एक यूनिट से शुरू हुई थी Aurobindo Pharma, आज 125 देशों में बेचती हैं दवाएं, इन दो लोगों की मेहनत से छू लिया आसमान
अरबिंदो फार्मा (aurobindo pharma history) जेनेरिक दवा कंपनी जेनटिवा को खरीद सकती है। ये डील 43500-47900 करोड़ रुपये में हो सकती है। अगर ये डील सफल हुई तो किसी भारतीय दवा कंपनी की घरेलू या विदेश की जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी डील होगी। अरबिंदो फार्मा की शुरुआत एक यूनिट से हुई थी और आज इसका कारोबार 125 से अधिक देशों में फैला है।

नई दिल्ली। अरबिंदो फार्मा, एडवेंट इंटरनेशनल से प्राग स्थित जेनेरिक दवा निर्माता कंपनी जेनटिवा (Zentiva) को 5-5.5 बिलियन डॉलर (43,500-47,900 करोड़ रुपये) में खरीदने की दौड़ में सबसे आगे मानी जा रही है। यदि डील होती है तो यह किसी भारतीय दवा कंपनी द्वारा घरेलू या विदेशी दोनों ही जगहों पर की जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी खरीदारी डील होगी।
ये साल 2014 में रैनबैक्सी में दाइची सैंक्यो की हिस्सेदारी खरीदने की 3.2 बिलियन डॉलर और बायोकॉन बायोलॉजिक्स द्वारा अमेरिका की वियाट्रिस के ग्लोबल बायोसिमिलर बिजनेस को खरीदने के लिए हुई 3.3 बिलियन डॉलर की डील को पीछे छोड़ देगी।
कंपनी की शुरुआत केवल एक सिंगल यूनिट से हुई थी, जबकि आज अरबिंदो फार्मा का बिजनेस 125 से अधिक देशों में फैला है। जानते हैं कैसी रही इसकी कामयाबी की कहानी।
कौन हैं फाउंडर्स
अरबिंदो फार्मा की शुरुआत साल 1986 में पी.वी.रामप्रसाद रेड्डी और के.नित्यानंद रेड्डी ने की थी। कंपनी ने पांडिचेरी में सिंगल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सेमी सिंथेटिक पेनिसिलिन (SSP) के साथ ऑपरेशन शुरू किया। इसके बाद जाकर 1992 में ये एपीआई (Active Pharmaceutical Ingredient) का निर्यात शुरू किया।
एपीआई किसी दवा का वो कम्पोनेंट होता है, जो चिकित्सीय प्रभाव जनरेट करता है।
अमेरिका-यूरोप में एंट्री
1995 में शेयर बाजार में लिस्टिंग के 10 साल बाद अरबिंदो फार्मा ने अमेरिकी सरकार द्वारा शुरू किए गए PEPFAR प्रोग्राम में भाग लेते हुए, जेनेरिक फ़ॉर्मूलेशन के साथ अमेरिका और यूरोप के प्रीमियम बाज़ारों में एंट्री की। फिर इसने अमेरिका (AuroLife) और नीदरलैंड (Pharmacin) में फॉर्मूलेशन फैसिलिटी को खरीदा।
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2013 में की अहम डील
साल 2012 में अरबिंदो फार्मा को अमेरिका में कंट्रोल्ड सब्सटांस फॉर्मुलेशंस को पहली बार मंज़ूरी मिली और इसी साल कंपनी ने पेप्टाइड्स के सेगमेंट में एंट्री के लिए ऑरो पेप्टाइड की स्थापना की। फिर 2013 में पेनेम्स में स्थिति मजबूत करने के लिए सिलिकॉन लाइफसाइंसेज को खरीदा और ऑरोमेडिक्स के जरिए अमेरिका में स्पेशियलिटी इंजेक्शनों की मार्केटिंग शुरू की।
2017-18 में पुर्तगाल की कंपनी को खरीदा
2017-18 में पुर्तगाल की Generis को खरीदने के बाद 2019-20 में कंपनी ने चीन में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी बनाई और उसी दौरान ये एक नेट कैश कंपनी बन गई। साल 2022 में इसने हैदराबाद स्थित ऑन्कोलॉजी कंपनी जीएलएस फार्मा में 51% हिस्सेदारी खरीदी।
आज कितना बड़ा है कारोबार
आज इसके प्रोडक्ट्स 125 से अधिक देशों में पहुंचते हैं। वहीं इसकी मार्केट कैपिटल करीब 61 हजार करोड़ रु है। FY25 में इसका रेवेन्यू 9.4 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 32,345.6 करोड़ रु रहा, जबकि प्रॉफिट प्रॉफिट करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 3,484 करोड़ रु रहा।
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