भारतीयों लिए बड़ी खुशखबरी, 3500 चीनियों को निकाल अब भारत में 1000 लोगों को नौकरी देगी ये अमेरिकी कंपनी
अमेरिकी कंपनी सिटीग्रुप भारत में लगभग 1000 लोगों को नौकरी पर रखने जा रही है। कंपनी चीन में 3500 लोगों को नौकरी से निकालने के बाद यह कदम उठा रही है। सिटीग्रुप का मानना है कि भारत उनके लिए एक पसंदीदा स्थान है जहाँ पहले से ही 33000 लोग काम कर रहे हैं।

नई दिल्ली। अमेरिका की दिग्गज कंपनी सिटीग्रुप भारत में लगभग 1000 को नौकरी पर रखने वाली है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रुप ने अपने चीनी केंद्रों से लगभग 3,500 लोगों का लेऑफ किया था। अब उसकी भरपाई के लिए ग्रुप भारत के केंद्रों में लगभग 1 हजार लोगों की भर्ती करेगा। कंपनी साल की शुरुआत में जोखिम और डेटा प्रबंधन में सुधार के लिए वैश्विक तकनीकी परिचालन को सरल और छोटा करने के वैश्विक प्रयास के तहत अपने चीनी केंद्रों से नौकरी की कटौती की थी।
रिपोर्ट के अनुसार अब कंपनी भारतीय सपोर्ट सेन्टर्स को अधिक काम भेजेगी। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने नए एच-1बी वीजा आवेदनों पर $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) का भारी शुल्क लगाया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे वॉल स्ट्रीट बैंक भारतीय वैश्विक क्षमता केंद्रों पर अधिक निर्भर हो सकते हैं और नई भूमिकाओं के लिए अधिक स्थानीय लोगों को नियुक्त कर सकते हैं।
सिटीग्रुप के लिए भारत है पसंदीदा स्थान
ब्लूमबर्ग के अनुसार, सिटीग्रुप पहले से ही भारत में लगभग 33,000 लोगों को रोजगार देता है, जिनमें से अधिकांश बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे और मुंबई जैसे शहरों में स्थित जीसीसी में कार्यरत हैं।
चीन में नौकरियों में कटौती की घोषणा करते हुए, सिटीग्रुप ने कहा कि इन पदों को उसके अन्य टेक्निकल केंद्रों में ट्रांसफर किया जाएगा। हालांकि, ग्रुप ने ये नहीं बताया कि किन केंद्रों में इन पदों को ट्रांसफर किया जाएगा। जून में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि बैंक ने अपनी वैश्विक पुनर्गठन योजना के तहत अमेरिका, इंडोनेशिया, फिलीपींस और पोलैंड में भी नौकरियों में कटौती की है। नवीनतम रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत इन पदों के लिए एक पसंदीदा स्थान के रूप में उभर सकता है।
भारत में 1760 ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर
नैसकॉम के अनुसार, भारत में वर्तमान में लगभग 1760 वैश्विक क्षमता केंद्र (global capability centres) हैं, जिनकी संख्या अगले वर्ष तक 2,000 से अधिक होने की उम्मीद है। एक अनुमान के अनुसार इस उद्योग का बाजार आकार, जो वर्तमान में 64 अरब डॉलर है, 2030 तक 110 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
मुख्यालयों के विस्तार के रूप में संचालित होने वाले इनमें से कई केंद्र, रिटेल, ऑटोमोटिव, स्वास्थ्य सेवा और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में उन्नत तकनीकों पर काम करते हैं, और उत्पाद अनुसंधान एवं विकास, विश्लेषण और डिजाइन में बढ़ती भूमिकाओं के साथ काम करते हैं। वरिष्ठ अधिकारी अक्सर इन केंद्रों से काम करते हैं और दुनिया भर की टीमों का प्रबंधन करते हैं।
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