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    8% GDP ग्रोथ और विकसित भारत का लक्ष्य, टैरिफ की चुनौती से कैसे निपटेगा भारत, वित्त मंत्री ने बताया

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 01:17 PM (IST)

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच टैरिफ वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आकार दे रहे हैं जबकि भारत 8% जीडीपी ग्रोथ की उम्मीद रखता है। हालांकि हम अभूतपूर्व वैश्विक अस्थिरता के दौर में हैं लेकिन भारत में बाहरी झटकों को झेलने की मज़बूत क्षमता है।

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    राष्ट्र का लक्ष्य 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त करना और आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है- वित्त मंत्री

    नई दिल्ली। भारतीय निर्यात पर जब से अमेरिका ने 50 फीसदी (US Tariff on India) टैरिफ लगाया है तब से अर्थव्यवस्था पर इसके असर को लेकर अलग-अलग आकलन सामने आ रहे हैं। अब इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल का भारत की जीडीपी वृद्धि पर सीमित प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच टैरिफ, वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आकार दे रहे हैं, जबकि भारत 8% जीडीपी ग्रोथ (Indias GDP Growth) का लक्ष्य रखता है।

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    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जोर देकर कहा कि 'विकसित भारत' के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत को 8 प्रतिशत की दर से विकास करना होगा। नई दिल्ली में कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के चौथे संस्करण में वित्त मंत्री ने भारत के दो अहम लक्ष्यों को लेकर कहा, "राष्ट्र का लक्ष्य 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त करना और आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है।"

    8% GDP ग्रोथ जरूरी

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमें 8% की जीडीपी वृद्धि दर हासिल करनी होगी। हालांकि, हम अभूतपूर्व वैश्विक अस्थिरता के दौर में हैं लेकिन भारत में बाहरी झटकों को झेलने की मज़बूत क्षमता है।"

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मौजूदा समय में वैश्विक व्यापार और निवेश को प्रभावित करने वाले व्यवधान केवल अल्पकालिक झटके नहीं हैं, बल्कि गहरे संरचनात्मक बदलावों का इशारा करते हैं।हालांकि, घरेलू सुधार और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी के साथ संतुलन बैठाकर भारत बढ़ती टैरिफ बाधाओं, बदलते व्यापार गठबंधनों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों से बिना किसी नुकसान के निपट सकेगा।

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    भू-राजनीतिक संघर्ष तीव्र हो रहे हैं। प्रतिबंध और टैरिफ जैसे कारक ग्लोबल सप्लाई चैन को नया रूप दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम जिस चीज़ का सामना कर रहे हैं, वह कोई अस्थायी व्यवधान नहीं, बल्कि संरचनात्मक परिवर्तन है। हमारे सामने न केवल वैश्विक अनिश्चितताओं का प्रबंधन करना है, बल्कि व्यापार और ऊर्जा असंतुलन का भी सामना करना है।"