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    '...तो भारत में रहकर ही काम कराएंगी अमेरिकी कंपनियां', थिंक टैंक का दावा- ट्रंप का फैसला, उन्हीं पर पड़ेगा भारी

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 09:52 PM (IST)

    थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि H-1B Visa पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से अमेरिका को ज्यादा नुकसान होगा। भारत में फायदे में ही रहेगा। GTRI के मुताबिक इस समय करीब 1 लाख अमेरिकी कर्मचारी भारतीय कंपनियों में काम कर रहे हैं। ऐसे में भारी फीस लगाने से न तो ज्यादा नई नौकरियां पैदा होंगी और न ही अमेरिकी कंपनियों को फायदा होगा।

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    कर्मचारियों से भारत में रहकर ही काम कराएंगी अमेरिकी कंपनियां।

    नई दिल्ली| भारत और अमेरिका के बीच आईटी सेक्टर लंबे समय से जुड़ा हुआ है, लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एच-वनबी वीजा (H-1B Visa) फीस को 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) तक बढ़ाने का फैसला दोनों देशों में चर्चा का विषय बना हुआ है। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि इस कदम से अमेरिका को भारत से ज्यादा नुकसान होगा।

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    GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय आईटी कंपनियां पहले से ही अमेरिका में 50 से 80 फीसदी लोकल लोगों को नौकरी देती हैं। इस समय करीब 1 लाख अमेरिकी कर्मचारी भारतीय कंपनियों में काम कर रहे हैं। ऐसे में भारी फीस लगाने से न तो ज्यादा नई नौकरियां पैदा होंगी और न ही अमेरिकी कंपनियों को कोई बड़ा फायदा होगा।

    यह भी पढ़ें- 'विनाशकारी फैसला', ट्रंप पर फायर हो गए अमेरिकी सांसद और नेता; H-1B वीजा पर 88 लाख की फीस को बता दिया 'खतरनाक'

    भारत से ही ज्यादा काम कराएंगी अमेरिकी कंपनियां

    GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि अमेरिका में पांच साल के अनुभव वाला आईटी मैनेजर औसतन 1.2 से 1.5 लाख डॉलर सालाना कमाता है। वहीं, H-1B वीजा पर काम करने वाले भारतीय 40% कम वेतन पर और भारत में बैठे कर्मचारी 80% कम लागत पर काम कर लेते हैं। अब जब वीजा फीस इतनी बढ़ा दी जाएगी, तो अमेरिकी कंपनियां ऑन-साइट कर्मचारियों की बजाय ऑफशोरिंग बढ़ाएंगी। यानी ज्यादा काम भारत से ही करवाएंगी।

    ट्रंप के फैसले से होंगे तीन बड़े असर

    • कम H-1B आवेदन होंगे, यानी अमेरिका में कम भारतीय जाएंगे।
    • स्थानीय स्तर पर भी कम हायरिंग होगी, क्योंकि कंपनियों की लागत बढ़ जाएगी।
    • अमेरिकी क्लाइंट्स के प्रोजेक्ट महंगे और धीमे हो जाएंगे, जिससे इनोवेशन पर भी असर पड़ेगा।

    भारत को उठाना चाहिए फायदा

    अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत को इस स्थिति से फायदा उठाना चाहिए। अमेरिका में काम करने वाले और लौटने वाले टैलेंट का इस्तेमाल सॉफ्टवेयर, क्लाउड और साइबरसिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में करना होगा। इसे वह भारत का डिजिटल स्वराज मिशन कहते हैं।

    बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर को इस फैसले पर हस्ताक्षर किए, जबकि व्हाइट हाउस ने साफ किया कि 1 लाख डॉलर फीस सिर्फ नए H-1B वीजा आवेदनों पर लागू होगी।

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