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Petrol, Diesel and Crude Oil: कब तक घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? सस्ते क्रूड के बाद भी देश में तेल महंगा क्यों?

Effects of Crude Oil Price on Petrol Diesel Price पिछले एक साल से तेल के दामों कोई बदलाव नहीं हुआ है। आइए जानते है कि ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में कमी के बावजूद आखिर देश में तेल की कीमत कम क्यों नहीं हो रही।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarPublished: Tue, 13 Jun 2023 08:20 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jun 2023 09:08 PM (IST)
Crude Oil: Does Crude Oil Prices Affect The Price of Petrol and Diesel?

नई दिल्ली, बिजेनस डेस्क: देश में पेट्रोल और डीजल के दामों एक साल के ज्यादा समय से स्थिर हैं। रोजमर्रा की चीजों की कीमत पेट्रोल- डीजल के दामों पर सीधा असर डालती है। दुनिया में भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 84 प्रतिशत आयात करता है।

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भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है। अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में के तर्ज पर देश में पेट्रोल और डीजल के दाम तय होते हैं। साल दर साल भारत का कच्चे तेल के आयात का बिल बढ़ रहे हैं। बिते वित्त वर्ष 23 में तेल का आयात 100 अरब डॉलर के पार कर गया है।

कहां से तेल आयात करता है भारत?

आपको बता दें कि भारत मिडिल ईस्ट से सबसे ज्यादा 52.7 प्रतिशत, अफ्रीका से 15 फीसदी, और यूएस से 14 फीसदी तेल का आयात करता है।

भारत इराक, अमेरिका, नाइजीरिया, सऊदी अरब, और संयुक्त अरब अमीरात से तेल आयात करता है। हाल ही के दिनों में भारत रूस से सस्ते कच्चे तेल मिलने के कारण रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात कर रहा है।

देश में कितनी तेल कंपनियां?

मुख्य तौर पर देश में तीन बड़ी तेल कंपनियां है इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL)

ये तेल कंपनियां भारत में 80 प्रतिशत ईंधन आपूर्ति को नियंत्रित करती हैं। इन तेल कंपनियों ने 6 अप्रैल, 2022 से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव नहीं किया है, जबकि कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल में 102.97 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर जून में 116.01 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी। वर्तमान में कच्चे तेल की कीमत 13 जून 2023 में 72.95 प्रति बैरल है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम, फिर देश में क्यों नहीं?

देश में ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि जब ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमत कम है तो फिर देश में कीमतें क्यों कम नहीं हो रहीं। दरअसल, जब तेल के दाम ग्लोबल मार्केट में बढ़े थे, तब देश में तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दामों में ज्यादा इजाफा न करते हुए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश के तहत देश में उस वक्त कम दामों में तेल बेच रही थी।

अब जब ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमत कम हुई है तो तेल कंपनियां नुकसान की भरपाई कर रही हैं जिसे पूरा होने में समय लगेगा। दूसरा, अमेरिका में बैंकिंग उथल-पुथल के कारण भी वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट के बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट की संभावना कम ही है।

पिछले महीनों अमेरिका में एक के बाद एक तीन बैंकों के डूबने के बाद बैंकिंग संकट की आशंका के कारण बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक, फर्स्ट रिपब्लिक और क्रेडिट सुइस की उथल-पुथल के बाद, ब्रेंट क्रूड पिछले सप्ताह के दौरान लगभग 12 फीसदी गिर गया।

जल्द कम होंगे दाम

हाल ही में सराकर के सूत्रों ने यह बाताया था कि देश में जल्द ही पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने वाले हैं।

सूत्रों के मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) को तिमाही में अच्छा मुनाफा हुआ है क्योंकि अब इन तेल कंपनियों को ईंधनों में अंडर-रिकवरी का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

पूरी दुनिया को तेल सप्लाई करने वालों में से एक, प्रमुख तेल निर्यातक सऊदी अरब, अगले महीने यानी जुलाई से शुरू होने वाले तेल उत्पादन में कटौती करना जा रहा है लेकिन इस फैसले के बाद भी देश में तेल की आपूर्ति में कमी नहीं आएगी। 

OPEC और OPEC+ देश क्या हैं?

कच्चे तेल या पेट्रोल-डीजल की बात जब भी आती है तो आपने हमेशा OPEC और OPEC+ देशों के बारें में जरूर सुना होगा। दरअसल OPEC का पूरा नाम ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्री (Organization of the Petroleum Exporting Countries) होता है।

OPEC में वैश्विक तेल उद्योग के 13 प्रमुख देश शामिल हैं जो सदस्य देशों में पेट्रोलियम कीमतों का समन्वय और एकीकरण करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उद्योग में निवेश करने वाले उत्पादकों और कंपनियों को उनके निवेश पर उचित रिटर्न मिले।

इन 13 देशों में अल्जीरिया, अंगोला, इक्वेटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कांगो, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, और वेनेज़ुएला शामिल है।

इसी OPEC में साल 2016 में, वैश्विक कच्चे तेल बाजार पर संगठन के नियंत्रण को बढ़ाने के लिए OPEC+ नामक एक बड़ा समूह बनाया गया था। इसमें, अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कजाकिस्तान, मलेशिया, ओमान, रूस, सूडान, दक्षिण सूडान शामिल है।

तेल के आयात को कम करने के क्या उपाय हैं?

हाल ही में सरकार ने तेल पर निर्भरता कम करने के लिए Flex Fuel Engine का कांसेप्ट लेकर आई है जिसके जरिए अब अब पेट्रोल में 20 फीसदी तक ethanol को मिलाया जाएगा। यानी आप जो तेल अब भरवाएंगे, उसमें 80 फीसदी पेट्रोल और 20 फीसदी एथेनॉल होगा।

देश में पर्यावरण को सुरक्षित रखने और तेल पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार इलेक्ट्रीक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही है और इलेक्ट्रीक वाहन की खरीद पर सब्सिडी भी दे रही है।

भारत की ऊर्जा जरूरतों के वैकल्पिक स्रोत के रूप में कोल बेड मीथेन की खोज की जा रही है।

सरकार आंतरिक रूप से अपनी ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए भूमिगत कोयला गैसीकरण का भी उपयोग कर रही है।

 


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