2250 मीटर की गहराई और 87% मीथेन...अंडमान सागर बदल सकता है इंडियन एनर्जी की तस्वीर; US से क्यों हो रही तुलना?
पहली बार अंडमान बेसिन में प्राकृतिक गैस की पुष्टि हुई है। यहां 2212 से 2250 मीटर की गहराई पर टेस्टिंग में प्राकृतिक गैस मिली और गैस सैंपल में 87% मीथेन पाया गया। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले हफ्ते इस बात की जानकारी दी। एक्सपर्ट्स का कहना है अंडमान सागर इंडियन ऑयल और एनर्जी की तस्वीर बदल सकता है।

नई दिल्ली| भारत की ऊर्जा कहानी में नया अध्याय जुड़ा है। पिछले हफ्ते केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने अंडमान बेसिन में प्राकृतिक गैस (natural gas) की मौजूदगी की पुष्टि की। उन्होंने इसे "ऊर्जा के अवसरों का महासागर" बताया। पुरी के मुताबिक यह खोज श्री विजयपुरम-2 वेल से हुई है।
यह वेल अंडमान द्वीप समूह के पूर्वी तट से लगभग 17 किलोमीटर दूर, 295 मीटर पानी की गहराई और 2,650 मीटर टारगेट गहराई पर ड्रिल किया गया। 2,212 से 2,250 मीटर की गहराई पर टेस्टिंग में प्राकृतिक गैस मिली और गैस सैंपल में 87% मीथेन पाया गया।
पुरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा,
"ऊर्जा के अवसरों का महासागर अंडमान सागर में खुल गया है। श्री विजयपुरम-2 वेल में प्राकृतिक गैस मिली है। आने वाले महीनों में गैस पूल का आकार और इसका वाणिज्यिक महत्व तय होगा, लेकिन यह खोज बहुत बड़ा कदम है।"
किसने की खोज?
यह खोज ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) ने की है। यह कंपनी पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत महा-रत्न पीएसयू है। OIL ने अंडमान शैलो ऑफशोर ब्लॉक AN-OSHP-2018/1 में दूसरी एक्सप्लोरेटरी ड्रिलिंग में यह रिजल्ट दिया। कंपनी ने इसे बेसिन की हाइड्रोकार्बन क्षमता समझने की दिशा में अहम कदम बताया।
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क्यों है खास?
पहली बार अंडमान बेसिन (Andaman Sea) में प्राकृतिक गैस की पुष्टि हुई है। पुरी ने इसकी तुलना दक्षिण अमेरिका के गुयाना ऑयल फील्ड से की, जिसने उस देश की अर्थव्यवस्था बदल दी। यह खोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन (समुद्र मंथन) से भी जुड़ी है। पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर इस मिशन की घोषणा की थी। पुरी ने कहा कि इस खोज से भारत को पेट्रोब्रास, BP इंडिया, शेल और एक्सॉनमोबिल जैसी ग्लोबल कंपनियों से सहयोग करने का मौका मिलेगा।
50% पूरी हो सकती है ऊर्जा
रिस्टाड एनर्जी के एशिया-प्रशांत रिसर्च हेड प्रतीक पांडे ने कहा कि अंडमान बेसिन से निकला तेल भारत की 50% ऊर्जा जरूरत पूरी कर सकता है। उनके मुताबिक, सीस्मिक सर्वे से पता चलता है कि यहां 307–370 मिलियन मीट्रिक टन ऑयल इक्विवेलेंट हाइड्रोकार्बन छिपे हैं। हालांकि उन्होंने चेताया कि व्यावसायिक उत्पादन में एक दशक तक का वक्त लग सकता है, क्योंकि इस तरह की खोज से लेकर असली उत्पादन तक लंबी प्रक्रिया होती है।
भारत के लिए क्या मायने?
वर्तमान में भारत अपनी 85% से ज्यादा कच्चे तेल और लगभग 44% प्राकृतिक गैस की जरूरत आयात से पूरी करता है। अंडमान की यह खोज अगर व्यावसायिक रूप लेती है, तो आयात पर निर्भरता घटेगी और ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। साथ ही यह खोज स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में भी अहम साबित होगी, क्योंकि मिथेन कोयला और तेल से ज्यादा क्लीन ईंधन है। पुरी ने कहा कि गुयाना जैसी बड़ी खोज भारत की अर्थव्यवस्था को 3.7 ट्रिलियन डॉलर से 20 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में मदद कर सकती है।
भविष्य में हो सकता है फायदा?
ONGC और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियां शुरुआती ड्रिलिंग कर रही हैं। सरकार विदेशी निवेशकों और टेक्निकल पार्टनर्स को भी जोड़ने की तैयारी में है। आने वाले सालों में इस खोज से रोजगार, निवेश और ऊर्जा सुरक्षा तीनों क्षेत्रों में बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
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