पिछले 6 साल में बढ़े रोजगार के अवसर, FY23 में बेरोजगारी दर घटकर हुई 3.2%: एसबीआई रिपोर्ट
पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। एसबीआई रिसर्च टीम जिसने हाल के वर्षों में वर्तमान आर्थिक स्थिति पर कई रिपोर्ट प्रकाशित की है ने आज देश में बेरोजगारी की स्थिति का आकलन जारी किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में रोजगार के अवसर काफी बढ़े हैं और कम से कम पिछले छह वित्तीय वर्षों में बेरोजगारी कम हुई है।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। पांच राज्यों में चुनाव शुरू हो चुके हैं और इन राज्यों में रोजगार के अवसरों की उपलब्धता या बेरोजगारी की स्थिति एक अहम मुद्दा बना हुआ है।
ऐसे में हाल के वर्षों में सम-सामयिक आर्थिक हालात पर एक के बाद एक कई रिपोर्ट जारी करने वाला एसबीआई की शोध टीम ने देश में बेरोजगारी की स्थिति पर अपना आकलन मंगलवार को जारी किया है।
पिछले 6 साल में बढ़े रोजगार के अवसर
इस रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि कम से कम पिछले छह वित्त वर्षों में देश में रोजगार के अवसरों में काफी वृद्धि हुई है और बेरोजगारी कम हुई है। इसके लिए एसबीआई की शोध टीम ने पिछले दिनों सरकारी एजेंसी एनएसएसओ की तरफ से आवर्ती श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) को आधार बनाया है और इसकी अपने तरीके से समीक्षा की है।
घट रही है बरोजगारी दर
पीएलएफएस का कहना है कि वित्त वर्ष 2018 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसद थी जो वर्ष 2023 में घट कर 3.2 फीसद हो गई है। हालांकि कई राजनेताओं ने और कुछ अर्थविदों ने इस पर सवाल उठाया है। खास तौर पर युवा वर्ग के बीच रोजगार की स्थिति और स्वरोजगार के बढ़ते अवसरों को लेकर बताया गया है कि इससे देश में संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में कमी का पता चलता है। इस पर एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि इस तरह की आपत्तियां तथ्यात्मक नहीं है।
नब्बे के दशक में स्वरोजगार 50 प्रतिशत था अधिक
पीएलएफएस की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में कुल रोजगार में स्वरोजगार की हिस्सेदारी 52.2 फीसद थी जो वर्ष 2023 में बढ़ कर 57.3 फीसद हो गई है।
एसबीआई का इस बारे में कहना है कि अस्सी व नब्बे के दशक से ही यह देखा जा रहा है कि कुल रोजगार में स्वरोजगार की हिस्सेदारी 50 फीसद से ज्यादा है। वजह यह है कि पीएम मुद्रा योजना और पीएम स्वनिधि योजना से समाज के निचले तबके को स्वरोजगार करने का बड़ा मौका मिलने लगा है।
खास तौर पर परिवार संचालित छोटे व मझोले उद्यमों का विस्तार हो रहा है और इसमें काम करने वाले घरेलू सहायकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट कहती है कि सरकार की तरफ से 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है, आयुष्मान भारत जैसी स्कीमें हैं जो स्वास्थ्य पर खर्चे का वहन कर रही हैं।
इसके अलावा कई राज्य सरकारों की योजनाएं हैं जिससे लोगों को काफी सहूलियत हो रही हैं। ऐसे में एक बड़े वर्ग की आय किसी पारिवारिक उद्यम में काम करने से बढ़ी है।
15 से 29 साल के आयु वर्ग के लिए बेरोजगारी दर नीचले स्तर पर
पीएलएफएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 से 29 वर्ष की आयु वर्ग में बेरोजगारी की दल पिछले तीन वर्षों के सबसे न्यूनतम स्तर 10 फीसद पर है। लेकिन कई अर्थविदों ने यह कहा है कि इससे पता चलता है कि देश में रोजगार के अवसरों में कमी है तभी काम करने की आयु में युवा बेरोजगार हैं।
इस पर एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि अब पढ़ाई व रोजगार के बीच पैटर्न तेजी से बदल रहा है। मध्यावधि भोजन के जरिए छात्र व छात्राओं को प्राथमिक शिक्षा के लिए लुभाने की योजना का असर अब दिख रहा है। छात्र व छात्राएं 23-24 वर्ष तक शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इस वजह से 15 से 29 आयु वर्ग में बेरोजगारी की दर अभी भी 10 फीसद तक दिख रही है। जबकि जो युवा शिक्षा हासिल कर रहे हैं उन्हें श्रम-बल में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।