Doordarshan News Anchors: सादगी व सौम्यता की मिसाल थे दूरदर्शन के न्यूज रीडर्स, क्या आपको याद है इन सबके चेहरे
नमस्कार आप देख रहे हैं दूरदर्शन...अब वक्त है देश-दुनिया की खबरों का। इन पंक्तियों से शुरुआत होती थी 90 के दौर के समाचार की जब टीवी पर केवल एक चैनल आता था और ऐंकर्स लोगों के दिलों पर राज करते थे। सभी प्रस्तुतकर्ता के आम लोग दिवाने हुए कर थे। तब इनका रुतबा किसी फिल्मी स्टार से कम नहीं था।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। आज के समय में हम जब भी सोचते हैं कि टीवी खोल कर समाचार देखें या सुने उससे पहले ही कुछ छवियां हमारे दिमाग में कौंध जाती है, जैसे चीखते-चिल्लाते पत्रकार, प्रतिभागियों के साथ पैनल चर्चा में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर और एक असामान्य कोलाहल जिसमें सभी के बीच बोलने की होड़ लगी है और सभी अपने विचारों को सुनाने की कोशिश में रहते हैं।
इस पूरे हंगामे के बीच एक दर्शक खुद को खोया हुआ पाता है, जिसे अक्सर पता ही नहीं होता कि आखिर हो क्या रहा है जिसके बाद वह एक चैनल से दूसरे चैनल पर जाने के लिए रिमोट के बटन दबाता रहता है। देश और दुनिया में क्या चल रहा है उससे अवगत होने के ख्याल से टीवी खोलने वाले दर्शक को आखिर में ऐसा लगता है कि कुछ ही देर में टीवी बंद कर दें।
हालांकि ये दौर इन बीते कुछ वर्षों में ही हुआ है। पहले ऐसा नहीं था। हम आज भी जब पुराने दिन याद करते हैं, तो पाते हैं कि जब टीवी, डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया नहीं था तब हमारे अंदर देश और दुनिया की खबरों को जानने की किस कदर बेचैनी होती थी। ब्लैक एण्ड व्हाइट टीवी के जमाने से पहले जब रेडियो एकमात्र साधन हुआ करता था, तब लोग जिसे न देख सकते थे और न जानते थे बस उसकी आवाज के इंतज़ार में रहते थे और दिन में एक बार आने वाले न्यूज बुलेटिन का बेसब्री से इंतजार करते और तसल्ली से सुना करते थे।
उस दौर में खबरों को सुनने की रहती थी बेचैनी...
उनके बोलने और खबर सुनाने के तरीके पर मुग्ध थे। फिर जब ब्लैक एंड व्हाइट टीवी आया और दूरदर्शन का दौर आया तब टीवी पर पुरुष और महिला एंकर खबर पढ़ते हुए दिखाई देने लगे। एक नए दौर की शुरुआत हुई, जहां ढेरों चैनल नहीं थे, न ही एंकर्स भारी-भरकम मेकअप करती और न ही किसी भी प्रकार का शोर शराबा होता। शुरुआती दौर में एक चैनल, एक या दो एंकर्स और बिना किसी पक्षपात या अपनी व्यक्तिगत राय को जोड़े वह खबरे सुनाया करते थे। इन एंकर्स को लोग बड़े चाव से घटों सुनते और देश–दुनिया की सभी छोटी–बड़ी खबरों से अवगत होते थे। ये ऐसे एंकर थे जिनको पूरा देश सुनता था। इन्होंने अपने बोलने, पहनावे, और अपने बालों और मेकअप के तरीके से एक तरह का ट्रेंड सेट कर दिया था।
वो सभी लोग जो 70 80 और 90 के दशक का समय याद करते हैं और उस जमाने के एंकर्स और न्यूज रीडर के न्यूज सुनाने के तरीके के कायल थे, उनके लिए आज एक बार फिर उन सुनहरी यादों को जीने का मौका है जिन्होंने हमारे मन–मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ी है। आइए, जानते हैं दूरदर्शन के हमारे कुछ पसंदीदा एंकर्स के बारे में कि आखिर इन दिनों वो क्या कर रहे हैं:
प्रतिमा पुरी (Pratima Puri)
दूरदर्शन का जन्म 1959 में एक अस्थायी स्टूडियो में एक छोटे ट्रांसमीटर के साथ प्रायोगिक प्रसारण के रूप में हुआ था। छह साल बाद, भारत की पहली महिला समाचार प्रस्तुतकर्ता प्रतिमा पुरी ने पांच मिनट का समाचार बुलेटिन प्रस्तुत किया। पुरी, जिनका जन्म शिमला में विद्या रावत के रूप में हुआ था, ने दूरदर्शन में जाने से पहले ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के साथ अपना करियर शुरू किया। बताया जाता है कि प्रतिमा ने शिमला में ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) स्टेशन से मीडिया में कदम रखा। पर बाद में उन्हें दिल्ली भेज दिया गया।
देश का सबसे पहला न्यूज़ बुलेटिन पूरे पांच मिनट का था और इसे प्रस्तुत किया था प्रतिमा पुरी ने। उन्होंने दूरदर्शन में बहुत लंबे समय तक काम किया। बाद में वे न्यूज़रीडर बनने के इच्छुक लोगों को ट्रेनिंग भी देने लगी थीं। इतना ही नहीं उस समय में, वे महान हस्तियों का इंटरव्यू लेने के लिए भी जानी जाती थीं। जिसमें रूस के युरी गगारिन का नाम भी शामिल है, जो अन्तरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति थे। 2017 में प्रतिमा पुरी का निधन हो गया।
सलमा सुल्तान (Salma Sultan)
बदन पर साड़ी, बालों में उसी से मिलते-जुलते रंग का गुलाब और खबरें पढ़ने का अलग अंदाज, इन बातों की कल्पना की जाए तो एक ही चेहरा हमारे जेहन में आता है- सलमा सुलतान का। 16 मार्च 1947 को भोपाल में जन्मी सलमा सुल्तान ने दूरदर्शन में सन् 1967 से 1997 तक समाचार रीडर और एंकर की भूमिका इस तरह निभाई की आज भी उनका नाम लेते ही उनकी वही सौम्य छवि हम सभी की आंखों में उतर आती है।
कई वर्षों तक दूरदर्शन का चेहरा रहीं सलमा सुल्तान ने सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की खबर 31 अक्टूबर, 1984 को उन्हें गोली मारने के 10 घंटे बाद ब्रेक की थी। बालों में गुलाब लगाना उन्हें बेहद पसंद था। दूरदर्शन से सेवानिवृत्त होने के बाद, सुल्तान ने अपने प्रोडक्शन हाउस, लेंसव्यू प्राइवेट लिमिटेड के तहत डीडी पर पंचतंत्र से, सुनो कहानी, स्वर मेरे तुम्हारे और जलते सवाल जैसे धारावाहिकों का निर्देशन किया।
नीति रविंद्रन (Niti Ravindran)
दूरदर्शन के फेमस ऐंकर्स में नीति रविंद्रन का नाम भी शामिल है। वो 1980 से 1990 तक दूरर्शन में काम करती थीं। अपनी मधुर आवाज से ये दर्शकों को बांधे रखती थीं। नीति अंग्रेजी में समाचार पढ़ती थी। इनका अंग्रेजी उच्चारण बेहद सटीक था। अपने शुद्ध उच्चारण के चलते ही नीति को उस समय की इलीट इंडिया क्लास में काफी पसंद किया जाने लगा था।
रवींद्रन को 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के अपने कवरेज के लिए जाना जाता है। भारत की आजादी के 50 साल पूरे होने के समय जो वृत्तचित्र विदेश मंत्रालय की तरफ से बनाया गया था, वो नीति की ही प्रतिभा की देन थी। इसके लिए इन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इन दिनों नीति रविन्द्रन बतौर वॉइस ओवर आर्टिस्ट काम कर रही हैं।
नीलम शर्मा (Neelam Sharma)
दूरदर्शन के सबसे फेमस चेहरों में नीलम शर्मा का नाम भी शामिल है। उन्हें दूरदर्शन के संस्थापक एंकरों में से एक के रूप में जाना जाता था। उनकी सादगी और साड़ी पहनने के अंदाज को लाखों लोगों द्वारा पंसद किया जाता था। उन्हें देश में महिलाओं के लिए सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'नारी शक्ति सम्मान' से नवाजा गया था।
वह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता भी थीं, जिनके नाम पर 60 से अधिक फिल्में थीं। उन्होंने 1995 में दूरदर्शन से अपने करियर की शुरुआत की और 20 वर्षों से चैनल के साथ जुड़ी रहीं। कैंसर के कारण 50 साल की उम्र में 17 अगस्त 2019 को उनका निधन हो गया।
रिनी सिमोन खन्ना (Renee Simone Khanna)
दूरदर्शन की एकंर रिनी सिमोन ने साल 1985 से लेकर 2001 तक डीडी के साथ काम किया था। उनके पिता एयरफोर्स में काम करते थे तो इस वजह से इनका बचपन कई शहरों में गुजरा और इन्होंने 9 अलग-अलग स्कूलों से पढ़ाई की थी। उनकी एकरिंग और मधुर आवाज के आज भी लाखों प्रशंसक हैं। अब ये एक वॉइस ओवर आर्टिस्ट के तौर पर काम करती हैं। दिल्ली मेट्रो में अंग्रेजी में सुनाई देने वाला अनाउंसमेंट रिनी ने ही किया है।
गीतांजलि अय्यर (Gitanjali Iyer)
दूरदर्शन पर अंग्रेजी में समाचार प्रस्तुत करने वाली भारत की पहली महिला प्रस्तोता गीतांजलि अय्यर का 7 जून 2023 को निधन हो गया। उनकी आयु 70 साल से अधिक थी। उन्हें अंग्रेजी के शुद्ध उच्चारण के चलते न्यूज रीडर के रूप में खूब ख्याति मिली।
शम्मी नारंग (Shammi Narang)
शम्मी नारंग की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि वह दूरदर्शन में एक लाख उम्मीदवारों में से चुने गए थे और 1970-80 के दशक के दौरान वह दूरदर्शन का एक प्रसिद्ध चेहरा हुआ करते थे। आज भी वह एक लोकप्रिय और सफल वॉयस आर्टिस्ट हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली मेट्रो, रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव, मुंबई मेट्रो, बैंगलोर मेट्रो, हैदराबाद मेट्रो रेल और जयपुर मेट्रो में जिसकी आवाज सुनाई देती है, वह शम्मी नारंग ही हैं।