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    टेलीकॉम कंपनियों की बढ़ी टेंशन, कैग कर सकता है खातों की जांच

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    Updated: Mon, 06 Jan 2014 01:29 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत निजी दूरसंचार ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत निजी दूरसंचार कंपनियों के खातों की जांच कर सकता है। इस फैसले के साथ ही दिल्ली की बिजली कंपनियों का भी टेंशन बढ़ गया है। पिछले कुछ समय से बिजली कंपनियां अपने बही-खातों के ऑडिट का विरोध कर रही हैं।

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    जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और वी कामेश्वर राव की खंडपीठ ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) अधिनियम के तहत शीर्ष लेखा संस्था को निजी दूरसंचार कंपनियों के खातों के जांच की अनुमति दी है। कोर्ट ने 2010 में दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसैट के आदेश के खिलाफ ऐसोसिएशन ऑफ यूनिफाइड टेलकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (एयूएसपीआइ) और सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।

    पढ़ें : केजरीवाल के सामने बिजली कंपनियों की नहीं चली

    हाई कोर्ट ने लंबी सुनवाई में केंद्र सरकार, सीएजी, याचिकाकर्ता सीओएआइ व एयूएसपीआइ पक्ष जानने के बाद नंवबर 2013 में फैसला सुरक्षित रख लिया था। दोनों याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने टीडीसैट के फैसले को चुनौती देते हुए कोर्ट में यह कहते हुए मामला दाखिल किया था कि सीएजी उसके खातों की जांच नहीं कर सकती है। ऑपरेटरों ने अपनी याचिका में कहा था कि चूंकि दूरसंचार विभाग और कंपनियों के बीच लाइसेंस समझौते में इस बात का पहले जिक्र किया जा चुका है कि उनके खातों की विशेष जांच के लिए पहले से ही तंत्र मौजूद है और वे इसकी नियमित जांच कराते हैं, तो फिर वे सीएजी से अलग से जांच का क्यों कराएं। ऑपरेटरों ने आरोप लगाया था कि यह ट्राई के नियमों का सरासर उल्लंघन है। उन्हें सीएजी की जांच के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता है।

    गौरतलब है कि सीएजी ने दूरसंचार विभाग के खातों की जांच के दौरान कंपनियों से राजस्व की साझेदारी को लेकर ब्यौरा मांगा था, जिससे कंपनियां इनकार करते हुए कोर्ट चली गई।

    मालूम हो कि दिल्ली में बिजली वितरण का काम देखने वाली तीन कंपनियां भी निजी कंपनियों का सीएज ऑडिट न कराने को लेकर हाई कोर्ट में मामला दर्ज किया हुआ है। ऐसी स्थिति में इस फैसले से इन कंपनियों को भी झटका लग सकता है।

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