आंकड़ों में देरी, बार-बार समीक्षा से मौद्रिक नीति का काम बना चुनौतीपूर्ण : RBI डिप्टी गवर्नर
पहले सप्ताह में घोषित की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए विचार-विमर्श जल्द शुरू होगा और यह काफी कुछ अक्टूबर के मुद्रास्फीति के आंकड़ों और 30 नवंबर को आने वाले जुलाई-सितंबर के वृद्धि आंकड़ों पर निर्भर करेगी।
मुंबई, पीटीआई। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने गुरुवार को कहा कि वर्तमान में मौद्रिक नीति तैयार करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि आजकल के अस्थिर माहौल, आंकड़ों में देरी और उनकी बार-बार समीक्षा ने इस काम को कठिन बना दिया है।
पात्रा ने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में घोषित की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए विचार-विमर्श जल्द शुरू होगा और यह काफी कुछ अक्टूबर के मुद्रास्फीति के आंकड़ों और 30 नवंबर को आने वाले जुलाई-सितंबर के वृद्धि आंकड़ों पर निर्भर करेगी।
वार्षिक एसबीआइ सम्मेलन
उन्होंने वार्षिक एसबीआइ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'मौद्रिक नीति को दूरदर्शी होना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब रेपो रेट में बदलाव किया जाता है, तो इसका असर कर्ज की दरों और अर्थव्यवस्था में कुल मांग तक पहुंचने में काफी समय लगता है। ऐसे में हम सिर्फ भविष्य की मुद्रास्फीति को लक्षित कर सकते हैं, कल की नहीं।' पात्रा ने कहा, 'एक महीने और तीन माह पुराने आंकड़ों के आधार पर, मुझे यह आकलन करना होगा कि मुद्रास्फीति कितनी है और वृद्धि की रफ्तार कैसी रहने वाली है।'
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