सर्च करे
Home

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सस्ते दाम पर कच्चा माल मिलने पर गारमेंट उद्योग को होगा फायदा, सब्सिडी स्कीम दोबारा शुरू करने की मांग

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Thu, 24 Nov 2022 09:05 PM (IST)

    भारी संख्या में लोगों को रोजगार देने वाले गारमेंट उद्योग अपने लिए कच्चे माल की सुलभ उपलब्धता चाहता है। गारमेंट उद्यमियों ने बताया कि सरकार को बजट में कॉटन के आयात पर लगने वाले शुल्क हटाना चाहिए ताकि वह बाहर से कॉटन का सस्ते दाम पर आयात कर सके।

    Hero Image
    स्ते दाम पर कच्चा माल मिलने पर गारमेंट उद्योग को होगा फायदा।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारी संख्या में लोगों को रोजगार देने वाले गारमेंट उद्योग अपने लिए कच्चे माल की सुलभ उपलब्धता चाहता है। गारमेंट उद्यमियों ने बताया कि सरकार को बजट में कॉटन के आयात पर लगने वाले शुल्क हटाना चाहिए ताकि वह बाहर से कॉटन का सस्ते दाम पर आयात कर सके। वहीं मैन मेड फेबरिक के निर्माण के लिए सरकार को उद्यमियों को इंसेंटिव देना चाहिए ताकि वे इस सेक्टर में निवेश के लिए प्रोत्साहित हो। आगामी बजट में टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड (टफ) स्कीम को फिर से लागू करने की घोषणा करनी चाहिए ताकि उद्यमियों की निवेश लागत कम हो सके। आगामी एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश किया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गारमेंट निर्माण होता है प्रभावित

    गारमेंट निर्माताओं ने बताया कि देश में मार्च से लेकर सितंबर तक कॉटन की किल्लत रहती है जिससे गारमेंट निर्माण प्रभावित होता है। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (सिटी) के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि गारमेंट उद्योग की सबसे बड़ी समस्या सस्ते कच्चे माल की है। घरेलू कॉटन की कीमत अन्य देशों के मुकाबले 10 फीसद अधिक है, लेकिन घरेलू गारमेंट निर्माता बाहर से कॉटन का आयात नहीं कर सकता है क्योंकि आयात पर 11 फीसद का शुल्क लगता है। ऐसे में आयातित कॉटन और महंगा पड़ेगा। सरकार को बजट में कॉटन आयात पर लगने वाले शुल्क को खत्म करना चाहिए।

    सब्सिडी स्कीम पर लगा दी गई है रोक

    गारमेंट निर्माताओं ने बताया कि आयात शुल्क कम होने पर वे आयातित कॉटन से उत्पादन कर सकेंगे और उनकी लागत कम होगी। इससे वे निर्यात बाजार में दूसरे देशों का मुकाबला कर सकेंगे। अभी लागत अधिक होने से गारमेंट निर्यात पर भी प्रभाव पड़ रहा है। गारमेंट निर्माताओं ने बताया कि पहले उन्हें नई मशीन लगाने पर टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड (टफ) के तहत सब्सिडी मिलती थी। इस साल अप्रैल से इस स्कीम पर रोक लगा दी गई है जिसे फिर से शुरू करने की जरूरत है।

    मेड फेबरिक पर जोर दे रही है सरकार

    गारमेंट निर्माताओं ने बताया कि सरकार मैन मेड फेबरिक पर जोर दे रही है, लेकिन इसकी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में काफी लागत आती है। इसलिए सरकार को इंसेंटिव देने की घोषणा करनी चाहिए। अभी भारत का मैन मेड फैबरिक चीन के मुकाबले काफी महंगा है। इसलिए चीन के माल को लोग प्राथमिकता देते हैं।

    यह भी पढ़ें- आंकड़ों में देरी, बार-बार समीक्षा से मौद्रिक नीति का काम बना चुनौतीपूर्ण : RBI डिप्टी गवर्नर

    यह भी पढ़ें- अगले महीने से प्रतिस्पर्धा आयोग करेगा जीएसटी मुनाफाखोरी से जुड़ी शिकायतों की जांच, अभी एनएए करता है समाधान

     

    बिजनेस से जुड़ी हर जरूरी खबर, मार्केट अपडेट और पर्सनल फाइनेंस टिप्स के लिए फॉलो करें