सितंबर तिमाही में क्यों सुस्त पड़ी भारत की रफ्तार, जानिए GDP Growth घटने की वजह
India Q2 GDP Growth सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही। यह एक साल पहले की समान अवधि में 8.1 फीसदी थी। यहां तक कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी रही। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक कमजोर खपत और प्रमुख क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम जैसे कि बाढ़ की वजह से जीडीपी ग्रोथ में कमी आई है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत की तरक्की की रफ्तार वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में सुस्त पड़ गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही। यह एक साल पहले की समान अवधि में 8.1 फीसदी थी। यहां तक कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी रही। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, कमजोर खपत और प्रमुख क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम, जैसे कि बाढ़, की वजह से जीडीपी ग्रोथ में कमी आई है।
आरबीआई के अनुमान से कम रही ग्रोथ
सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ एक्सपर्ट के अनुमान से काफी कम रही। इकोनॉमिक एक्सपर्ट पहले ही मानकर चल रहे थे कि दूसरी तिमाही में खपत घटने से जीडीपी ग्रोथ कम रहेगी। लेकिन, यह उनके अनुमान से भी कम रही। अधिकतर एक्सपर्ट 6 से 6.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान जता रहे थे। आरबीआई ने 7 फीसदी ग्रोथ रहने का अनुमान जताया था। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के सर्वे में भी जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई थी।
ग्रॉस वैल्यू एडेड में भी आई गिरावट
रियल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) आर्थिक गतिविधियों को मापने वाले अहम पैमाना है। यह वित्त वर्ष 2024-25की दूसरी तिमाही में 5.6 फीसदी बढ़ा। पिछले साल की समान अवधि में यह 7.7 फीसदी था। इसका मतलब कि सालाना आधार दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहीं। नॉमिनल GVA ग्रोथ भी सालाना आधार 9.3 फीसदी के मुकाबले घटकर 8.1 फीसदी पर आ गई।
जीडीपी ग्रोथ सुस्त पड़ने की वजह क्या है?
आर्थिक जानकारों के मुताबिक, जीडीपी ग्रोथ सुस्त पड़ने की कई वजहें हैं। इसमें बढ़ती मंहगाई और ऊंची ब्याज दर अहम हैं। साथ ही, वेतन में भी उल्लेखनीय इजाफा नहीं हुआ, जिससे खपत को बढ़ावा मिला। यही वजह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने आरबीआई से अपील की है कि वह ब्याज दरों में कटौती करे। इससे कर्ज लेना सस्ता होगा और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे
कॉरपोरेट वर्ल्ड के सितंबर तिमाही काफी निराशाजनक रहे। देश की प्रमुख कंपनियों की जुलाई-सितंबर की अवधि में ग्रोथ पिछले चार वर्षों में सबसे खराब रही। इससे शेयर बाजार में भी बड़ा करेक्शन देखने को मिला। कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों ने नए निवेश और व्यापार विस्तार योजनाओं को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है। इस अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरे के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
क्या जीडीपी ग्रोथ में आगे सुधार होगा
आर्थिक जानकार मौजूदा चुनौतियों के बावजूद दूसरी छमाही में जीडीपी ग्रोथ बेहतर रहने का अनुमान जता रहे हैं। RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने के अनुमान को बरकरार रखा है। हालांकि, यह पिछले वित्त वर्ष की 8.2 फीसदी ग्रोथ से काफी कम है। अगर केंद्रीय बैंक निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती करता है, तो उससे खपत को बढ़ावा मिलेगी। इसका इकोनॉमी और जीडीपी ग्रोथ पर सकारात्मक असर भी दिख सकता है।
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