PLI स्कीम का बढ़ेगा दायरा, एसी-एलईडी और मोटर बनाने के लिए 13 और आवेदन आए; 60000 लोगों को मिलेगा रोजगार
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग को एसी और एलईडी लाइट उत्पादन से जुड़ी पीएलआई योजना (PLI Scheme) के चौथे दौर में 1914 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। 13 आवेदकों में से, नौ एसी कंपोनेंट और चार एलईडी कंपोनेंट निर्माण के लिए हैं। इस योजना से लगभग 60,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है और भारत एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनेगा।

पीएलआई योजना के तहत मिले 13 आवेदन
भाषा, नई दिल्ली। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) को एसी और एलईडी लाइट के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के चौथे दौर में 1914 करोड़ रुपये की इंवेस्टमेंट कमिटमेंट के साथ 13 और आवेदन मिले हुए हैं।
इस दौर के लिए आवेदन 15 सितंबर 2025 से 10 नवंबर 2025 तक लिए गए। डीपीआईआईटी ने गुरुवार को बयान में कहा कि 13 आवेदक में से एक मौजूदा पीएलआई लाभार्थी है, जो 15 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इन हाई वैल्यू कम्पोनेंट के लिए किया अप्लाई
वहीं नौ आवेदकों ने 1,816 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ एयर कंडीशनर (एसी) कम्पोनेंट की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए आवेदन किया है। ये निवेश तांबे की ट्यूब, एल्यूमीनियम स्टॉक, कंप्रेसर, मोटर, हीट एक्सचेंजर्स, अन्य हाई वैल्यू वाले कंपोनेंट्स के उत्पादन पर केंद्रित हैं।
बाकी चार आवेदक ने एलईडी चिप, ड्राइवर और हीट सिंक सहित एलईडी घटक मैन्युफैक्चरिंग के लिए 98 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया है।
बनेंगे 60,000 नौकरियों के अवसर
प्रस्तावित निवेश छह राज्यों में फैले हैं जिनमें 13 जिले और 23 स्थान शामिल हैं। विभाग ने कहा कि अब तक एसी और एलईडी लाइट की पीएलआई योजना ने 80 अनुमोदित लाभार्थियों से 10335 करोड़ रुपये का प्रतिबद्ध निवेश आकर्षित किया है।
1.72 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन अपेक्षित है और रोजगार के करीब 60,000 प्रत्यक्ष अवसर उत्पन्न करने की क्षमता है।
भारत बनेगा एक प्रमुख ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर
सरकार द्वारा सात अप्रैल 2021 को अनुमोदित 6,238 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एसी और एलईडी लाइट से जुड़ी पीएलआई योजना का उद्देश्य भारत में एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट के लिए एक पूर्ण घटक परिवेश स्थापित करना है।
इसमें कहा गया कि इस योजना से घरेलू मूल्य संवर्धन मौजूदा 15-20 प्रतिशत से बढ़कर 75-80 प्रतिशत हो जाएगा जिससे भारत एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन जाएगा।

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