झाड़ू लगाकर इंजीनियर कमा रहा ₹1 लाख, इस देश में मिल रही मोटी सैलरी; मगर क्यों?
भारतीयों का एक समूह रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सड़क साफ (Sweeping Salary) करने का काम कर रहा है और लगभग ₹1.1 लाख प्रति माह कमा रहा है। ये मजदूर चार मह ...और पढ़ें
-1766389466056.webp)
झाड़ू लगाने के काम के लिए मिल रही 1 लाख की सैलरी
नई दिल्ली। बहुत से लोग रोजगार के मौकों की तलाश में विदेश जाते हैं। इनमें कुछ अमेरिका की सिलिकॉन वैली जैसे टेक हब जाना पसंद करते हैं, तो कुछ अलग-अलग देशों की कंपनियों में दूसरी नौकरियां करते हैं। भारतीयों के लिए कहा जाता है कि वे खुद को ढालते हैं, मुश्किलों का सामना करते हैं और अंत में अपनी मेहनत की कमाई अपने परिवार के पास भेजते हैं।
ऐसे ही 17 लोगों की कहानी काफी वायरल हो रही है, जिन्होंने रूस में काम तलाश लिया और अब वे लगभग ₹1.1 लाख प्रति माह कमाते हैं।
झाड़ू लगाने के मिल रहे 1 लाख
17 भारतीय प्रवासी मजदूरों का एक ग्रुप रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सड़क साफ करने का काम कर रहा है। वे चार महीने पहले वहां गए थे और अब सड़क मैंटेनेंस कंपनी कोलोम्याजस्कोये के लिए काम करते हैं। इनमें 26 साल के मुकेश मंडल भी हैं, जो भारत में सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर काम कर चुके हैं।
इन सभी को हर महीने लगभग 100,000 रूबल मिलते हैं, जो लगभग ₹1.1 लाख के बराबर है। इस ग्रुप में 19 से 43 साल तक के लोग हैं। वे अलग-अलग बैकग्राउंड के हैं, जिनमें किसान वेडिंग प्लैनर और टैनिंग शामिल हैं।
किन किन कंपनियों में किया काम?
रिपोर्ट्स के अनुसार मुकेश मंडल के मुताबिक उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के लिए काम किया है। इतना ही नहीं वे AI, चैटबॉट, GPT और ऐसे ही नए टूल्स का इस्तेमाल किया है। वे एक डेवलपर हैं। मंडल ने कहा कि उनकी प्रेरणा सिंपल इकोनॉमिक्स और कड़ी मेहनत से आती है।
उनका इरादा एक साल रूस में रहने, कुछ पैसे कमाने और फिर अपने देश लौटने का है।
"कर्म ही भगवान"
मंडल के अनुसार कर्म ही भगवान है। गौरतलब है कि जनसंख्या में गिरावट और यूक्रेन संघर्ष के कारण रूस में मजदूरों की कमी और बढ़ गई है। नतीजे में अब वहां दुनिया भर से मजदूर जा रहे हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।