'भारत में ऐसा कोई होगा नहीं जिसका इस साल पैसा...' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स राहत को लेकर कही बड़ी बात
वित्त मंत्री ने कहा कि GST Rate Cut से सभी नागरिकों को राहत मिलेगी जिससे देश का विकास होगा। विपक्ष हमेशा नकारात्मक सोच रखता है और सुधारों की आलोचना करता है। जीएसटी परिषद (Nirmala Sitharaman interview) में राज्यों ने राजस्व को लेकर चिंता जताई लेकिन सभी प्रस्तावों पर सहमत थे। सरकार उपभोक्ताओं तक लाभ पहुंचाने के लिए उद्योग जगत के साथ काम कर रही है।

नई दिल्ली। कांग्रेस हर बार कंफ्यूज रहती है कि किस बात की आलोचना करें या किसका क्रेडिट लें। वे एक समान रुख नहीं रख पाती है। एक समय कांग्रेस इसे गब्बर सिंह टैक्स बोलती थी और अब कह रही है कि हमारे कारण जीएसटी रेट में बदलाव हुआ।
किसी भी विषय के ऊपर विपक्ष के राज्यों ने आपत्ति जाहिर नहीं की। उनके मन में सिर्फ एक चिंता थी। वह चिंता प्रस्ताव को लेकर नहीं, अपने राजस्व को लेकर थी कि जीएसटी दरों में बदलाव से अगर राजस्व घटेगा तो उसे कैसे पूरा किया जाएगा। लेकिन ऐसा तो नहीं है कि सिर्फ राज्य के राजस्व पर फर्क पड़ेगा, कमी आएगी तो केंद्र के राजस्व में भी आएगी।
इसका फायदा उन राज्यों को अधिक मिल रहा था जो सेस कम कलेक्ट कर रहे थे। मान लीजिए उत्तर प्रदेश ने 80000 करोड़ का सेस कलेक्ट किया तो उत्तर प्रदेश को इसका आधा यानी कि 40000 क रोड़ भी नहीं मिला और कई राज्य जिन्होंने सिर्फ 900 करोड़ का कलेक्शन किया, उन्हें सेस के मद में 2000 करोड़ प्राप्त हो गए। उत्तर प्रदेश की जनता ने सेस दिया और इसका फायदा किसी और राज्य को मिला।
विपक्ष सकारात्मक सोच नहीं रखता है, जीएसटी बदलाव को लेकर भी विपक्ष कंफ्यूज है कि समर्थन करे या आलोचना करे
वर्ष 2017 के जुलाई में जीएसटी लागू होने के कुछ ही दिनों बाद से जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी क्योंकि कई दरों में विसंगतियां भी थी और कुछ दरें लोगों को चुभ भी रही थी। लोगों को राहत देने का काम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में गत तीन सितंबर को हुई जीएसटी काउंसिल में किया गया जिसमें केंद्र के प्रस्ताव पर सभी राज्यों ने सहमति से मुहर लगाई।
इस बदलाव के पीछे की कहानी और इसके असर पर दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा और सहायक संपादक राजीव कुमार से वित्त मंत्री की विस्तृत बातचीत के अंश
प्रश्न: बतौर वित्त मंत्री आपके कार्यकाल में भारत पिछले कुछ सालों से सबसे तेजी गति से विकास करने वाला देश बन गया है, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की विकास दर रही, इनकम टैक्स के बाद अब जीएसटी में इतनी बड़ी राहत के बाद क्या चालू वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर सात प्रतिशत को पार कर सकती है ?
उत्तर: विकास दर सात प्रतिशत से ऊपर रहेगी, इसके बारे में सटीक नहीं कह सकते हैं लेकिन यह तय है कि इस साल इनकम टैक्स और जीएसटी दरों में राहत (GST Rate Cut) के कारण भारत में कोई ऐसा नागरिक नहीं बचेगा, जिसे टैक्स से राहत नहीं मिलेगी। 1.4 अरब की इस आबादी में सबको इसका लाभ मिलने जा रहा है (बच्चों को छोड़कर)।
प्रश्न: विपक्ष की प्रतिक्रिया तो अलग-अलग तरीके से आ रही है?उत्तर: कोरोना काल के बाद अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हुआ परंतु विपक्ष वाले उसमें भी छेद करना चाहते थे, उस विकास को कभी वी शेप तो कभी के शेप का नाम देते थे। मतलब विपक्ष की मंशा इसे लेकर ठीक नहीं है?
उत्तर: विपक्ष सकारात्मक सोच नहीं रखता है। जैसे महाभारत की लड़ाई में योद्धा कर्ण का रथ चलाने वाला सारथी उन्हें बार-बार बोलता था कि आप यह लड़ाई जीत नहीं सकते हैं, आप अर्जुन नहीं है, यह सब सुनकर कर्ण हतोत्साहित हो जाता है, हालांकि कर्ण फिर भी लड़ता रहता है, कर्ण के रथ का पहिया फंस जाता है और वह सारथी उसकी मदद को नहीं आता है, कर्ण खुद पहिया को निकालता है। विपक्ष के लोग भी बार-बार भारत के नागरिक की ताकत को नकारात्मक बता रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था को मृत बता रहे हैं, अगर यह बात ट्रंप ने कही तो वे उसका समर्थन कर रहे हैं। अमेरिका से आने वाले इस बयान को कि बोस्टन ब्राह्मण लूट रहे हैं, का समर्थन कर रहे हैं। यह विदेशी भाषा है, लेकिन समर्थन वो भी कर रहे हैं। ब्रिटिश 80 साल भारत से चले गए, लेकिन उनकी भाषा का विपक्ष आज भी समर्थन कर रहा है, इन लोगों के दिमाग में आज भी ब्रिटेन का राज चल रहा है।
प्रश्न: प्रधानमंत्री ने गत 15 अगस्त को जीएसटी में कटौती का ऐलान किया, उसके बाद इसमें काफी तेजी दिखी तो आपकी नजर में यह कटौती पहले भी की जा सकती थी या यही बिल्कुल सही समय था? उत्तर: पहले भी किया जा सकता था। लेकिन काम खत्म नहीं हुआ था। पिछले डेढ़ साल से इस पर काम चल रहा था। प्रधानमंत्री ने जीएसटी पर काम करने के लिए कहा था। गत दिसंबर में जैसलमेर में जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले से इस पर काम शुरू था। बजट के समय भी प्रधानमंत्री ने इसे लेकर याद दिलाया था। इस साल मई मध्य में जाकर प्रधानमंत्री को बताया अभी कुछ तैयार कर लिया है। बाद में फिर उन्हें ब्रीफ किया। पूरा सुनने बाद प्रधानमंत्री को प्रस्ताव अच्छा लगा और फिर नियम के मुताबिक प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल में ले जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस काम में जीओएम का गठन किया गया, फिर उसमें भी चर्चा हुई थी इन सबमें समय लग गया। ऐसा सुनने में आ रहा है कि काउंसिल की बैठक में विपक्ष के राज्यों ने कई चीजों पर आपत्ति दर्ज कराई?
उत्तर: यह बिल्कुल गलत बात है। किसी भी विषय के ऊपर विपक्ष के राज्यों ने आपत्ति जाहिर नहीं की। उनके मन में सिर्फ एक चिंता थी। वह चिंता प्रस्ताव को लेकर नहीं, अपने राजस्व को लेकर थी कि जीएसटी दरों में बदलाव से अगर राजस्व घटेगा तो उसे कैसे पूरा किया जाएगा। लेकिन ऐसा तो नहीं है कि सिर्फ राज्य के राजस्व पर फर्क पड़ेगा, कमी आएगी तो केंद्र के राजस्व में भी आएगी। मैं अपने बगल में कोई सूटकेस लेकर तो बैठी नहीं हूं कि उसमें से रुपए निकालकर नुकसान की भरपाई कर दूंगी। इस फैसले से जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोतरी होती है तो दोनों आपस में बांटेंगे, नुकसान होगा तो दोनों सहेंगे। लेकिन राज्य अगर यह कहेगा कि मेरे नुकसान की भरपाई आप करो तो यह नहीं होगा। कोरोना काल में प्रधानमंत्री के कहने पर कोविड वैक्सीन सभी राज्यों को मुफ्त में दी गई तो क्या हमने उसका पैसा मांगा, रक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी केंद्र की है तो क्या अभी पाकिस्तान से जंग के दौरान हमने राज्यों से कहा कि आप भी पेट्रोल-डीजल और अल्कोहल से इतना कमाते हो, हमें रक्षा पर खर्च के लिए दो। कोविड के बाद देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के लिए राज्यों की तरफ से भी खर्च जरूरी था और उस उद्देश्य से हमने राज्यों को 50 साल के लिए ब्याज मुक्त लोन दिया। अब तक आठ लाख करोड़ राज्य को जा चुका है।
प्रश्न: मतलब जीएसटी कटौती पर केंद्र के प्रस्ताव पर सभी सहमत थे?
उत्तर: किसी ने प्रस्ताव को रोका नहीं, सबने मिलकर इसे पारित किया। मैंने कल ही सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को इसके लिए धन्यवाद पत्र भेजा है। आप ये देखिए कि इस कटौती से कोई सस्ते में चप्पल खरीदेगा, कोई दवा खरीदेगा, कोई टीवी खरीदेगा, सभी कुछ न कुछ खरीदारी करेंगे। अपने राजस्व के नाम पर इस प्रस्ताव को रोकना ठीक नहीं था।
प्रश्न: लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि सरकार ने जीएसटी में कटौती तो कर दी, लेकिन दुकानदार या कंपनियां इसका लाभ नहीं देंगी?
उत्तर: जनता के मन में जो शक है वो वाजिब है। लेकिन हम सभी प्रकार के उद्योग से, एसोसिएशन से, विभिन्न संगठनों से बात कर रहे हैं। सबने हमें इस कटौती का लाभ जनता तक पहुंचाने का वादा दिया है।
महिंद्रा ने तो अभी से कटौती को लागू करने का ऐलान कर दिया है। टाटा मोटर्स ने भी घोषणा कर दी है। इंश्योरेंस कंपनियां भी लाभ देने का बोल रही है। 22 सितंबर से मेरा व्यक्तिगत रूप से इस पर ध्यान रहेगा। हमारा विभाग इसकी निगरानी करेगा। सभी सांसदों को भी अपने-अपने क्षेत्र में इस पर नजर रखने के लिए कहा गया है कि वे जनता को इसका लाभ दे रहे है या नहीं। अगर नहीं दे रहे हैं तो वे हमें सूचित करेंगे।
प्रश्न: खाने-पीने के पैक्ड आइटम पर कटौती को लागू करने में परेशानी आ सकती है?
उत्तर: कुछ कंपनियां ग्रामेज बढ़ाने की बात कर रही है। इस दिशा में भी कंपनियां सोच रही है। रुकावट की बात कोई नहीं कर रही है। जनता भी इसको देख रही है कि सरकार छूट दे रही है, लेकिन कंपनियां नहीं दे रही है। ऐसे में इस प्रकार का जोखिम कोई नहीं उठाना चाहेगा।
प्रश्न: जीएसटी काउंसिल की बैठक में सितंबर आखिर से जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल के काम शुरू करने का फैसला लिया गया है, इससे क्या फायदा होगा?
उत्तर: अपीलेट ट्रिब्यूनल की शुरुआत की पूरी व्यवस्था हो गई है। उनकी बेंच (पीठ), कार्यालय आदि को लेकर फैसला हो गया है। राज्यों के निवेदन के मुताबिक सबकुछ तैयार कर हो रहा है। नियुक्ति की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। एक अक्टूबर से अपीलेट का कामकाज शुरू हो जाएगा। दिसंबर से सुनवाई शुरू हो जाएगी।
प्रश्न: जीएसटी गुड एंड ¨सपल टैक्स कब बनेगा क्योंकि कारोबार कहते हैं कि इंस्पेक्टर उन्हें छोटी-छोटी बातों पर परेशान करते हैं?उत्तर: इस परिवर्तन के साथ यह भी होगा। तीन दिनों में पंजीयन होगा। 90 प्रतिशत रिफंड समय पर मिल जाएगा। ऐसे बहुत सारे नियम बदलने वाले है। फार्म सरल कर रहे हैं। क्लासिफिकेशन का मामला खत्म कर दिया गया है। साधारण पापकार्न और चाकलेट वाले पापकार्न पर जीएसटी का मामला आपको याद होगा। सभी खाने के आइटम पर एक ही दर कर दिया है। इससे मुकदमे कम होंगे।प्रश्न: किताब छपाई से जुड़े पेपर पर जीएसटी को लेकर उद्योग जगत में असमंजस है ?
उत्तर: हमने सभी आइटम के जीएसटी को पहले ही दिन से स्पष्ट कर दिया है। तीन सितंबर की रात में ही इसे जारी कर दिया गया। एक एक वस्तु का स्पष्ट विवरण दिया गया है। 90 पेज का हमने प्रेस विज्ञप्ति जारी किया जिसमें सबकुछ साफ कर दिया गया है।
प्रश्न: क्षतिपूर्ति सेस को राज्यों ने दूसरे रूप में जारी रखने की मांग की थी तो क्या भविष्य में इसे किसी और रूप में जारी रखने पर विचार किया जा सकता है?
उत्तर: बिल्कुल नहीं। किसके लिए राजस्व इकट्ठा कर रहे हो, जनता के लिए ही न, फिर क्षतिपूर्ति सेस के नाम पर क्यों अतिरिक्त टैक्स उनसे वसूलना चाहते हो। जीएसटी लागू होने के समय पांच साल के लिए राज्यों के राजस्व में 14 प्रतिशत का ग्रोथ देने के लिए क्षतिपूर्ति सेस लाया गया था। जैसे अगर किसी राज्य के राजस्व का ग्रोथ 10 प्रतिशत रहा तो उसे और चार प्रतिशत क्षतिपूर्ति सेस से दिया जाएगा। कोविड के समय कोई ग्रोथ नहीं हुआ, लेकिन लोन लेकर इसे दिया गया। एक और बात बता दूं। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्य क्षतिपूर्ति सेस का ज्यादा कलेक्ट करने वाले राज्य है। लेकिन इसका फायदा उन राज्यों को अधिक मिल रहा था जो सेस कम कलेक्ट कर रहे थे।
मान लीजिए उत्तर प्रदेश ने 80000 करोड़ का सेस कलेक्ट किया तो उत्तर प्रदेश को इसका आधा यानी कि 40000 क रोड़ भी नहीं मिला और कई राज्य जिन्होंने सिर्फ 900 करोड़ का कलेक्शन किया, उन्हें सेस के मद में 2000 करोड़ प्राप्त हो गए। उत्तर प्रदेश की जनता ने सेस दिया और इसका फायदा किसी और राज्य को।
प्रश्न: आपने कोई आकलन किया है जीएसटी कटौती से राजस्व का कितना नुकसान होगा?
उत्तर: हमने पहले भी कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 के उपभोग पैटर्न को देखते हुए यह नुकसान 48,000 हजार करोड़ का हो सकता है। लेकिन इस साल 12 लाख तक की आय पर इनकम टैक्स में भी छूट है, इस माहौल में जनता बाजार में क्या रुख अपनाती है, जबरदस्त खरीदारी कर सकती है जो पूरे दिसंबर तक जारी रह सकती है। जनवरी-मार्च में कम खरीदारी होगी, इसके मूल्यांकन के बाद ही हम कुछ कह सकेंगे।
प्रश्न: जीएसटी का कलेक्शन लगातार बढ़ता जा रहा है तो क्या भविष्य में ¨सगल रेट पर जा सकती है?
उत्तर: नहीं, ऐसा अभी नहीं। इसके लिए प्रति व्यक्ति आय वगैरह सबकुछ देखना होगा।
प्रश्न: आपसे निर्यातकों ने मुलाकात की थी, ट्रंप टैरिफ को ध्यान में रखते हुए उन्हें क्या राहत पैकेज दे सकती है, या फिर इस बात का इंतजार है कि क्या पता टैरिफ हट जाए?
उत्तर: वो कारण नहीं है, इंतजार करने का। निर्यातक अपने-अपने सेक्टर के निर्यात का मूल्यांकन कर रहे हैं फिर वे संबंधित विभाग को बताएंगे। मूल रूप से यह पता करना है कि अमेरिका होने वाले निर्यात पर कितना असर पड़ रहा है और उस हिसाब से फिर हम पैकेज पर विचार करेंगे। जहां तक एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन का सवाल है तो वह सभी निर्यातकों के लिए होगा।
प्रश्न: जीएसटी रिफार्म के बाद और भी रिफार्म होंगे क्या?
उत्तर: रिफार्म तो हम लगातार करते जाएंगे। मोदी जी रिफार्म के लिए इंतजार नहीं करते है। देश का भविष्य अच्छा करना है। उनका कहना है कि उसके लिए रिफार्म करते जाओ।
प्रश्न: कांग्रेस कह रही है कि हमारे कारण जीएसटी लागू हुआ, आप क्या कहेंगी?
उत्तर: कांग्रेस हर बार कंफ्यूज रहती है कि इस बात की आलोचना करें या इसका क्रेडिट ले। वे एक समान रुख नहीं रख पाती है। एक समय कांग्रेस इसे गब्बर सिंह टैक्स बोलती थी और अब कह रही है कि हमारे कारण जीएसटी रेट में बदलाव हुआ। ये जो रेट चल रहा था वो हमने बनाए थे क्या, जीएसटी पर काम करने वाली कमेटी तय की थी, इस प्रकार की कमेटी को वामपंथी नेता असीम दास गुप्ता चेयर कर चुके हैं। अरुण जेटली जी ने रेट तय नहीं किया था।
प्रश्न: पेट्रोलियम उत्पाद को भी जीएसटी दायरे में लाने पर विचार किया जाएगा या अब इसे बाहर ही रखा जाएगा?
उत्तर: निकट भविष्य में तो अब पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जाएगा। राज्यों के राजस्व का बड़ा साधन है। इसमें थोड़ा समय लगेगा।
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