15 साल के लड़के ने साइकिल से बनाया ₹100 करोड़ का बिजनेस, लाहौर से दिल्ली आकर जमाई धाक
भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, सीता राम (Chhole Bhature Business) लाहौर से दिल्ली आए। 1950 में, उन्होंने दीवान चंद के साथ साइकिल पर छोले भटूरे बेचना शु ...और पढ़ें
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कई दशक पुराना है सीता राम दीवान चंद का कारोबार
नई दिल्ली। जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो बहुत से लोग इधर से उधर हुए। जो लोग उधर से इधर आए, उनमें से एक थे सीता राम। साल 1950 में सीता राम ने दीवान चंद के साथ मिलकर छोले भटूरे बेचना शुरू किया, तब वे 15 साल के थे। सीता राम ने दीवान चंद के साथ दिल्ली में साइकिल पर छोले भटूरे का बिजनेस शुरू किया था। सीता राम ने पहला आउटलेट पहाड़गंज के DAV स्कूल के बाहर खड़ी एक साइकिल से शुरू किया।
कहां से आए थे सीता राम?
सीता राम लाहौर से दिल्ली आए थे। जब भारत एक युवा देश के तौर पर अपनी पहचान बना रहा था, तब सीता राम और दीवान चंद ने चुपचाप उस चीज की नींव रखी जो आगे चलकर देश के सबसे जाने-माने फूड में से एक बनने वाला था।
कब खोली सीता राम दीवान चंद ने पहली दुकान?
1970 के दशक में एक बड़ा बदलाव तब आया, जब सीता राम ने अपना काम पहाड़गंज में पुराने इंपीरियल सिनेमा के सामने एक छोटी सी दुकान में शिफ्ट कर लिया। यह जगह एक कल्चरल हॉटस्पॉट के तौर पर पहचानी जाती थी, जहाँ फिल्म देखने वाले महबूब खान और बिमल रॉय जैसे बड़े फिल्ममेकर्स की फिल्में देखने आते थे।
सीता राम दीवान चंद ने क्या किए बदलाव?
थिएटर के अंदर रीलें चलतीं और बाहर भटूरे फूलकर तैयार होते। सिनेमा भीड़ लाता और वही भीड़ सीता राम दीवान चंद के ग्राहक थे। आम तौर पर लोग अपने बिजनेस में तरह तरह के बदलाव करते हैं। मगर सीता राम दीवान चंद ने कुछ बदलाव नहीं किया। उन्होंने सब कुछ बिल्कुल वैसा ही रखा, जैसी शुरुआत थी।
कैसे हुआ कारोबार का विस्तार?
भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देने के बाद के सालों में जैसे-जैसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का विस्तार हुआ, पहाड़गंज एक शांत अनाज मंडी से बदलकर बैकपैकर्स और यात्रियों के लिए एक हलचल भरा ग्लोबल गेटवे बन गया। अचानक, यह इलाका संस्कृतियों, भाषाओं, बजट और खाने-पीने की चीजों का एक जीवंत मिश्रण बन गया। बस यही सीता राम की बिजनेस ग्रोथ के लिहाज से बेहतर रहा।
बन गया 100 करोड़ का बिजनेस
जैसे-जैसे शहर ने ग्रोथ की, वैसे-वैसे उनका बिजनेस भी बढ़ा। एक साइकिल से शुरू होकर उनका बिजनेस 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। उनका मल्टी-आउटलेट बिजनेस काफी सफल रहा।
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