#NayaBharat MSME को 20 लाख करोड़ की बजाय ब्याज और GST में छूट मिलती, तो यह इकोनॉमी के लिए ज्यादा अच्छा कदम होता : विवेक बिंद्रा
लॉकडाउन और उसके बाद के बिजनेस की बात करें तो कुछ कारोबार V कर्व पर आ जाएंगे। मतलब उसमें एकदम से गिरावट हुई है। लेकिन जितनी तेजी से गिरावट हुई है उतनी ही तेजी से रिकवरी होगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत समेत दुनियाभर में कोविड-19 महामारी का प्रकोप जारी है। हालांकि, अब लंबे समय के बाद भारत में लॉकडाउन में कुछ हद तक छूट मिल रही है। अब दोबारा कारोबारी गतिविधियां शुरू हुई हैं लेकिन कोविड-19 के बाद के नए भारत की चुनौतियों और बदले माहौल में कारोबारी फायदे और नुकसान से लेकर तमाम तरह के मुद्दे पर Jagran Hitech के एडिटर सिद्धार्था शर्मा ने Bada Business के फाउंडर और सीईओ विवेक बिंद्रा से दैनिक जागरण की नई सीरीज #NayaBharat में बातचीत की है। आइए, इस बातचीत को विस्तार से जानते हैं-
सिद्धार्था शर्मा- कोविड-19 की वजह से लंबे वक्त से देश में लॉकडाउन जारी रहा। इसका भारत समेत दुनियाभर के कारोबार पर क्या असर पड़ा है?
विवेक बिंद्रा- अगर लॉकडाउन और उसके बाद के बिजनेस की बात करें, तो कुछ कारोबार V कर्व पर आ जाएंगे। मतलब उसमें एकदम से गिरावट हुई है। लेकिन जितनी तेजी से गिरावट हुई है, उतनी ही तेजी से रिकवरी होगी। हालांकि, कुछ बिजनेस U शेप में रहेंगे। इसका मतलब है कि बिजनेस में एक बार गिरावट के बाद संभलने में वक्त लगेगा, जबकि कुछ कारोबार L शेप कर्व में चले जाएंगे। L शेप वाले कारोबार में सबसे ज्यादा नुकसान होगा। रिकवरी रेट न के बराबर होगी। साधारण शब्दों में कहें, तो ई-कॉमर्स और एंटरटेनमेंट का स्ट्रीमिंग और गेमिंग का बिजनेस काफी अच्छा रहने वाला है। वहीं फॉर्मास्यूटिकल भी ठीक रहेगा। लेकिन एयरलाइंस, कंस्ट्रक्शन, माइनिंग, गिफ्ट, रिटेल, हॉस्पिटैलिटी इन्वेस्टमेंट बैकिंग, सिनेमाहाल, माइनिंग, हेयर ड्रेसर और व्हीकल डीलर का कारोबार काफी मंदा रहने वाला है। कुल मिलाकर ऐसे सेक्टर में सुस्ती दिखेगी, जहां ग्राहक के खर्च किए बिना काम चल सकता है।
बैंकिंग हेल्थकेयर और एजूकेशन, मैन्यूफैक्चरिंग के लिए मुसीबत होगी। ड्रग और फॉर्मास्यूटिकल की रिकवरी रेट काफी अच्छी रहेगी। प्रोडक्शन में विस्तार होगा, प्राइस और डिमांड बढ़ जाएगी। बैकिंग, जेम्स एंड ज्वैलरी की रिकवरी में वक्त लगेगा। लोग शादियों में कम गहने खरीदेंगे। टूरिज्म पर करीब चार तिमाही तक असर देखने को मिलेगा, जो कि काफी लंबा होगा। डोमेस्टिक और इंटरनेशल टूरिस्ट मूवमेंट खत्म हो जाएगा। देश की लाइफलाइन कही जाने वाली MSME 28 फीसद एक्सपोर्ट कर रही है, ऐसे में MSME को बचाना जरूरी है।
सिद्धार्था शर्मा- MSME को बचाने के लिए क्या स्ट्रैटजी होनी चाहिए?
विवेक बिंद्रा- सबसे पहले उन ग्राहकों पर ध्यान देना होगा, जो आपके पुराने खरीदार हैं। साथ ही कारोबार में कैश फ्लो को रोककर सेविंग पर ज्यादा जोर देना होगा। मतलब सेल्स पर्सन का कस्टमर के साथ कोविड-19 के बाद भी बेहतर संवाद जारी रहना चाहिए। साथ ही कंपनी को अपने प्रोडक्ट के अनुभव को बेहतर बनाने की स्ट्रैटजी पर जोर देना होगा। कंपनियां एटेंशन और रिटेंशन पर फोकस करेंगी। कारोबारी अच्छे कस्टमर से टेस्टीमोनियल हासिल करेंगे। साथ ही इस दौर में करोबारी पार्टनरशिप पर जोर देंगे, खासकर जो नया इन्वेस्टमेंट ला सकेंगे। इसके अलावा नई स्ट्रैटजी के तहत कंटेंट मार्केटिंग टीम को मजबूत करने, ब्रांडिंग और नेटवर्किंग पर जोर रहेगा। डिजिटल मोड और आउटसोर्सिंग से खर्चों को कंट्रोल करने की कोशिश होगी। साथ ही यह मौका है टेक्नोलॉजी की तरफ शिफ्ट करने का। CEO और CTO उतनी तेज गति से टेक्नोलॉजी नहीं ला सकते थे, जितनी तेजी से कोविड-19 के आने से आई है। इसके लिए कोविड-19 को बधाई देनी चाहिए। खासकर इस दौर में परिवार को प्रोफेशनल बनाओ और प्रोफेशल को परिवार बनाओ। अपनी टीम को दोबारा से जोड़िए, हो सके, तो उन्हें कंपनी के शेयर दे दीजिए। इसके बावजूद अगर हायरिंग करनी हो, तो फोकस्ड लोगों को हायर करना चाहिए।
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सिद्धार्था शर्मा- सरकार की तरफ से MSME और SME के लिए कई सारे रिलीफ पैकेज का ऐलान किया गया है। आप उसे लेकर क्या कहेंगे?
विवेक बिंद्रा- सरकार को ईज ऑफ डूइंग के साथ ही ईज ऑफ स्टार्टिंग पर फोकस करना चाहिए। ईज ऑफ स्टार्टिंग में भारत का दुनिया में 136वां और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 63वां स्थान है। मौजूदा वक्त में 6 करोड़ रजिस्टर्ड MSME व्यापारी हैं, जबकि 7 करोड़ व्यापारी रजिस्टर्ड नहीं है। ऐसे में सभी MSME व्यापारियों का सरकार रजिस्ट्रेशन कराएं, नहीं तो 20 लाख करोड़ रुपए को डिस्ट्रीब्यूट कर दिया जाएगा। लेकिन सरकार को टैक्स नहीं मिलेगा। सरकार को अपना कैश आउटफ्लो भी बढ़ाना चाहिए था। सरकार ने बैंक से लोन देने का ऐलान कर दिया है। इसका असर यह होगा कि बाद में अगर बैंक लोन की रिकवरी नहीं हुई, तो बैंक डूब जाएंगे। इससे अच्छा था कि सरकार ब्याज माफ कर देती, जीएसटी में छूट दे देते या फिर टैक्स में छूट मिल जाती, तो ज्यादा अच्छा रहता। पिछले टर्म के MSME मिनिस्टर से बातचीत हुई थी, उस वक्त कहा गया कि हम MSME को बड़ी मात्रा में लोन दे रहे हैं। उस वक्त हमने कहा था कि लोन अप्रूव तो होता है। लेकिन डिस्बर्स नहीं होता है। MSME का एनपीए कम है। लेकिन इसके बावजूद उन्हें लोन नहीं मिल पाता है। दरअसल MSME कॉरपोरेट और मजदूर के बीच का हिस्सा है। ऐसे में अगर MSME को मदद मिल गई है, तो सब ठीक हो जाएगा और अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी।
सिद्धार्था शर्मा- बिजनेस में हमेशा संकट को हमेशा अवसर माना जाता है। ऐसे में कोविड-19 के बाद के अवसर के बारे में बताइए?
विवेक बिंद्रा- कोविड-19 के दौर में हमने दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन बिजनेस ट्रेनिंग प्रोग्राम वेबिनार किया और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले यह रिकार्ड अमेरिका और रूस के नाम था। इसके साथ ही हमने सेल्स में हमने दुनिया का बड़ा ट्रेनिंग प्रोग्राम रखा।
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सिद्धार्था शर्मा- नया भारत को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?
विवेक बिंद्रा- भारत में आज भी भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है। इसे दूर करने के लिए अमेरिकी मॉडल अपनाना होगा, अमेरिका में भ्रष्टाचार के मामले में एक साल 6 माह में फैसला आ जाता है। भारत में 1983 के बाद 2014 में बोला गया था कि केस चल सकता है। 84 के दंगों के केस में देरी हुई। ऐसे में मामलों में तेजी लाने के लिए जजों की संख्या बढ़ानी होगी। हर 10 लाख पर 50 जज करने की जरूरत है। पुलिस को ज्यादा पावर देनी होगी। पुलिस को सेंट्रलाइज करना चाहिए। साथ ही भारत के एजूकेशन सिस्टम में सुधार की जरूरत है। सरकार को धंधा नहीं करना चाहिए, उसे पॉलिसी मेकिंग पर जोर देना होगा। रेलवे, एयरलाइंस और ऑयल एंड गैस सबकुछ प्राइवेट हो जाना चाहिए। ब्यूरोक्रेट देश में कभी क्रांति लेकर नहीं आए। मेरे मुताबिक ब्यूरोक्रेट को फ्रीहैंड मिलना चाहिए। उनके ऊपर से वॉचडॉग हटने चाहिए। साथ ही ब्यूरोक्रेट की तरफ से अच्छा काम करने पर उन्हें इन्सेंटिव दिया जाना चाहिए। इसके अलावा स्टार्टअप पर फंड लगाना चाहिए। दुनियाभर में आज भारत के सीईओ काबिज हैं। ऐसे में उन्हें प्रोत्साहित करने के साथ ही देश में ही निवेश उपलब्ध कराना चाहिए। साथ ही लास्ट में हमारे नेता बुद्धिमाना होने चाहिए। आखिरी में पुराना भारत ही हमें नया भारत बनाकर देगा।