टन चावल के आयात को मंजूरी दे दी है, और राजनीतिक तनाव के बावजूद आर्थिक जरूरतों को प्राथमिकता दी गई है।

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    24 दिसंबर, 2025 तक भारत सरकार द्वारा कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, और निर्यात जारी है, हालांकि स्थिति तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाती है जो ट्रेड सेंटिमेंट को प्रभावित कर रहे हैं।

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