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RBI: ब्याज दर बढ़ने का लोन की मांग पर असर नहीं, लोन की मांग में तेजी बरकरार

चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में कर्ज लेने की रफ्तार थोड़ी सुस्त हो सकती है। इस साल मई से आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया और गत बुधवार को भी रेट में 35 आधार अंक की बढ़ोतरी की गई।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Thu, 08 Dec 2022 09:02 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2022 09:02 PM (IST)
RBI: ब्याज दर बढ़ने का लोन की मांग पर असर नहीं, लोन की मांग में तेजी बरकरार
गैर खाद्य कर्ज में लगातार हो रही बढ़ोतरी घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती का असर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंक दरों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से कर्ज लेना महंगा होता जा रहा हैं, लेकिन कर्ज की मांग पर इसका असर नहीं दिख रहा है। उल्टा कर्ज की मांग में तेजी दिख रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में हो रहे विकास से कर्ज की मांग कम नहीं हो रही है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में कर्ज लेने की रफ्तार थोड़ी सुस्त हो सकती है। इस साल मई से आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया और गत बुधवार को भी रेट में 35 आधार अंक की बढ़ोतरी की गई।

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आरबीआई की तरफ से बैंक दर बढ़ाने से विभिन्न प्रकार के कर्ज की ब्याज दरों में मई से लेकर अब तक 2.5 फीसद तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। आरबीआइ के मुताबिक गैर खाद्य कर्ज (नॉन फूड लोन) की दर में लगातार इजाफा हो रहा है। आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई में गैर खाद्य कर्ज में पिछले साल जुलाई के मुकाबले 15 फीसद की बढ़ोतरी रही। अगस्त में यह बढ़ोतरी दर 16 फीसद, सितंबर में 16.9 फीसद तो अक्टूबर में यह बढ़ोतरी दर 18.3 फीसद की रही। अक्टूबर में औद्योगिक कर्ज में पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले 13.6 फीसद का इजाफा रहा। कृषि व संबंधित लोन से लेकर एमएसएमई लोन में भी बढ़ोतरी जारी है।

एचडीएफसी की वरिष्ठ अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता कहती हैं, 'कर्ज का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था के संपूर्ण विकास से जुड़ा है और अन्य देशों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था काफी मजबूत स्थिति में है। ब्याज दर से कर्ज लेने की गति कम प्रभावित होती है।' गुप्ता ने यह भी कहा कि वैसे भी ब्याज दर में बढ़ोतरी का असर एकदम से नहीं दिखता है। अगली तिमाही में कर्ज की दरों पर थोड़ा बहुत असर दिख सकता है।

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एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को आरबीआइ की तरफ से बैंक दर में होने वाली बढ़ोतरी से रिटेल व एमएसएमई पर ब्याज के रूप में 68,625 करोड़ रुपए के भार पड़ सकता है। इस बढ़ी हुई लागत की वसूली वे उपभोक्ता से करेंगे जिससे भविष्य में खपत प्रभावित हो सकती है।

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