MSME को 45 दिन में भुगतान के नियम से मिल सकती है छूट
भारत सरकार मौजूदा नियम में ढील देने पर विचार कर रही है जिसके तहत बड़ी कंपनियों को सामान या सेवा खरीदने के 45 दिनों के भीतर सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को भुगतान करना अनिवार्य है। इस कदम का उद्देश्य बड़ी कंपनियों को वैकल्पिक सोर्सिंग विकल्पों की तलाश करने से हतोत्साहित करना है। 23 जुलाई को बजट प्रस्तुति के दौरान संभावित बदलाव की घोषणा होने की उम्मीद है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार बड़ी कंपनियों को सामान और सेवाएं खरीदने के 45 दिनों के भीतर MSME को भुगतान करने की आवश्यकता में ढील दे सकती है। इस आशय की घोषणा 23 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट में की जा सकती है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार MSME द्वारा बजट पूर्व परामर्श के दौरान आयकर अधिनियम की धारा 43बी(एच) में बदलाव के बारे में दिए गए सुझावों पर विचार कर रही है। सरकार ने पिछले साल के बजट में देश में MSME के सामने आने वाली भुगतान में देरी की चुनौती का समाधान करने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 43बी के तहत एक नया खंड जोड़ा था।
MSME को मिली 45 दिनों की छूट
इसके तहत यदि कोई बड़ी कंपनी एमएसएमई को 45 दिनों के अंदर भुगतान नहीं करती है तो वह उस खर्च को अपनी कर योग्य आय से नहीं घटा सकती है।
अब एमएसएमई को यह डर सता रहा है कि इस प्रविधान के चलते कहीं बड़े खरीदार एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं को नजरअंदाज कर सकते हैं या उन एमएसएमई से माल खरीदना शुरू कर सकते हैं, जो पंजीकृत नहीं हैं। एमएसएमई सेक्टर देश की जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान देता है और कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है।
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नए बजट में होगा खुलासा
इससे पहले मई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि एमएसएमई द्वारा प्रस्तुत किए गए अभ्यावेदन के अनुसार, नियम में यदि कोई बदलाव होगा तो उसे नई सरकार के तहत जुलाई में पूर्ण बजट में करना होगा।
एमएसएमई क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 30 प्रतिशत हिस्सा है और कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है। एमएसएमई के लिए निर्दिष्ट उत्पादों से निर्यात का हिस्सा देश के कुल निर्यात का 45.56 प्रतिशत है।
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